मोदी सरकार के पास नहीं हैं नौकरियां, आंकड़े गवाह हैं NDA सरकार में युवा जॉबलेस 

By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 26, 2018 07:29 AM2018-05-26T07:29:12+5:302018-05-26T07:29:12+5:30

जुलाई 2011 से दिसंबर 2013 तक 12 लाख 80,000 नौकरियां आईं थीं। बीते दो सालों के आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि साल 2017 में नौकरियों में भारी गिरावट आई है।

4 year of modi govt unemployment increases in modi govt job in modi govt | मोदी सरकार के पास नहीं हैं नौकरियां, आंकड़े गवाह हैं NDA सरकार में युवा जॉबलेस 

मोदी सरकार के पास नहीं हैं नौकरियां, आंकड़े गवाह हैं NDA सरकार में युवा जॉबलेस 

नरेंद्र मोदी सरकार में बेरोजगारी पर नियंत्रण नहीं लग सका है। ऐसा रोजगार और बेरोजगारी पर किए गए पांचवें वार्षिक सर्वेक्षण (2015-16) में कहा गया। इसके मुताबिक साल 2013-14 की बेरोजगारी दर 4.9 प्रतिशत की तुलना में साल 2015-16 में भी कम होने के बजाए बढ़कर 5 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह लेबर मिनिस्ट्री के आंकड़ों में भी नौकरियां कम आने की पुष्टि हुई। मैनुफैक्चरिंग, ट्रेड, कंस्ट्रक्‍शन, एजुकेशन, हेल्‍थ, इंफॉमेशन टेक्नोलॉजी, ट्रांसपोर्ट और रेस्टोरेंट के क्षेत्र में जुलाई 2014 से दिसंबर 2016 तक 6 लाख 41,000 नौकरियां आईं।

जबकि जुलाई 2011 से दिसंबर 2013 तक 12 लाख 80,000 नौकरियां आईं थीं। बीते दो सालों के आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि साल 2017 में नौकरियों में भारी गिरावट आई है।

प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाली नौकरियों में भी 2012-13 तुलना में 24. 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस कार्यक्रम के तहत 2012-13 में 4 लाख 28,000 लोगों को नौकरियां दी गई थीं। लेकिन 2015-16 में  3 लाख 23 हजार 362 लोगों को ही नौकरी दी गई। हालांकि मोदी सरकार ने रोजगार देने के बजाए युवाओं को स्वरोजगार के प्रोत्साहित किया है। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इं‌डिया जैसे प्रोग्राम इसी के उदाहरण हैं। लेकिन अभी तक ये योजनाएं प्रभाव नहीं दिखा पाई हैं। 

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हालांकि जब हमने इस मुद्दे पर बीजेपी नेता व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी से बात की तो उन्होंने कहा कि बीते चार सालों में मोदी सरकार ने करीब 33 लाख लोगों को नौकरियां दी हैं, जैसा कि किसी और सरकार ने नहीं किया।

जबकि कांग्रेस नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी ने लोकमत से कहा कि मोदी सरकार रोजगार देने में पूरी तरह फेल है। मुद्रा लोन, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया आदि के जरिए नौकरी देने के वायदे झूठे साबित हुए हैं।

स्वराज्य इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव कई सर्वेक्षणों के हवाले से लोकमत न्यूज से कहते हैं कि बीते चार सालों में रोजगार के अवसर कम हुए हैं। युवा सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं।

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राजनैतिक विश्लेषक मनोज वर्मा ने बताया कि बीते चार सालों में बेरोगारी बढ़ी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वरोजगार के जरिए युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की पर यह तरकीब चली नहीं।

जबकि अर्थ‌िक व बाजार मामलों के जानकार आकाश जिंदल का कहना कि मोदी सरकार में बेरोगजारी बढ़ी है। मोदी सरकार रोजगार के अवसर सृजित करने में पिछली सरकार से भी पीछे रही है।

मोदी सरकार के नौकरियों को लेकर उपलब्‍ध आंकड़ों को ढूंढ़ें तो तीन सालों का आकड़ा मिला है। इसमें मोदी सरकार में मिला कुल रोजगार पिछली सरकार की तुलना में 39 प्रतिशत कम हैं। मोदी सरकार के दौरान रोजगार के सभी अवसरों को जोड़ें तो शुरुआती तीन सालों में 15 लाख 10 हजार के आसपास होती है। जबकि इससे ठीक पहले तीन सालों में 24 लाख 10 हजार रोजगार के अवसर बने थे। 

चार साल मोदी सरकार में रोजगार, स्पेशल वीडियो

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