फिल्मकार सेर्गे आइसेन्स्टाइन की जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 22, 2018 08:34 AM2018-01-22T08:34:48+5:302018-01-22T09:37:05+5:30
सेर्गे आइसेन्स्टाइन को बैटलशिप पोटमकीन (1925), अक्टूबर (1928) और एलेक्जेंडर नेवस्की (1938) और इवान दी टेरिबल (1944,1958) जैसी फिल्मों के लिए याद किया जाता है।
गूगल ने रूसी फिल्मकार सेर्गे आइसेन्स्टाइन को उनकी 120वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। 22 जनवरी 1898 को जार शाही रूसी साम्राज्य के लातविया में जन्मे आइसेन्स्टाइन सिनेविधा के पुरुधाओं में गिने जाते हैं। उन्हें सिनेमा की अत्यधिक प्रभावशाली तकनीक "मोंटाज" का जन्मदाता माना जाता है। उनकी फिल्म बैटलशिप पोटमकीन (1925) में इस तकनीक से फिल्माय गया दृश्य कल्ट बन चुका है। इसके अलावा स्ट्राइक (1925), अक्टूबर (1928) और एलेक्जेंडर नेवस्की (1938) और इवान दी टेरिबल (1944,1958) जैसी फिल्मों के लिए याद किया जाता है।
आइसेन्स्टाइन के पिता आर्किटेक्चर थे। उनकी माँ जर्मन कारोबारी की बेटी थीं। आइसेन्स्टाइन ने पेट्रोग्राद इंस्टीट्यू ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। इंजीनियर बनने के बाद वो अपने पिता के संग काम करने लगे थे। 1918 में वो जार शाही के खिलाफ आंदोलन कर रहे बोल्शेविक क्रांतिकारियों की रेड आर्मी में शामिल हो गये। रुसी क्रांति ने आइसेन्स्टाइन के जीवन में निर्णायक असर डाला। उन्होंने लिखा है कि अगर क्रांति न हुई होती तो अपने पिता की तरह इंजीनियरिंग के काम से ही जुड़े रह जाते। आइसेन्स्टाइन का मानना था कि क्रांति ने उन्हें कलाकार बना दिया। रूसी क्रांति की दौरान आइसेन्स्टाइन ने अक्टूबर क्रांति के दौरान बोल्शेविक पार्टी के प्रोपगैण्डा विभाग में भी काम किया। इस दौरान उनका कबुकी रंगमंच और जापानी भाषा से परिचय हुआ। उन्होंने करीब 300 कांजी चरित्रों का अध्ययन और विश्लेषण किया। आइसेन्स्टाइन ने अपने सिनेकला पर कांजी चित्रों के प्रभाव का खुद जिक्र किया है। आइसेन्स्टाइन इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जापान की यात्रा भी की।
1920 में आइसेन्स्टाइन ने मॉस्को में अपने रंगमंच जीवन शुरू किया। रंगमंच से वो धीरे-धीरे फिल्म निर्माण की तरफ मुड़े। 1925 में उनकी पहली फुल-लेंथ फिल्म स्ट्राइक रिलीज हुई। लेकिन उसी साल आई बैटलशिप पोटेमकीन ने उन्हें विश्व सिनेमा के शीर्षस्थ फिल्मकारों में स्थापित कर दिया। ये फिल्म और इसका मोंटाज सीन कल्ट क्लासिक बन गया। फिल्म में रूसी नौसेना द्वारा ज़ार शाही के खिलाफ बग़ावत को दिखाया गया है।
देखें: फिल्मकार सर्गे आइसेन्स्टाइन पर वीडियो
हॉलीवुड के प्रोडक्शन हाउस पैरामाउंट पिक्चर्स की निमंत्रण पर मई 1930 में आइसेन्स्टाइन अमेरिका पहुंचे। हॉलीवुड में आइसेन्स्टाइन का अनुभव सुखद नहीं रहा। पैरामाउंट पिक्चर्स को उनके सुझाए आइडिया पसंद नहीं आए। बोल्शेविक कम्युनिस्ट आइसेन्स्टाइन का अमेरिका के कुछ प्रमुख प्रोड्यूसरों और डायरेक्टरों से वैचारिक मतभेद भी हुआ। अक्टूबर 1930 में वो बगैर कोई फिल्म बनाए रूस लौट आए। रूस लौटन के बाद आइसेन्स्टाइन ने कुछ साल तक फिल्म इंस्टीट्यूट में शिक्षण भी किया। 1938 में उन्होंने एलेक्जेंडर नेवस्की (1938) बनायी।
तत्कालीन तानाशाह जोसेफ स्टालिन की मंजूरी के बाद 1944 में उन्होंने "इवान दी टेरिबल" बनायी। आइसेन्स्टाइन ने 1958 में "इवान दी टेरिबल" का दूसरा भाग बनाया। माना जाता है कि रूसी अधिकारियों को फिल्म का दूसरा भाग पसंद नहीं आया। "इवान दी टेरिबल" की कहानी आइसेन्स्टाइन तीन भाग में बनाना चाहते थे लेकिन वो तीसरा भाग पूरा नहीं कर सके। तीसरे भाग के लिए शूट की गयी रील को रूसी अधिकारियों ने जब्त करके नष्ट कर दिया। 1946 में आइसेन्स्टाइन को दिल का दौरा पड़ा। वो उससे पूरी तरह उबर नहीं पाये। आइंजस्टाइन का जन्म 11 फ़रवरी 1948 में उनका देहांत हुआ।