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60 प्रतिशत लोग डिजिटल हेल्थ आईडी के समर्थन में, पर व्यक्तिगत जानकारी साझा करने को इच्छुक नहीं: सर्वे

By भाषा | Updated: September 6, 2020 21:59 IST

सर्वेक्षण के मुताबिक, इसमें शामिल हुए 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे डिजिटल स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत ‘डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र’ (डिजिटल हेल्थ आईडी) लेना चाहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य एवं मेडिकल रिकार्ड के अलावा संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करना चाहते हैं।

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ठळक मुद्देकरीब 60 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रस्तावित ‘डिजिटल हेल्थ आईडी’ लेने का समर्थन कियायह सर्वेक्षण ‘लोकल सर्कल्स’ ने किया, जो एक सामुदायिक सोशल मीडिया मंच है।

नयी दिल्ली: हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण में शामिल करीब 60 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रस्तावित ‘डिजिटल हेल्थ आईडी’ लेने का समर्थन किया, लेकिन इसमें वे स्वास्थ्य एवं मेडिकल रिकार्ड के अलावा अपनी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करना चाहते हैं। यह सर्वेक्षण ‘लोकल सर्कल्स’ ने किया, जो एक सामुदायिक सोशल मीडिया मंच है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, इसमें शामिल हुए 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे डिजिटल स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत ‘डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र’ (डिजिटल हेल्थ आईडी) लेना चाहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य एवं मेडिकल रिकार्ड के अलावा संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करना चाहते हैं। इसमें कहा गया है कि 23 प्रतिशत लोगों ने हेल्थ आईडी बनाये जाने का समर्थन करते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य सेवा तक तेजी से पहुंचने में मदद करेगा, जबकि 18 प्रतिशत ने कहा कि इसे नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि यह इससे व्यक्ति संवेदनशील डेटा के साथ समझौता होगा।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब 9,000 लोगों ने इस सवाल का जवाब दिया कि क्या राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) के तहत डिजिटल हेल्थ आईडी बनाया जाना चाहिए। सोशल मीडिया मंच को राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति के मसौदा से जुड़े चार सवालों पर करीब 34,000 जवाब मिले। इस नीति का उद्देश्य सभी भारतीयों के लिये डिजिटल हेल्थ आईडी बनाना है। यह पूछे जाने पर कि शोध या रोगों का पता लगाने से जुड़े कार्यों में क्या बाहरी एजेंसियों को डेटा उपलब्ध कराया जाना चाहिए, इस पर 48 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इसी मंजूरी नहीं देंगे, जबकि 45 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है।

लोकल सर्कल्स के महाप्रबंधक अक्षय गुप्ता ने कहा कि सर्वेक्षण के नतीजे डिजिटल हेल्थ आईडी पहल से संबद्ध हितधारकों को सौंपे जाएंगे, ताकि नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया सामने रखी जा सके क्योंकि सरकार ने इस पहल का खाका तैयार किया है। मिशन के तहत लोगों से एकत्र गोपनीय स्वास्थ्य जानकारियों की सुरक्षा के लिये सरकार ने एक रूपरेखा और कुछ न्यूनतम मानदंडों का प्रस्ताव किया है, जिसका अनुपालन किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, केंद्रीय एजेंसी को एनडीएचएम की डिजाइन तैयार करने और देश में इसे शुरू करने का अधिकार दिया गया है।

प्राधिकरण ने लोगों के लिये स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति का मसौदा जारी किया है। लोगों की टिप्पणी एवं प्रतिक्रिया के लिये यह दस्तावेज एनडीएचएम की आधारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। महत्वाकांक्षी एनडीएचएम कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी। मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक इस योजना के तहत हर किसी को एक हेल्थ आईडी मुफ्त में मिलेगी। कोई भी व्यक्तिगत जानकारी व्यक्ति की सहमति से ही ली जाएगी और लोगों को अपनी सहमति वापस लेने की भी अनुमति होगी। 

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