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गांधी जयंती के अवसर पर ऐसे कीजिए भाषण और निबंध की तैयारी, शामिल कीजिए ये रोचक बातें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: October 1, 2018 15:14 IST

2 October Gandhi Jayanti 2018: Speech and Essay in Hindi: 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर प्रभावी भाषण कैसे दें? हमने आपकी मुश्किल आसान करते हुए इस लेख में बताएं हैं भाषण और निबंध लिखने के तरीके और एक सैम्पल।

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2 अक्टूबर को भारत की बहुत महत्वपूर्ण तारीख है। इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। पूरे देश में इस दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती के अवसर पर स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोग महात्मा गांधी को याद करते हुए देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होते हैं। गांधी जी की सादगी और उनके दिखाए कर्तव्य मार्ग का जिक्र होता है। इस मौके पर प्रभावी भाषण कैसे दें? आइए, हम आपकी परेशानी को आसान कर देते हैं।

गांधी जयंती पर भाषण और निबंध की तैयारी कैसे करें?

- प्रभावी भाषण के लिए सबसे पहली शर्त है विषय की समझ। गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के बारे में बिना कुछ जाने आप बोल नहीं पाएंगे। इसलिए उनसे जुड़ी जानकारियां इकट्ठी करें। 

- सिर्फ विषय की समझ होना काफी नहीं है। उस विषय पर बोलते वक्त आपके चेहरे पर चमक तभी आएगी जब आपकी उस विषय पर पकड़ होगी। इसलिए जरूरी है कि आप उसे रोजमर्रा के जीवन से जोड़ें। मसलन- गांधी जी की कही बातों का लोग कैसे अनुपालन कर सकते हैं।

- आपको अपने विषय के कुछ इंटरेस्टिंग डाटा जरूर तैयार करके बोलने जाना चाहिए, डाटा या आंकड़े देने से आपकी बातों में वजन आता है। आपको गांधी जी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं की तारीखों का पता होना चाहिए।

- भाषण देते समय वक्ता के अंदर ऊर्जा बहुत जरूरी है। इसे प्रदर्शित करने के लिए स्लोगन, गीत या चुटीले वाक्यों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आप भी गांधी जी के कथन से ही भाषण की शुरुआत कर सकते हैं। बीच-बीच में भी उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

आपकी सुविधा के लिए हम गांधी जयंती पर भाषण का एक सैंपल दे रहे हैं। ऊपर दिए गए निर्देशों और नीचे भाषण से तथ्य लेकर आप भी अपना भाषण तैयार कर सकते हैं।

आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय, सम्मानित भद्रजनों और मेरे प्यारे भाइयों-बहनों!

हम सब यहां पर एक ऐसी शख्सियत की जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं जिससे हमारे राष्ट्र की पहचान जुड़ी हुई है। एक ऐसी शख्सियत जिसके बताए मार्गों का अनुसरण करते हुए हम आजादी के 70 साल पार कर चुके हैं। आगे भी उन्हीं के रास्तों पर चलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन है। गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष पूरे उत्साह के साथ हम देश खड़ा होता है साथ ही साथ अंग्रेजी शासन से देश के लिये स्वतंत्रता संघर्ष के रास्ते में उनके हिम्मतपूर्णं कार्यों को याद करता है।

महात्मा गांधी अपना जीवन सत्य का प्रयोग मानते हैं। सत्य और अहिंसा की प्रतिमूर्ति महात्मा गांधी के जन्मदिन को पूरी दुनिया अहिंसा दिवस के रूप में मनाती है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्ररीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया है। आज प्रतीत होता है कि हम उनके बताए मार्ग से विमुख होते जा रहे हैं ऐसे में गांधी जयंती से आयोजन बहुत जरूरी हो जाते हैं। इससे लोगों को उस महान शख्सियत के बारे में और उनके विचारों के बारे में पता चल सके।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था जबकि उन्होंने अपने पूरे जीवनभर बड़े-बड़े कार्य किये। वह एक वकील थे और उन्होंने अपनी कानून की डिग्री इंग्लैंड से ली और वकालत दक्षिण अफ्रीका में किया। “सच के साथ प्रयोग” के नाम से अपनी जीवनी में उन्होंने स्वतंत्रता के अपने पूरे इतिहास को बताया है। जब तक की आजादी मिल नहीं गयी वह अपने पूरे जीवन भर भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजी शासन के खिलाफ पूरे धैर्य और हिम्मत के साथ लड़ते रहे।

गांधी जी सादा जीवन उच्च विचार के सच्चे द्योतक थे। मांस-मंदिरा, धूम्रपान और छूआ-छूत के कट्टर विरोधी महात्मा गांधी की जयंती पर शराब की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होती है। यह भी एक संदेश है कि शराब जैसी बुराई से दूर हो जाना चाहिए। 

अंत में मैं महात्मा गांधी के कुछ कथनों को आपसे साझा करना चाहता हूं ताकि उनसे प्रेरणा लेकर आप आगे का मार्ग प्रशस्त कर सकें।

- भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है।

जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर है।

भविष्य में क्या होगा, मैं यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।

कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।

लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना।

हमें स्वच्छता और सफाई का मूल्य पता होना चाहिए। गंदगी को हमें अपने बीच से हटाना होगा...क्या स्वच्छता स्वयं ईनाम नहीं है?

सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं।

उस पल, जब हम किसी व्यक्ति के मकसद पर शक जताते हैं; वह कुछ भी करे बेकार ही रहता है।

सच्चे प्रजातंत्र में नीचे से नीचे और ऊंचे से ऊंचे आदमी को समान अवसर मिलने चाहिए।

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है।

मैं सिर्फ लोगों के अच्छे गुणों को देखता हूँ, ना कि उनकी गलतियों को गिनता हूँ।

एकबार फिर महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए और उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा लेते हुए मैं अपनी वाणी को यहीं विराम देता हूं। 

जय हिंद।

धन्यवाद।

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