गुजरात दंगा 2002: नरोदा गाम नरसंहार मामले में सभी आरोपी बरी, आरोपियों में भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी शामिल
By रुस्तम राणा | Published: April 20, 2023 06:12 PM2023-04-20T18:12:41+5:302023-04-20T18:29:42+5:30
नरोदा गाम नरसंहार मामले में कुल 86 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। 86 अभियुक्तों में से 18 की बीच की अवधि में मृत्यु हो गई।
अहमदाबाद: साल 2002 में हुए गुजरात दंगे के नरोदा गाम नरसंहार मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित सभी आरोपियों को अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को बरी कर दिया ।इस नरसंहार में एक विशेष समुदाय के 11 लोग मारे गए थे।
मामले में कुल 86 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। 86 अभियुक्तों में से 18 की बीच की अवधि में मृत्यु हो गई। 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में सांप्रदायिक हिंसा में ग्यारह मुसलमान मारे गए थे। यह नरसंहार गोधरा ट्रेन में आग लगाने की घटना के एक दिन बाद हुआ 28 फरवरी को हुआ था। गोधरा कांड में 58 यात्री जिंदा जलकर मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर कारसेवक थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे।
2002 Gujarat riots | All accused acquitted in Naroda Gam massacre case pic.twitter.com/vwk4qryz29
— ANI (@ANI) April 20, 2023
विशेष अभियोजक सुरेश शाह ने कहा कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की और लगभग 13 साल तक चले, जिसमें छह न्यायाधीशों ने लगातार मामले की अध्यक्षता की।
सितंबर 2017 में, भाजपा के वरिष्ठ नेता (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसे यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थी, न कि नरोदा गाम में जहां नरसंहार हुआ था।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस दंगा), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 153 (दंगों के लिए उकसाना) के तहत आरोप लगाए गए थे। इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा मौत है।