लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सत्ता पर काबिज होने के छह साल बाद योगी सरकार ने बिजली उत्पादन में इजाफा करने के लिए मंगलवार को दो पावर प्लांट लगाने का फैसला किया है। 800 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता वाले यह पावर प्लांट यूपी के सोनभद्र जिले में ओबरा डी के नाम से स्थापित किए जाएंगे।
सूबे की सरकार यह पावर प्लांट एनटीपीसी के सहयोग से स्थापित करेगी। पावर प्लांट की स्थापना में यूपी सरकार और एनटीपीसी की 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी।
पावर प्लांट की लागत पर उठे सवाल
मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है। सरकार के इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की मांग भी होने लग गई है। कहा जा रहा है कि उक्त पावर प्लांट की लागत 11.25 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट तय की गई है जो बहुत अधिक है।
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कैबिनेट बैठक में लिए इस महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी दी है। ऊर्जा मंत्री के अनुसार, 800-800 मेगावाट क्षमता के लगाए जाने वाले दो प्लांट में पहला पावर प्लांट 50 महीने में और दूसरा पावर प्लांट 56 महीने में बनकर तैयार होगा।
इस पावर प्लांट की क्या है खूबी
इन दोनों पावर प्लांट की स्थापना में कुल 17985 करोड़ रुपए की लागत आएगी और यह राज्य की पहली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट होगी। इस पावर प्लांट में कोयले का उपयोग कम होगा। सोनभद्र में जहां यह पावर प्लांट लगाए जाएँगे वहाँ कोल माइंस एनसीएल है, जहां से दोनों पावर प्लांट को कोयला मिलेगा।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सूबे की सरकार 5.50 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद रही है, जबकि इस पावर प्लांट से प्रदेश सरकार 4.79 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद पाएगी। यानि राज्य के लोगों को एक रुपए प्रति यूनिट सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।
राज्य में पावर प्लांट लगाने वाले सीएम बने योगी आदित्यनाथ
ऊर्जा मंत्री के अनुसार यूपी में अभी थर्मल सेक्टर में अभी बिजली उत्पादन की क्षमता 7 हजार मेगावाट है। जो पावर प्लांट लगने जा रहे है वह राज्य को 1600 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराएंगे। पावर प्लांट के चालू होने पर यूपी देश का एनर्जी का हब बन सकता है। फिलहाल मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाम भी सूबे के उन मुख्यमंत्रियों की सूची में शामिल हो गया, जिसके शासन में पावर प्लांट लगाने का फैसला हुआ।
इसके पहले एनडी तिवारी, मुलायम सिंह, कल्याण सिंह, मायावती और अखिलेश यादव ने राज्य में पावर प्लांट लगाने का फैसला किया था। अब सूबे में छह साल से सीएम की कुर्सी पर बैठे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दो पावर प्लांट स्थापित करने की फाइल पर अपनी मोहर लगा दी है।
सरकार के फैसले पर जताई आपत्ति
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अप्रैल 2023 केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर इस परियोजना की लागत 11.25 करोड़ प्रति मेगावाट को बहुत अधिक बताया गया था। तब कहा गया था कि यह परियोजना 8.34 करोड़ प्रति मेगा वाट के ऊपर अनुमोदित किया जाना पुनर्विचार करने योग्य है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने एनटीपीसी को इस परियोजना की डीपीआर बनाने का आदेश दिया था। अब एनटीपीसी के साथ मिलकर पावर प्लांट लगाया जा रहा है। सरकार के फैसले के अनुसार एनटीपीसी अब इस परियोजना का 50 प्रतिशत का मालिक बन गया है। यह इनसाइडर ट्रेडिंग का बड़ा मामला है,जिस पर भविष्य में जांच हो सकती है।
पावर प्लांट लगाने पर उठे ये सवाल
अवधेश प्रसाद के अनुसार, अप्रैल 2023 में ऊर्जा मंत्रालय ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण से एक ऑप्टीमल जनरेशन मिक्स 2030 नामक एक रिपोर्ट तैयार करवाई थी। इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि वर्ष 2022 -30 के बीच जो परियोजनाएं कोयले पर आधारित आने वाली है, उनकी प्रति मेगा वाट परियोजना कॉस्ट लगभग 8.34 करोड से 7.85 करोड प्रति मेगा वाट के बीच होगी।
जबकि यूपी सरकार जो दो पावर प्लांट लगाने जा रही है, उसकी लागत 11 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट से अधिक है। इस बढ़ी लागत का खामियाजा प्रदेश की जनता को 25 वर्षों तक झेलना पड़ेगा। इसलिए इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है।