कर्नाटक सरकार के प्रस्ताव के बाद लिंगायत मामले पर विचार करेगी मोदी सरकार
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: March 20, 2018 22:42 IST2018-03-20T22:42:05+5:302018-03-20T22:42:05+5:30
केंद्र सरकार ने कहा कि, वह हिंदू धर्म के लिंगायत और वीरशैव लिंगायत पंथ को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की कर्नाटक सरकार की अनुशंसा का परीक्षण इस संबंध में प्रस्ताव मिलने के बाद करेंगे।

कर्नाटक सरकार के प्रस्ताव के बाद लिंगायत मामले पर विचार करेगी मोदी सरकार
बेंगलुरू, 20 मार्च। कर्नाटक में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है। एक ओर जहां लिगांयत समुदाय को अलग धर्म के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है तो वहीं दूसरी ओर इस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह हिंदू धर्म के लिंगायत और वीरशैव लिंगायत पंथ को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की कर्नाटक सरकार की अनुशंसा का परीक्षण इस संबंध में प्रस्ताव मिलने के बाद करेंगे।
इससे पहले बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के उस फैसले को हिंदू समाज को बांटने का प्रयास बताया था, जिसमें लिंगायत और वीरशैव लिंगायत हिंदू पंथों को अलग धर्म के रूप में मान्यता प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इस मामले में बीजेपी की लोकसभा सांसद शोभा करंदलाजे ने कहा था कि, कर्नाटक के लोग हिंदू समाज को बांटने के इरादे के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कभी माफ नहीं करेंगे।
वहीं राज्य के कानून मंत्री टी.बी. जयचंद्र ने मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।
बता दें कि लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय की कर्नाटक में करीब 18 फीसदी आबादी है, और उनके वोट आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है। बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं, जिनका इस समुदाय में काफी प्रभाव माना जाता है।