WHO की रिपोर्ट, "पूरी दुनिया में हर छठें में से एक बांझपन से प्रभावित है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 4, 2023 07:31 PM2023-04-04T19:31:35+5:302023-04-04T19:35:10+5:30
डब्ल्यूएचओ की ओर से प्रकाशित की गई एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर हर छह में से एक व्यक्ति या महिला बांझपन से प्रभावित है।
दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से मंगलवार को प्रकाशित की गई एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर हर छह में से एक व्यक्ति या महिला बांझपन से प्रभावित है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक लगभग 17.5 फीसदी वयस्क आबादी बांझपन के अनुभवों से गुजरती है। जिससे पता चलता है कि संतान पाने के इच्छुक जरूरतमंदों तक सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली प्रजनन देखभाल की सभी जरूरी मदद तत्काल पहुंचाने की आवश्यकता है।
डब्ल्यूएचओ के नए अनुमान के अनुसार बांझपन की उच्च दरें मध्यम और निम्न आय वाले देशों में बहुत ज्यादा है। इस कारण यह विश्व स्तर पर एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उच्च आय वाले देशों में भी 17.8 फीसदी बांझपन की समस्याएं हैं, जबकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 16.5 फीसदी है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस ने कहा, "इस रिपोर्ट से एक महत्वपूर्ण तथ्य यह सामने आया है कि बांझपन अमीरों और गरीबों में कोई भेदभाव नहीं करता है।"
उन्होंने कहा, "प्रभावित लोगों का विशाल अनुपात को देखते हुए यह आवश्यक है कि प्रजनन देखभाल की जरूरतों को और व्यापक तक पहुंचाने के लिए काफी कार्य की आवश्यकता है और अब इस मुद्दे को लेकर किये जा रहे स्वास्थ्य अनुसंधान और नीतियों को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।"
मालूम हो कि बांझपन पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है, जिसे 12 महीने या उससे अधिक नियमित असुरक्षित संभोग के बाद भी गर्भावस्था न होने की दशा में परिभाषित किया जाता है। इसके कारण लोगों पर मानसिक और सामाजिक प्रभावित पड़ता है।
बांझपन की भयावह समस्या की रोकथाम के लिए कई निदान और उपचार मौजूद हैं, जिनमें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी सहायक प्रजनन तकनीक काफी लोकप्रिय है। लेकिन इसकी लागत काफी होने के कारण समाज में इसकी सीमित उपलब्धता है।
डब्ल्यूएचओ में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अनुसंधान के निदेशक पास्कल एलोटे ने कहा, "लाखों लोगों को बांझपन के इलाज में काफी खर्च करना पड़ता है, जिसके कारण इसका इलाज आम समाज में लोकप्रिय नहीं है और अक्सर प्रभावित लोगों की चिकित्सा उन्हें गरीबी की जाल में फंसा देती है।"
एलोटे ने कहा, "बांझपन पर काबू पाने के लिए बेहतर नीतियां और सार्वजनिक सस्ते उपचार में काफी सुधार करने की आवश्यकता है ताकि गरीब परिवारों को भी इसका लाभ मिल सके।"