Aditya-L1: एक और उपलब्धि, पहली सौर वेधशाला ‘आदित्य एल1’ कक्षा में स्थापित, पीएम मोदी ने 'एक और मील का पत्थर' बताया
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 6, 2024 04:23 PM2024-01-06T16:23:32+5:302024-01-06T18:01:13+5:30
Aditya-L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान को लेकर एक और उपलब्धि हासिल की।
Aditya-L1: सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वाकांक्षी पहला मिशन ‘आदित्य एल1’ शनिवार शाम 4 बजे अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंचा। पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित हो गया। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखकर बधाई दी। पीएम मोदी ने 'एक और मील का पत्थर' बताया
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश का पहला अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसके साथ ही भारत ने एक और शानदार उपलब्धि हासिल कर ली। यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत का पहला सौर अनुसंधान उपग्रह आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गया। यह सबसे जटिल और कठिन अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ हूं। हम मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को पार करते रहेंगे।’’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा था कि आदित्य एल-1 शनिवार को अपराह्न चार बजे एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। एल1 प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है और इस स्थान से सूर्य की दूरी भी 15 लाख किलोमीटर ही है। आदित्य एल1 उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पिछले वर्ष 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था। 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद, इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी के चारों ओर 235x19500 किमी की अण्डाकार कक्षा में स्थापित किया गया।
#ISRO lights up the spirits of 140 crore Indians on the first day of 2024!
— MyGovIndia (@mygovindia) January 1, 2024
Kudos to @isro for the flawless launch of PSLV-C58/ XPoSat Mission. It's a proud moment for #NewIndia.#XPoSatpic.twitter.com/oDsqQEfaUg
‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा।
‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है। प्रभामंडल कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था। ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।