नई दिल्ली: कोविड महामारी के दौरान कई लोग बेरोजगार हुए, कई प्रवासी मजदूरों को शहर छोड़कर अपने राज्यों और घरों में वापस लौटना पड़ा। इससे न केवल बेरोजगारी दर बढ़ी, बल्कि लोगों की आय का साधन भी छिन गया। इसी कारण पांच राज्यों में नौकरियों की मांग बढ़ी। ऐसे में इन पांच राज्यों ने इस साल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कोविड महामारी से पूर्व की तुलना में अधिक पैसा खर्च किया है।
हर ग्रामीण परिवार को सालाना कम से कम 100 दिन का काम
मनरेगा दुनिया की सबसे बड़ी गारंटीकृत रोजगार योजना है, जिसके तहत हर ग्रामीण परिवार को सालाना कम से कम 100 दिन का काम प्रदान किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा को इस वर्ष 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और इस योजना के तहत 94,994 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।
पश्चिम बंगाल ने 2019-20 में खर्च किए 7,480 करोड़ रुपये
मनरेगा के तहत इस साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बिहार और ओडिशा राज्य ने कोविड महामारी से पूर्व की अपेक्षा इस बार जमकर पैसा खर्च किया है। पश्चिम बंगाल ने जहां 2019-20 में 7,480 करोड़ रुपये खर्च किए थे, तो इस साल राज्य ने 10,118 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं तमिलनाडु ने 2019-20 में 5,621 करोड़ रुपये की तुलना में इस साल 8,961 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
मध्य प्रदेश ने पिछले बार की अपेक्षा 32 फीसदी धन मनरेगा में खर्च किया है। इस राज्य ने मनरेगा के तहत 2019-20 में 4,949 करोड़ रुपये खर्च किए थे और इस साल उसने अब तक 7,354 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
इस साल बिहार ने मनरेगा के तहत किए 5,771 करोड़ रुपये खर्च
बिहार ने 2019-20 में 3,371 करोड़ की तुलना में इस साल मनरेगा योजना के तहत 5,771 करोड़ खर्च किए। यह वही राज्य हैं जहां कोविड के दौरान सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटे थे। ओडिशा ने 2019-20 में 2,836 करोड़ की तुलना में इस साल 5,375 करोड़ खर्च किए हैं।