Major Dhyan Chand Birthday Special: जब हॉकी स्टिक तोड़कर किया गया था अपमानित, जानिए 'दद्दा' के बारे में 10 खास बातें

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Updated: August 29, 2020 09:16 IST2020-08-29T09:16:39+5:302020-08-29T09:16:39+5:30

हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है...

Major Dhyan Chand Birthday Special: 10 interesting facts about the Hockey Wizard Major Dhyan Chand | Major Dhyan Chand Birthday Special: जब हॉकी स्टिक तोड़कर किया गया था अपमानित, जानिए 'दद्दा' के बारे में 10 खास बातें

Major Dhyan Chand Birthday Special: जब हॉकी स्टिक तोड़कर किया गया था अपमानित, जानिए 'दद्दा' के बारे में 10 खास बातें

Highlightsमेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था।भारत को ओलंपिक मे दिलाए तीन गोल्ड।लगातार तीन बार किया ओलंपिक में हॉकी के गोल्ड मेडल पर कब्जा।

अपने करिश्माई खेल से हॉकी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। ध्यानचंद को उनके बेहतरीन खेल के लिए जाना जाता है, लेकिन यह बात कम लोगों को ही पता है कि मेजर ध्यानचंद के बेटे और भारत के महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक थे और शानदार गोल कर कर आजाद भारत को एकमात्र वर्ल्ड कप दिलाया था।

मेजर ध्यानचंद ने साल 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन बार ओलंपिक में हॉकी के गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। 1936 में बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद के कमाल के 40 साल बाद साल 1975 के वर्ल्ड कप में उनके बेटे अशोक कुमार ध्यानचंद ने पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल किया था।

ध्यानचंद की जयंती को पूरे देश में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीदरलैंड में इस महानतम हॉकी खिलाड़ी को अपमानित भी किया गया था और वो भी उनकी हॉकी स्टिक तोड़कर।

जी हां, ये बात उस वक्त की है, जब ध्यानचंद 16 साल के थे। वह उन दिनों भारतीय सेना के साथ जुड़े हुए थे। नीदरलैंड में खेल अधिकारियों को ध्यानचंद की हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका नजर आई, जिसके बाद उन्होंने इसे तोड़ा और जांचा, लेकिन उनको ऐसा कुछ नजर नहीं आया।

साल 1936 में आलंपिक खेलों के दौरान जर्मनी के खिलाफ ध्यानचंद मुकाबला खेल रहे थे। इस बीच उनके स्पाइक्स वाले जूत और यहां तक की मोजे तक उतरवा दिए गए। वह दूसरे हाफ में नंगे पैर ही खेले और तीन गोल भी दागे।

आइए जानते हैं मेजर ध्यानचंद से जुड़ी रोचक बातें...

1. महान हॉकी खिलाड़ी रहे ध्यानचंद को बचपन में कुश्ती से प्यार था और पहलवान बनना चाहते थे लेकिन किस्मत ने उनके लिए महान हॉकी खिलाड़ी बनना तय कर रखा था।

2. ध्यान सिंह को ध्यान चंद नाम इसलिए मिला क्योंकि वह देर रात चांद की रोशनी में प्रैक्टिस किया करते थे। इसलिए उनके साथी उन्हें ध्यान चंद कहकर बुलाने लगे।

3.जर्मनी का तानाशाह ध्यानचंद के खेल से इस कदर प्रभावित था कि उन्हें जर्मनी की नागरिकता और सेना में कर्नल का पद दिया था। लेकिन देशभक्त ध्यानचंद ने इसे ठुकरा दिया था।

4.ध्याचंद के जादुई खेल से विपक्षी टीमें इस कदर डरी हुई थीं कि एक बार विदेशी दौरे पर नीदरलैंड्स के अधिकारियों ने उनकी हॉकी स्टिक तोड़कर इस बात की जांच की थी कि कहीं उनकी हॉकी में चुंबक तो नहीं है।

5.1936 में एक मैच के दौरान जर्मनी के गोलकीपर टिटो वार्नहोल्ट्ज से टक्कर होने के कारण ध्यानदंच का एक दांत टूट गया था।

6.ध्यानचंद ने अपने लाजवाब इंटरनेशनल करियर में 400 से ज्यादा गोल दागे, जिनमें 101 ओलंपिक गोल और 300 बाकी मैचों में दागे गए थे।

7.ध्यानचंद महज 16 साल की उम्र में सिपाही के रूप में सेना में भर्ती हुए थे और वह मेजर रैंक पर रहते हुए रिटायर हुए।

8. भारत ने 1932 ओलंपिक में यूएसए को 24-1 और जापान को 11-1 से मात दी थी। इन दो मैंचों में भारत की तरफ से किए गए 35 गोलों में ध्यानचंद ने 12 और रूप सिंग ने 13 गोल दागे थे। इस प्रदर्शन के बाद ये दोनों 'हॉकी जुड़वा' नाम से विख्यात हो गए।

9. एक मैच के दौरान ध्यानचंद गोल नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने मैच रेफरी से गोलपोस्ट की माप को बहस की। आपको ये जानकार हैरानी होगी की जब गोलपोस्ट को नापा गया तो उसकी चौड़ाई तय अंतरराष्ट्रीय नियमों से कम नहीं निकली।

10. ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार भी बेहतरीन हॉकी  खिलाड़ी रहे। अशोक ने 1975 वर्ल्ड कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल दागते हुए भारत को हॉकी का एकमात्र वर्ल्ड कप जिताया था।

Web Title: Major Dhyan Chand Birthday Special: 10 interesting facts about the Hockey Wizard Major Dhyan Chand

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