क्या 17वीं लोकसभा में कांग्रेस को मिलेगा विपक्ष नेता का पद, जानें नियम और कब-कब लोकसभा में नहीं रहा विपक्ष का नेता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 11, 2019 07:22 AM2019-06-11T07:22:46+5:302019-06-11T07:22:46+5:30
कांग्रेस पार्टी को विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी 10 प्रतिशत सीटें इस बार भी हासिल नहीं कर पाई है। 17वीं लोकसभा में कांग्रेस को 52 सीटें मिलीं हैं।
कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ये इच्छा जताई है कि अगर कांग्रेस अनुमति दे तो वह लोकसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल विपक्ष के नेता के पद वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सबसे बड़ा विपक्षी दल विपक्ष के नेता के पद का हकदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस दर्जे से इंकार करने के लिए जिस नियम का हवाला दिया जाता है वह असंवैधानिक है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी अधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है कि वो नेता विपक्ष की मांग करेंगे।
कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर इस बात की घोषणा की थी कि वो नेता विपक्ष की मांग नहीं करेंगे। कांग्रेस ने कहा था कि लोकसभा चुनाव-2019 सामने आए नजीतों के मुताबिक हम संख्याबल में काफी कम हैं , इसलिए पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण सरकार से हम ऐसी कोई मांग नहीं करेंगे।
कांग्रेस पार्टी को विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी 10 प्रतिशत सीटें इस बार भी हासिल नहीं कर पाई है। 17वीं लोकसभा में कांग्रेस को 52 सीटें मिलीं हैं। विपक्ष नेता के 10 फीसदी मानक के अनुरूप विपक्ष का नेता का पद हासिल करने के लिए कांग्रेस को 54 सीटें चाहिए। लेकिन उसमें 2 कम है। 2019 में यूपीए को 90 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी 303 सीट पर जीत दर्ज की है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस-वार्ता कर कहा था, 'यह सामान्य व्यवस्था है कि कुल सांसद संख्या में से 10 फीसदी सीटें किसी एक पार्टी के पास होनी चाहिए, उसके बाद ही नेता विपक्ष का दर्जा मिल सकता है। संख्या बल के लिहाज से हमारी सीटें 2 कम हैं। हालांकि, यह बहुत कुछ सरकार पर भी निर्भर करता है कि क्या वह संख्या बल कम होने पर भी किसी एक पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर दर्जा देना चाहते हैं या नहीं।'
16वीं लोकसभा में भी कांग्रेस में कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद नहीं मिल पाया था। 44 सीटों वाली कांग्रेस को राजग गठबंधन की सरकार ने नेता विपक्ष का पद देने से इनकार कर दिया था।
कब-कब नहीं रहा लोकसभा में विपक्ष का नेता
स्वतंत्र भारत में 26 जनवरी1952 से 4 अप्रैल 1957 तक पहली लोकसभा में कोई भी विपक्ष पद का नेता नहीं था। इसके बाद दूसरी लोकसभा (4 अप्रैल 1957 से 4 मार्च 1962) , तीसरी लोकसभा (4 अप्रैल 1962 से 4 मार्च 1967) में भी लोकसभा में कोई भी विपक्ष पद का नेता नहीं था।
चौथी लोकसभा में 4 मार्च से 1967 से 12 दिसम्बर 1969 तक कोई नेता नहीं। चौथी लोकसभा में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तो पार्टी में टूट हुई थी, जिसके बाद दो पार्टियां बनी थी। इसके बाद 17 दिसम्बर 1969 से 27 दिसम्बर 1970 तक कांग्रेस के नेता को विपक्ष नेता पद का दर्जा मिला। इसके बाद पांचवी लोकसभा (27 दिसम्बर 1970 से 30 जून 1977), सांतवी लोकसभा ( 22 अगस्त 1979 से 31 दिसम्बर 1984),आंठवी लोकसभा (दिसम्बर 1984 से 18 दिसम्बर 1989) में भी लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं था। इसके बाद 16 वीं लोकसभा 2014-2019 तक कोई विपक्ष नेता नहीं था।