नई दिल्ली, 06 सितंबर: अमेरिका के साथ गुरुवार 06 सितंबर को हुई COMCASA डील भारतीय सेना के लिए काफी अहम है। इस मुद्दा काफी वक्त से चर्चा में था कि क्या इस पर भारत को अमेरिका के साथ COMCASA अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना चाहिए, क्योंकि कुछ लोगों को शक था कि इससे अमेरिका को अनुचित हस्तक्षेप का मौका मिल सकता है। हालांकि गुरुवार को टू प्लस टू वार्ता के दौरान भारत और अमेरिका के बीच यह महत्वपूर्ण सुरक्षा समझौता हो गया।
ये सुरक्षा समझौता कितना अहम है, इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब अमेरिका संवेदनशील सुरक्षा तकनीकों को भी भारत को बेच सकेगा। भारत पहला ऐसा गैर-नाटो देश है, जिसे अमेरिका यह सुविधा देने जा रहा है। इस टू प्लस टू वार्ता पर सबकी निगाहें बनी हुई थी।आखिरकार अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक हुई। पोम्पिओ ने ‘‘संचार, संगतता, सुरक्षा समझौता’ (कॉमकोसा) को संबंधों में ‘मील का पत्थर’ करार दिया, वहीं सीतारमण ने कहा कि करार भारत की रक्षा क्षमता और तैयारियों को बढ़ाएगा।
ये मिलेगा सेना को फायदा
- इस बैठक में यहां दोनों देशों के बीच एक रक्षा करार पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत भारतीय सेना को अमेरिका से महत्वपूर्ण और एन्क्रिप्टिड (कूट रूप से सुरक्षित) रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलेंगी।
- ‘टू प्लस टू’ वार्ता में दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद, एनएसजी की सदस्यता के भारत के प्रयास और विवादित एच1बी वीजा के मुद्दों पर चर्चा की।
- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पिओ तथा रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से वार्ता में दोनों देशों ने उनके बीच हॉटलाइन भी स्थापित करने का फैसला लिया।
- कॉमकोसा करार होने के बाद भारत अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां हासिल कर सकेगा और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतरसक्रियता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक भारत की पहुंच होगी। यह करार अमेरिका से मंगाये गये रक्षा प्लेटफॉर्मों पर उच्च सुरक्षा वाले अमेरिकी संचार उपकरणों को लगाने की भी इजाजत देगा।
सुषमा स्वराज ने कही ये बात
‘टू प्लस टू’ वार्ता से पहले पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के बारे में विदेश मंत्री स्वराज ने बताया कि उन्होंने हाल के महीने में भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा की समीक्षा की और साझा हित वाले विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। तेजी से बढ़ते व्यापार और निवेश संबंधों को द्विपक्षीय रिश्ते का महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए स्वराज ने कहा कि यह वृद्धि अधिक गहन आर्थिक साझेदारी के लिए नये अवसर और आधार को बढ़ा रही है जो विनिर्माण का समर्थन करती है, ज्ञान और नवोन्मेषिता को बढ़ावा देती है, रोजगार सृजन करती है और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण संसाधन मुहैया कराती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी अवधारणा के तौर पर देखते हैं जहां आसियान केंद्रबिंदु में है और एक साझा शासन आधारित व्यवस्था से परिभाषित है जिसका दोनों देश पालन कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अमेरिका द्वारा लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को लेकर हाल ही में की गयी घोषणा का स्वागत किया। वे पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद के खतरे को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की पड़ताल को रेखांकित करते हैं जिसने भारत और अमेरिका दोनों को समान रूप से प्रभावित किया है। 26/11 के हमलों की 10वीं बरसी पर हमने आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं के लिए सजा और इस मामले में न्याय के महत्व को रेखांकित किया।’’
स्वराज ने कहा, ‘‘भारत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति का स्वागत करता है। पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद को समर्थन की नीति रोकने के उनके आह्वान को हमारा समर्थन है।’’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट)