रविवार को रात बेलतरोड़ी मार्ग पर मनीषनगर परिसर में एक चार पहिया वाहन के नीचे एक दिवसीय छुटकी पाई गई. इसके बाद फिर एक बार कुमारी माताएं और बेटी को जन्म से नकार दिए जाने का मामला सामने आया है. बदलती जीवन शैली, यौन शिक्षा का अभाव, भिन्नलिंगी आकर्षण सहित अन्य कुछ कारणों से कुमारी माताओं की संख्या बढ़ गई है.
शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में इसका अनुपात ज्यादा होने की पुष्टि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हुई है.
पुराने आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों मंे इसका अनुपात छह फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 10.4 % है. विशेषज्ञों का कहना है कि 15 से 19 की आयु समूह की लड़कियों में कुमारी अवस्था में गर्भवती अथवा माता बन जाने का औसत ज्यादा चिंतित करनेवाला है. उनके अनुसार अनैतिक संबंध, गरीबी, लाचारी व निरक्षरता के कारण लड़कियां फंस जाती हैं.