13 साल की उम्र से पहले हो जाए पीरियड्स तो जान को है ये खतरा, रिसर्च में हुए और भी चौकाने वाले खुलासे

By गुलनीत कौर | Published: January 16, 2018 02:40 PM2018-01-16T14:40:37+5:302018-01-16T14:43:15+5:30

उम्र से पहले पीरियड्स हो जाने से प्रेग्नेंसी में गर्भपात, मृत प्रसव जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।

women who start menstruating or hit their menopause early could be at greater risk of heart diseases | 13 साल की उम्र से पहले हो जाए पीरियड्स तो जान को है ये खतरा, रिसर्च में हुए और भी चौकाने वाले खुलासे

13 साल की उम्र से पहले हो जाए पीरियड्स तो जान को है ये खतरा, रिसर्च में हुए और भी चौकाने वाले खुलासे

पीरियड्स होना और इसका रुक जाना पूर्ण रूप से एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इन दोनों को ही कंट्रोल नहीं किया जा सकता और यदि किया भी जाए तो इसका हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार पहली बार पीरियड्स होने की उम्र और उसके रुकने यानी मीनोपॉज की उम्र का लड़की के शरीर पर खास प्रभाव पड़ता है। 

13 की उम्र में पहले पीरियड्स

जर्नल हार्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक औसतन लड़कियों को 13 वर्ष की उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। लेकिन अगर यह 13 से पहले हो जाए तो स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं। रिपोर्ट की मानें तो वे लड़कियां जिन्हें 11 वर्ष की उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं उनके लिए हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। वहीं अगर 47 की उम्र में महिला मीनोपॉज में एंटर हो जाए तो इसके कारण हार्ट डिजीज का खतरा 40 प्रतिशत बढ़ जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए इस शोध में वर्ष 2006 से 2016 के बीच अनगिनत महिलाओं को शामिल किया गया। शुरुआती स्तर पर 56 वर्षीय महिलाओं को इस शोध का हिस्सा बनाया गया, लेकिन बाद में टीनएज लड़कियों से लेकर प्रेग्नेंट महिलाएं भी इसमें शामिल की गईं। शोधकर्ताओं का कहना है कि वो लड़कियां जिन्हें 13 वर्ष की उम्र में पहली बार पीरियड्स हो जाते हैं वे 26 की उम्र में पहला बच्चा डिलीवर करती हैं और औसतन 50 की उम्र तक आते-आते मीनोपॉज में एंटर कर जाती हैं। 

जल्दी पीरियड्स होने का नुकसान

लेकिन सामान्य उम्र से हटकर अगर किसी लड़की को 12 वर्ष की उम्र में पहले पीरियड्स हो जाएं तो उसके लिए हृदय रोग का खतरा अन्य की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ जाता है। इन्हीं लड़कियों को 47 या 50 की उम्र से पहले ही मीनोपॉज हो जाने का खतरा भी होता है। इसके अलावा जल्दी पीरियड्स होने का एक बुरा प्रभाव प्रेग्नेंसी पर भी होता है। गर्भपात, प्रेग्नेंसी कंसीव करने में देरी और यहां तक कि मृत प्रसव भी इसका परिणाम बन सकता है। 

मीनोपॉज हालांकि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इस फेज में एंटर करने के बाद महिलाएं विभिन्न रोगों का शिकार हो जाती हैं। घुटनों में दर्द, स्वभाव में चिढ़चिढापैन, माइग्रेन, स्किन संबंधी ग्ताक्लीफें, आदि होने लगती हैं। दरअसल पीरियड्स के दौरान महिलाओं की बॉडी से कई तरह के बुरे हार्मोन्स रिलीज हो जाते हैं, लेकिन मीनोपॉज के बाद ये शरीर के अन्दर ही इकट्ठे होते रहते हैं और कई तरह के रोगों को जन्म देते हैं। 

मीनोपॉज का स्वास्थ्य पर अधिक बुरा प्रभाव ना हो इसके लिए महिलाएं स्वयं कुछ तरीके अपना सकती हैं। अगर रोजाना की डायट में कुछ बदलाव लाए जाएं तो मीनोपॉज से होने वाली परेशानियों को काफी कम किया जा सकता है। जानें कैसे- 

- अधिक से अधिक कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें
- रोज की डायट में आयरन और फाइबर की मात्रा बढ़ा दें
- सुबह-शाम दो बार हरी सब्जियां और फल खाएं
- बॉडी को हाइड्रेट रखने की कोशिश करें, अधिक से अधिक पानी पिएं
- बॉडी वेट को मेनटेन रखने की कोशिश करें

Web Title: women who start menstruating or hit their menopause early could be at greater risk of heart diseases

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