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कश्मीरः बन टोल प्लाजा में मरने वाले आतंकी कहां से टपके थे, बीएसएफ और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 20, 2020 12:28 IST

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने दावा कर दिया था कि आतंकी सांबा सेक्टर से घुसे थे और 70 किमी का सफर तय करके नगरोटा पहुंचे थे। जबकि अपने दावों के दौरान वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते थे कि इस 70 किमी के यात्रा मार्ग में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के तीन दर्जन से ज्यादा नाके थे और वे इन नाकों को कैसे पार कर गए।

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ठळक मुद्देपुलिस का कहना है कि आतंकी इंटरनेशनल बार्डर से घुसपैठ कर इस ओर आए थे। पर बीएसएफ इसे नहीं मानती। बीएसएफ ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया है कि आतंकी तारबंदी को क्रास कर इस ओर दाखिल हुए हैं।जम्मू-उधमपुर राजमार्ग पर होने वाले प्रत्येक आतंकी हमले के उपरांत बीएसएफ और पुलिस के बीच ठनती रही है।

जम्मूः कल बन टोल प्लाजा नगरोटा में जैशे मुहम्मद के जिन 4 आतंकियों को मार गिराया था, कहां से टपके थे, फिलहाल अभी तक कोई ठोस जानकारी इसलिए नहीं मिल पाई है क्योंकि इस मुद्दे पर बीएसएफ और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो चुका है।

कल जारी मुठभेड़ के बीच ही पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने दावा कर दिया था कि आतंकी सांबा सेक्टर से घुसे थे और 70 किमी का सफर तय करके नगरोटा पहुंचे थे। जबकि अपने दावों के दौरान वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते थे कि इस 70 किमी के यात्रा मार्ग में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के तीन दर्जन से ज्यादा नाके थे और वे इन नाकों को कैसे पार कर गए।

पुलिस का कहना है कि आतंकी इंटरनेशनल बार्डर से घुसपैठ कर इस ओर आए थे। पर बीएसएफ इसे नहीं मानती। वह कहती है कि कहीं से कोई तारबंदी नहीं कटी है और सांबा सेक्टर में नदी-नालों में कहीं भी उनकी थर्मल इमेजस रिकार्ड नहीं की गई हैं। पहले यह भी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि आतंकी सीमा क्षेत्र में उपस्थित किसी सुरंग से इस ओर आने में कामयाब हुए हैं जैसा कि पहले अतीत में कई बार हो चुका था। पर क्षेत्र की गहन पड़ताल के बाद भी बीएसएफ ऐसी किसी सुरंग का पता नहीं लगा पाई है। हालांकि पिछले दो सालों मंें ऐसी 10 सुरंगों को नेस्तनाबूद किया गया था।

ऐसे में यह सवाल और पेचिदा हो जाता था कि ये आतंकी कहां से और कब हिन्दुस्तान में दाखिल हुए थे। वर्ष 2016 में नगरोटा में ही हुए आतंकी हमले और पिछले साल जम्मू के सुंजवां में हुए एक अन्य आतंकी हमले में शामिल आतंकियों के प्रति भी अभी तक जो जानकारी उपलब्ध हुई है वह भी सिर्फ अंदाजे पर ही है। इतना जरूर था कि पठानकोट-जम्मू तथा जम्मू-उधमपुर राजमार्ग पर होने वाले प्रत्येक आतंकी हमले के उपरांत बीएसएफ और पुलिस के बीच ठनती रही है और बीएसएफ ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया है कि आतंकी तारबंदी को क्रास कर इस ओर दाखिल हुए हैं।

यही नहीं इस साल 31 जनवरी को भी जैश के तीन आतंकियों को इसी टोल प्लाजा पर ढेर कर दिया गया था। तब भी पुलिस महानिदेशक ने दावा किया था कि वे हीरानगर सेक्टर से घुसे थे और उन्होंने 88 किमी का सफर बेरोकटोक किया था। इस सच्चाई के बावजूद कि उन्होंने 88 किमी के सफर में 42 नाकों को पार किया था और तब आतंकियों को कश्मीर ले जा रहे ट्रक चालक ने यह बयान देकर पुलिस के ही दावों पर शंका पैदा कर दी थी जिसमें उसका कहना था कि उसने इन आतंकियों को सांबा में चीची माता के बाहर से राजमार्ग से बिठाया था और यह पिकअप प्वाइंट हीरानगर से 20 किमी की दूरी पर था।

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