यूपी में अब जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्य नहीं होगा आधार कार्ड, शासन ने सभी विभागों को दिया निर्देश, सपा ने जताई आपत्ति
By राजेंद्र कुमार | Updated: November 28, 2025 19:15 IST2025-11-28T18:58:21+5:302025-11-28T19:15:57+5:30
विशेष सचिव नियोजन ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के पत्र का हवाला देते हुए विभागों को भेजे गए पत्र में कहा कि आधार कार्ड में जन्म तिथि का कोई प्रमाणित दस्तावेज संलग्न नहीं होता है. इसलिए इसे जन्म तिथि प्रमाण के रूप में मान्य नहीं माना जा सकता है।

यूपी में अब जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्य नहीं होगा आधार कार्ड, शासन ने सभी विभागों को दिया निर्देश, सपा ने जताई आपत्ति
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आधार कार्ड को अब जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. प्रदेश की योगी सरकार ने आधार कार्ड से जुड़े नियम को बदल दिया है. इस संबंध में राज्य के नियोजन विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल ने प्रदेश के सभी विभागों को सरकार के फैसले से अवगत कराते हुए निर्देश जारी किया है.
विशेष सचिव नियोजन ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पत्र का हवाला देते हुए विभागों को भेजे गए पत्र में कहा कि आधार कार्ड में जन्म तिथि का कोई प्रमाणित दस्तावेज संलग्न नहीं होता है. इसलिए इसे जन्म तिथि प्रमाण के रूप में मान्य नहीं माना जा सकता है. इस पत्र को 24 नवंबर की शाम को जारी किया गया है. इसके लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने योगी और मोदी सरकार को निशाने पर लिया है.
सपा विधायक ज़ाहिद बेग का कहना है कि योगी सरकार का आधार कार्ड को लेकर किया गया फैसला आधार कार्ड को कमजोर करने की योजना है. वास्तविकता यह है कि केंद्र सरकार देश में एक नया फैमिली कार्ड अपने किसी चहेते कारोबारी की कंपनी से बनवाने के लिए ही आधार कार्ड को कमजोर करने के लिए भाजपा शासन वाली सरकारों से ऐसे फैसले करवा रही है.
पत्र में यह लिखा गया है
वही दूसरी तरफ नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है, विभाग से जो पत्र जारी किया गया है, उसे यूआईडीएआई क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप निदेशक द्वारा जारी किए गए पत्र के आधार पर सभी विभागों को गया है. यूआईडीएआई क्षेत्रीय कार्यालय के उप निदेशक ने प्रदेश सरकार को 31 अक्टूबर को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में कहा गया था कि आधार कार्ड जन्म तिथि का अनुमन्य प्रमाण नहीं है.
आधार सिर्फ पहचान व सत्यापन का साधन है, जन्म तिथि सत्यापन का यह प्रमाण नहीं है. इसके बावजूद प्रदेश सरकार के कई विभाग आधार को जन्म तिथि के प्रमाण के रूप स्वीकार कर रहे हैं. कई योजनाओं में इसका उपयोग किया जा रहा है. इसी पत्र के आधार पर विशेष सचिव नियोजन से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव/मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कहा है कि आधार कार्ड को जन्म तिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार न किया जाए. साथ ही जन्म तिथि के सत्यापन के लिए अन्य वैध दस्तावेजों को ही मान्य किया जाए.
सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी सरकारी प्रक्रिया में नियुक्ति, प्रमोशन, सेवा रजिस्टर संशोधन या अन्य संवेदनशील दस्तावेजों में आधार को जन्म तिथि का प्रमाण न माना जाए. इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र, हाईस्कूल मार्कशीट, नगर निकाय या स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी प्रमाणपत्र जैसे अन्य मूल दस्तावेज लगाए जा सकते हैं.इसलिए आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण पत्र के रूप स्वीकार ना करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें.
सपा विधायक ने पूछा सवाल
चुनाव आयोग के फैसले के चलते अब आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण पहले से नहीं माना जाता है. यानी नागरिकता संबंधी दस्तावेज में इसका उपयोग नहीं किया जाता है. वहीं अब इसे जन्मतिथि के प्रमाण पत्र के रूप में ना माने जाने का निर्देश जारी किया गया है. इसके लेकर सपा के विधायक ज़ाहिद बेग का कहना है कि देश भर में अरबों रुपए खर्च कर हर नागरिक का यह कार्ड बनाया गया है. इसके जरिए ही अब केंद्र और राज्यों की सरकारें सरकारी योजनाओं का पैसे लोगों के बैंक खातों में भेज रही हैं.
बैंकों में भी खाता खोलने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है. अब इस कार्ड को कमजोर क्यों किया जा रहा है? और उसकी जगह सरकार कौन सा नया कार्ड बनाने का ऐलान करने वाली है, यह जनता को बताना चाहिए. कोई फैमिली कार्ड बनाए जाने की चर्चा है. सरकार को आगे आकार यह बताना चाहिए की किस आधार कार्ड का नंबर सरकार ही हर योजना, बैंक तथा हर फार्म में लिखना होता है ? उसे अचानक ही क्यों कमजोर किया जा रहा है?