JNU हिंसा मामले में सर्विलांस पर 10 हज़ार मोबाइल फोन नंबर, पुलिस को सीसीटीवी से नहीं मिल रहे सुराग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 8, 2020 10:34 AM2020-01-08T10:34:58+5:302020-01-08T10:34:58+5:30
दिल्ली पुलिस सुराग जुटाने के लिए जेएनयू व उसके आसपास के क्षेत्रों में घटना के समय मौजूद 10 हजार मोबाइल नंबरों को भी खंगाल रही है। बता दें कि इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है।
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि हिंसा वाले स्थान पर सीसीटीवी कैमरा नहीं होने की वजह से सुराग नहीं मिल पा रहे हैं। इस मामले में पुलिस मेन गेट पर लगे सीसीटीवी से फुटेज खंगाल रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस सुराग जुटाने के लिए जेएनयू व उसके आसपास के क्षेत्रों में घटना के समय मौजूद 10 हजार मोबाइल नंबरों को भी खंगाल रही है। बता दें कि इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है। पुलिस ने संदिग्ध लोगों की पहचान के लिए भी मौके पर मौजूद लोगों व आसपास रहने वाले लोगों से मदद मांगी है।
इसके अलावा पुलिस अधिकारियों की मानें तो चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर की भी मदद से पुलिस आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
बता दें कि बीते रविवार को दिल्ली स्थित जेएनयू में लगभग चार घंटे तक हिंसा की स्थिति बनी रही। नकाबपोश बदमाश छात्रों पर चुन चुनकर हमला करते रहे। इसके बावजूद पुलिस तब पहुंची जब बदमाश अपना काम कर चुके थे।
दरअसल, दोपहर 2.30 बजे नकाबपोश "उपद्रवियों" को पहली बार जेएनयू के अंदर इकट्ठा होते देखा गया था। इसके बाद जांच में यह बात सामने आई है कि कुल 23 कॉल कैंपस के अंदर से पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) में गए थे। इतने के बावजूद जेएनयू की तरफ से रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने 7.45 बजे दिल्ली पुलिस को एक आधिकारिक पत्र सौंपकर "परिसर में बढ़ती नकाबपोश बदमाशों की उपस्थिति को लेकर पुलिस सुरक्षा की मांग की थीं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को सूचना देने में इतना समय क्यों लगाया था!
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह उस दिन की घटनाओं के क्रम का विवरण देने वाली एक पुलिस रिपोर्ट में महत्वपूर्ण बात सामने उभर कर आई है। सैकड़ों नकाबपोश व्यक्ति लगभग तीन घंटे तक परिसर के अंदर हंगामा करते रहे, इस दौरान उन्हें किसी ने नहीं रोका। न पुलिस ने और न ही जेएनयू के सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोका। शाम 6 बजे से शुरू होने वाली यह हिंसा लगभग तीन घंटे तक चली जिसमें कुल 36 छात्र व शिक्षक घायल हुए।
दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को सौंपी गई रिपोर्ट को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे जाने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट सुबह 8 बजे से घटनाओं को रिकॉर्ड करती है। उस समय से जब जेएनयू प्रशासन ब्लॉक में 27 पुलिसकर्मी महिलाओं सहित सादे लिबास में ड्यूटी के लिए पहुंचे।
सूत्रों ने कहा कि वहां मौजूद पुलिस का काम उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में कैंपस में कोई भी धरना या प्रदर्शन ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में न हो, ऐसा सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा कि टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर आनंद यादव कर रहे थे और उनके पास कोई हथियार या लाठी नहीं थी। रिपोर्ट, दोपहर 2.30 बजे से कॉल को विस्तार से बताती है।
सूत्रों ने कहा कि दोपहर 2.30 बजे से दोपहर 3.30 बजे, 1 पहली पीसीआर कॉल जाती है- यह जेएनयू कॉम्प्लेक्स के अंदर एक "झगड़े" के बारे में एक चेतावनी थी। फोन करने वाले ने "बदमाशों या जेएनयू के छात्रों को संदर्भित किया। शिकायत कर रहे छात्र ने बताया कि ज्यादातर बदमाशों के चेहरे मफलर और कपड़े से ढके हुए थे। बदमाशों ने "प्रशासन भवन के आसपास छोटे समूहों में इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने उन्हें "100 मीटर के निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया।"