मराठवाड़ा में बीड़ से सबसे अधिक उम्मीदवार लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, दूसरे और तीसरे चरण की भी स्थिति हुई साफ
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2019 07:56 AM2019-04-09T07:56:17+5:302019-04-09T07:56:17+5:30
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में औरंगाबाद और जालना में होने जा रहे चुनाव के उम्मीदवारों की स्थिति साफ हो गई. दोनों स्थानों पर नाम वापसी के आखिरी दिन औरंगाबाद में सात उम्मीदवारों ने नाम वापस लिये, जबकि जालना में नौ उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस लिये. औरंगाबाद में नाम वापस लेने वालों में कांग्रेस के बागी नेता विधायक अब्दुल सत्तार भी थे.
अमिताभ श्रीवास्तव
लोकसभा चुनाव के लिए मराठवाड़ा में दूसरे और तीसरे चरण में होने जा रहे मतदान के लिए पूरे संभाग की स्थिति साफ हो गई. इस बार सबसे अधिक उम्मीदवार बीड़ से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, जबकि सबसे कम उम्मीदवार लातूर से होंगे. संभाग की आठ लोकसभा सीटों पर इस बार 162 उम्मीदवार अपनी किस्मत अजमाने जा रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में औरंगाबाद और जालना में होने जा रहे चुनाव के उम्मीदवारों की स्थिति आज साफ हो गई. दोनों स्थानों पर नाम वापसी के आखिरी दिन औरंगाबाद में सात उम्मीदवारों ने नाम वापस लिये, जबकि जालना में नौ उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस लिये. औरंगाबाद में नाम वापस लेने वालों में कांग्रेस के बागी नेता विधायक अब्दुल सत्तार भी थे.
संभाग में नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की स्थिति साफ हो जाने के बाद सर्वाधिक 36 उम्मीदवार बीड़ में बचे हैं, जबकि दूसरे स्थान पर हिंगोली है, जहां 28 प्रत्याशी अपनी किस्मत अजमाएंगे. बीते चुनावों में भी बीड़ में सर्वाधिक 39 प्रत्याशी चुनाव में कूदे थे. पिछली बार की तुलना में मराठवाड़ा के हर लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. मगर सर्वाधिक अंतर उम्मानाबाद में दर्ज किया गया है, जहां पिछली बार 27 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. इस बार वहां केवल 14 उम्मीदवार ही मैदान में हैं.
मराठवाड़ा में आठ लोकसभा क्षेत्र निर्धारित होने के बाद बीते चुनावों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 1999 में सबसे कम उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. उस वर्ष केवल इकाई संख्या में प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें सबसे कम तीन उम्मीदवार हिंगोली में थे.
हालांकि आठ लोकसभा सीटों के गठन के बाद वर्ष 1977 में हुए पहले चुनाव में नांदेड़, बीड़, जालना से मात्र दो उम्मीदवार चुनाव लड़े थे. उसके बाद तीन और उससे आगे का ही आंकड़ा चुनाव मैदान में दिखाई दिया. सभी आठ लोकसभा सीटों के 13 चुनावों की तुलना में सर्वाधिक उम्मीदवार 196 थे, जो 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के मैदान में थे, वहीं आठ सीटों के गठन के बाद हुए चुनावों में सबसे कम 32 उम्मीदवार चुनावी समर में दिखाई दिए थे.