दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जाट वोटों को साधने में लगे गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली में भाजपा के सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर जाट बिरादरी के साथ लंबी बैठक की।
इस बैठक में बाद प्रवेश वर्मा ने परोक्ष तौर पर राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी को भाजपा के पाले में आने का न्योता दे डाला। उन्होंने कहा, "हम जयंत चौधरी का भाजपा में स्वागत करना चाहते थे, उन्होंने गलत रास्ता चुन लिया है। जाट समुदाय के लोग उनसे बात करेंगे। हमारे दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं।"
जब पत्रकारों ने सासंद प्रवेश वर्मा से पूछा कि क्या यूपी चुनाव के बाद कोई संभावना बन सकती है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद देखा जाएगा कि क्या संभावना बनती है। अभी तो हम चाहते हैं कि जयंत चौधरी हमारे घर आएं, लेकिन उन्होंने दूसरा घर चुना है। वैसे अभी भी देर नहीं हुई है कोई भी आ सकता है।
पश्चिमी यूपी में जाट बिरादरी का वोट दूसरे दलों की तरह बीजेपी के लिए भी बड़ा अहम है और इस कारण ही अमित शाह जाट वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कवायद में लगे हुए हैं।
दरअसल बीजेपी को डर है कि बीते साल चले लंबे किसान आंदोलन के कारण कहीं पश्चिमी यूपी के जाट बिरादरी उनसे बिदक न जाए। यही कारण है कि बीते दिनों अमित शाह कैराना पहुंचे थे और घर-घर जाकर बीजेपी को वोट देने की अपील की थी।
वहीं अजीत सिंह के दिवंगत होने के बाद राष्ट्रीय लोकदल की कमान संभाल रहे जयंत चौधरी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से पिता अजित सिंह और बागपत से स्वयं की हार का बदला लेने के लिए अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला लिये हैं।
सपा-रालोद गठबंधन से भाजपा में खासी बेचैनी है कि किसान आंदोलन के विरोध से उपजे लहर के कारण अगर जाट वोट जयंत चौधरी के खाते में चले गये तो साल 2022 में भाजपा को फिर से यूपी में गद्दी पाने में भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।
यही नहीं इसका सीधा असर साल 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी दिखाई देगा। यही कारण है कि भाजपा भीतरखाने प्रयास कर रही है कि किसी तरह से जयंत चौधरी को अपने पाले में कर लिया जाए।
प्रवेश वर्मा के घर हुई बैठक में अमित शाह के साथ संजीव बालियान, कैप्टन अभिमन्यु और योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा सहित 100 से अधिक जाट नेता शामिल हुए। अमित शाह का प्रयास है कि भाजपा ने साल 2017 में पश्चिमी यूपी में जिस तरह का प्रदर्शन किया था और जाट बाहुल्य 143 सीटों में से 108 सीटें अपने खाते में दर्ज कराई थी।
शाह चाहते हैं कि वैसा ही प्रदर्शन भाजपा पश्चिमी यूपी में इस बार भी करे, लेकिन इस बार हालात थोड़े बदले हुए हैं और रालोद-सपा गठबंधन इसमें सबसे बड़ी अड़चन के तौर पर भाजपा के सामने है।