आंदोलन का 32वां दिन: किसान एक बार फिर सरकार से वार्ता को तैयार, 29 दिसंबर को दिया बातचीत की तारीख

By भाषा | Published: December 27, 2020 07:43 AM2020-12-27T07:43:28+5:302020-12-27T20:14:11+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये।

32nd day of agitation: Farmer once again ready to hold talks with the government, given the date of talks on 29th December | आंदोलन का 32वां दिन: किसान एक बार फिर सरकार से वार्ता को तैयार, 29 दिसंबर को दिया बातचीत की तारीख

किसान आंदोलन (फाइल फोटो)

Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रदर्शनकारी किसानों से चर्चा के जरिए अपने मुद्दों का हल करने का आग्रह किया। अगर सरकार चाहती है कि हम केएमपी राजमार्ग को जाम नहीं करें तो उन्हें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करनी चाहिए।

नयी दिल्ली: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके।

संगठनों ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।

इस फैसले से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये। उन्होंने केन्द्र और किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना भी साधा था।

इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रदर्शनकारी किसानों से चर्चा के जरिए अपने मुद्दों का हल करने का आग्रह किया। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा, "हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो।’’

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ जैसा कि सरकार हमारे साथ बातचीत के लिए तैयार है और हमसे तारीख और हमारे मुद्दों के बारे में पूछ रही है, हमने 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। अब, गेंद सरकार के पाले में है कि वह हमें कब बातचीत के लिए बुलाती है।"

किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट किया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए। किसान संगठनों ने हालांकि अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया और उन्होंने 30 दिसंबर को सिंघू-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने का आह्वान किया था।

किसान नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह भी तय किया गया है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ 30 दिसंबर को किसान कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च का आयोजन करेंगे। पाल ने कहा, "हम दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों के लोगों से आने और नए साल का जश्न प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ मनाने का अनुरोध करते हैं।’’

किसान नेता राजिंदर सिंह ने कहा, "हम सिंघू से टीकरी से केएमपी तक मार्च करेंगे। हम आसपास के राज्यों के किसानों से अपनी ट्रॉलियों और ट्रैक्टरों में भारी संख्या में आने की अपील करते हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम केएमपी राजमार्ग को जाम नहीं करें तो उन्हें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करनी चाहिए।’’

अग्रवाल ने पिछले दिनों प्रदर्शन कर रहे 40 यूनियनों को पत्र लिख कर उन्हें नए सिरे से बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने अपने पत्र में किसान यूनियनों से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय सुझाने को कहा था। संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्रवाल को लिखे अपने पत्र में कहा, "दुर्भाग्य से, पिछली बैठकों में हुयी चर्चा के बारे में सही तथ्यों को दबाकर जनता को गुमराह करने का सरकार का प्रयास आपके पत्र में जारी है।

हम लगातार तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते रहे हैं, जबकि सरकार ने हमारी स्थिति को बदलते हुए पेश किया है जैसे कि हम इन कानूनों में संशोधन की मांग कर रहे हैं।" इस बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक एवं नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने शनिवार को नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की घोषणा की।

बेनीवाल ने अलवर जिले के शाहजहांपुर में किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा, '' मैं राजग के साथ 'फेविकोल' से नहीं चिपका हुआ हूं। आज, मैं खुद को राजग से अलग करता हूं।'' भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि विपक्ष किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को ‘खूनखराबे’ में बदलना चाहती है। उसने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर राज्य में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला करवाया।

जनता दल (सेकुलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने किसान आंदोलन से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि पर पड़ने वाले असर के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गतिरोध दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वह महसूस करते हैं कि किसानों को नए कृषि कानूनों के साथ प्रयोग करने के मामले में मन को खुला रखना चाहिए। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की नए कानूनों पर की गई टिप्पणी से उम्मीद जगी है।

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे नए कानूनों को लागू करने का प्रयोग होने दें।’’ दिल्ली की तीन सीमाओं - सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में हजारों किसान लगभग एक महीने से डेरा डाले हुए हैं। वे सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने इन नए कृषि कानूनों को बड़े सुधार के रूप में पेश किया है, जिसका मकसद किसानों की मदद करना है।

वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि इससे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जिससे उन्हें बड़े कॉरपोरेटों की दया पर निर्भर रहना पड़ेगा। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की शनिवार को फिर से मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। हरियाणा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘सरकार ने जनता का और कई विधायकों का समर्थन खो दिया है। ’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘ उन्होंने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है क्योंकि सरकार अविश्वास प्रस्ताव को टालने के लिए सदन का सत्र नहीं चाहती है।’’ हुड्डा ने राज्य विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अपने रुख को दोहराते हुए कहा, ‘‘कई निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।’’

दो निर्दलीय विधायकों--सोमबीर सांगवान और बलराज कुंडू--ने राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जबकि जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 विधायकों में से कई ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।  

(एजेंसी इनपुट)

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