'बिहार की 65 फीसदी महिलाएं रोजाना 2 से 3 घंटे हंसी-मजाक में बिताती हैं': राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में खुलासा

By एस पी सिन्हा | Updated: May 11, 2025 16:23 IST2025-05-11T16:23:32+5:302025-05-11T16:23:44+5:30

अध्ययन में 15 से 50 वर्ष तक के आयु वर्ग के 507666 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिनमें से 30 लाख 50 हजार महिलाएं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 30 से 45 साल की महिलाएं सबसे अधिक हंसमुख पाई गईं। यह आयु वर्ग अधिकतर गृहिणियों या नौकरीपेशा महिलाओं का है। 

'65 percent of women in Bihar spend 2 to 3 hours every day laughing and joking': National Women and Child Development Department's report reveals | 'बिहार की 65 फीसदी महिलाएं रोजाना 2 से 3 घंटे हंसी-मजाक में बिताती हैं': राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में खुलासा

'बिहार की 65 फीसदी महिलाएं रोजाना 2 से 3 घंटे हंसी-मजाक में बिताती हैं': राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में खुलासा

पटना: राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि राज्य की 65 फीसदी महिलाएं रोजाना 2 से 3 घंटे हंसी-मजाक में बिताती हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा महज 35 फीसदी तक सीमित है। ऐसे में कहा जा सकता है कि बिहार की महिलाएं पुरुषों से कहीं अधिक हंसमुख होती हैं। अध्ययन में 15 से 50 वर्ष तक के आयु वर्ग के 507666 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिनमें से 30 लाख 50 हजार महिलाएं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 30 से 45 साल की महिलाएं सबसे अधिक हंसमुख पाई गईं। यह आयु वर्ग अधिकतर गृहिणियों या नौकरीपेशा महिलाओं का है। 

दिलचस्प बात तो यह है कि इन महिलाओं ने अपने हंसमुख रहने का कारण बच्चों और सहकर्मियों को बताया। रिपोर्ट में 20 लाख से अधिक महिलाओं ने बताया कि वे अपने बच्चों से बातचीत के दौरान हंसती हैं, जिससे ऑफिस या घर का तनाव अपने आप हल्का हो जाता है। वहीं, 10 लाख महिलाओं ने स्वीकार किया कि सहकर्मियों के साथ हंसी-मजाक उनके तनाव को कम करने में मदद करता है। 

इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं ना केवल तनाव झेलने में माहिर हैं बल्कि हंसी को अपने लिए दवा के रूप में अपनाती हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि तीन लाख महिलाएं, जिन्हें माइग्रेन, हाई बीपी और शुगर जैसी बीमारियां थीं, उन्होंने हंसने को एक उपचार के रूप में अपनाया। हास्य योग और सामूहिक हंसी सत्र के जरिये उन्होंने मानसिक तनाव से मुक्ति पाई और स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव महसूस किया। 

रिपोर्ट को प्रस्तुत करने वाले राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग के मनोवैज्ञानिक कुमुद श्रीवास्तव ने बताया कि हंसी तनाव का सबसे प्रभावी और सरल उपचार है। जब महिलाएं हंसती हैं, तो वे अपने दिमाग को तनाव के दबाव से मुक्त करती हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव उनके पूरे शरीर पर पड़ता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा समय हंसी में बिताती हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं प्रतिदिन औसतन 15 मिनट से लेकर 3 घंटे तक हंसती हैं, जबकि पुरुषों का आंकड़ा औसतन 30 मिनट से कम है। यही कारण है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कम मानसिक विकार और तनाव जनित बीमारियां पाई जाती हैं।

Web Title: '65 percent of women in Bihar spend 2 to 3 hours every day laughing and joking': National Women and Child Development Department's report reveals

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