बीते 6 महीनों में 24,000 बच्चों से रेप, सुप्रीम कोर्ट सकते में, बीजेपी शासित राज्य सबसे आगे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 14, 2019 08:20 AM2019-07-14T08:20:57+5:302019-07-14T08:20:57+5:30
बच्चों के साथ ऐसे अपराधों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. उत्तर प्रदेश में 3457 मामले दर्ज हुए जिनमें से केवल 115 मामलों पर ही कार्यवाही हुई जो महज तीन फीसदी है. महाराष्ट्र भी उत्तर प्रदेश से बहुत पीछे नहीं है.
देशभर में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और दुराचार के आंकड़ों ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट को सकते में डाल दिया है. सुप्रीम कोर्ट को जो आंकड़े मिले है उनके अनुसार पिछले छह महीनों में 24000 बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आई है.
देशभर 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2019 तक जो बच्चों के साथ जो बलात्कार की घटनाएं हुई उनमें 24212 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई लेकिन महज 9 से 11 मामले ही निपटाए जा सके. जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने इन बढ़ते अपराधों पर गंभीर रुख अपनाया है तो वहीं दूसरी ओर राजनैतिक हलकों में भी बच्चों के साथ अपराधों को लेकर हलचल तेज हो गई है.
कांग्रेस ने आज इस मुद्दे को ना केवल उठाया बल्कि यह भी चेतावनी दे दी कि वह इस मुद्दे पर संसद के अंदर और संसद के बाहर सरकार को घेरेगी. क्योंकि जो सर्वाधिक आंकड़े बच्चों के साथ दुराचार के सामने आ रहे है उनमें भाजपा शासित राज्यों के आंकड़े सबसे ऊपर है.
आंकड़े बताते है कि बच्चों के साथ ऐसे अपराधों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. उत्तर प्रदेश में 3457 मामले दर्ज हुए जिनमें से केवल 115 मामलों पर ही कार्यवाही हुई जो महज तीन फीसदी है. पंजाब में 347 मामले दर्ज हुए. यदि महाराष्ट्र की बात करें तो महाराष्ट्र भी उत्तर प्रदेश से बहुत पीछे नहीं है. इस राज्य के आंकड़े बताते है कि बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के 1940 मामले दर्ज किए गए और केवल 24 पर कार्यवाही हुई जो मात्र एक फीसदी है. कुछ राज्य तो ऐसे है जहां भले ही ऐसे अपराधों की संख्या कम हो लेकिन वहां कोई कार्यवाही किसी मामले में नहीं हुई और जो हुई वह ना के बराबर थी.
ऐसे राज्यों में कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना, केरल, नगालैंड सहित दूसरे राज्य शामिल है. पंजाब में 347 मामले दर्ज हुए और 25 पर कार्यवाही की गई. चंड़ीगढ़ में 29 मामले दर्ज हुई 12 पर कार्यवाही हुई और शेष फाइलों में बंद है.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा खोखला
कॉग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस आंकड़ों को लेकर बयान दिया और कहा कि जिस तरह बच्चों के साथ दुराचार के मामले बढ़ रहे है प्रधानमंत्री मोदी का नारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ केवल खोखला नारा साबित हो गया है. उनकी दलील थी कि जब सरकार प्रत्येक लड़की पर 5 पैसे खर्च करेगी तो उसका सही विकास कैसे हो सकेगा.
उन्होंने पूछा कि सरकार आखिर 2016 से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े क्यों छुपा रही है. यदि 2016 से अब तक की बात करें तो बच्चियों के साथ बलात्कार के 90 हजार मामले लंबित पड़े है. कांग्रेस का दावा था कि जहां-जहां भाजपा की सरकार है वहां महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों को दबाया जा रहा है.