विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा- "हम देश की अखंडता के लिए साथ आए हैं"
By एस पी सिन्हा | Published: June 23, 2023 07:39 PM2023-06-23T19:39:46+5:302023-06-23T19:41:41+5:30
पटना में आज विपक्षी नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए हैं।
पटना: विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेने के बाद शिवसेना(उद्धव) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम सबकी विचारधारा अलग है। हम देश की अखंडता के लिए साथ आए हैं। देश में तानाशाही लाने वालों का विरोध करेंगे।
मैं अपने आपको विपक्ष नहीं मानता। शुरूआत अच्छी होती है तो आगे सब अच्छा होता है।वहीं बैठक में भाग लेने आए एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले आईं।
इस दौरान शरद पवार ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र में अलग-अलग जगहों पर दो समुदायों के बीच दंगे जैसी स्थिति बन गई थी और जहां भाजपा की सरकार नहीं है वहां भी ऐसी स्थिति लगातार बनी हुई है।
2024 में भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक सक्षम उम्मीदवार खड़ा करना अहम मुद्दा है, जो लोकसभा में मजबुती से लड़ सकें। उल्लेखनीय है कि विपक्षी एकता की हुई बैठक में अभी तस्वीर साफ नही हो पाई है।
जानकारों के अनुसार अगर सभी दल एक छतरी के नीचे आ जाते हैं, तब इसका सीधा असर 12 राज्यों की 328 लोकसभा सीटों पर पड़ेगी। इन 328 सीटों में अभी 128 विपक्षी पार्टियों और 165 भाजपा के पास है। बाकी सीटें अन्य पार्टियों के पास हैं, जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है।
इस बैठक में बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली के 12 क्षत्रप शामिल हुए। इनके पास लोकसभा की 90 सीटें हैं।
इसमें मुख्य रूप से बिहार की जदयू के पास 16 सीटें, झारखंड के जेएमएम के पास 1 सीटें, महाराष्ट्र की शिवसेना (उद्धव गुट) के पास 18 और एनसीपी के पास 4 सीटें, पश्चिम बंगाल की टीएमसी के पास 23 सीटें, तमिलनाडु की डीएमके के पास 23 सीटें, जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 3 सीटें, पंजाब और दिल्ली में आप के पास 2 सीटें शामिल हैं।
जानकार बताते हैं कि 2019 में 185 सीटें ऐसी थी, जहां भाजपा और क्षेत्रीय दल नंबर-1 और नंबर-2 थे। इनमें मुख्य तौर पर यूपी- 74 सीटें, बंगाल-39 सीटें, ओडिशा-19 सीटें, महाराष्ट्र-10 सीटें, बिहार-15 सीटें, झारखंड और कर्नाटक से 6-6 सीटें हैं।
इन 185 सीटों में 128 सीटों पर कांग्रेस का रोल लिमिटेड या बहुत कम था। इसमें खास कर यूपी की 74, पश्चिम बंगाल की 39, ओडिशा की 19 सीटें शामिल हैं। अगर महागठबंधन बनता तो यहां मुख्य मुकाबला और क्षेत्रीय दल के बीच होगा। कांग्रेस का यहां खास असर नहीं है।