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धीरे-धीरे दिल, दिमाग, शरीर को खोखला कर देती है ये बीमारी, कामकाजी लोगों को ज्यादा खतरा, ऐसे बचें

By उस्मान | Updated: May 28, 2019 13:24 IST

अगर आपको हर समय थकान रहती है, किसी काम में मन नहीं लगता, ऐसा महसूस होता है जैसे आपके पास किसी काम को करने की ऊर्जा ही नहीं बची या आप हमेशा उदास रहते हैं, तो आप इस बीमारी से पीड़ित हैं.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'बर्नआउट' (Burnout) को अब आधिकारिक रूप से बीमारी घोषित कर दिया है। संगठन ने इसे अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन डिजीज (ICD) में शामिल किया है। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें प्रभावित व्यक्ति लंबे समय से मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक थकावट से परेशान रहता है। चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में- 

बर्नआउट (Burnout) क्या है?

एक्सपर्ट मानते हैं कि यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को हर समय थकान रहती है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता है। ऐसा महसूस होता है जैसे उसके पास किसी काम को करने की ऊर्जा ही नहीं बची है। व्यक्ति हमेशा थका हुआ और उदास रहता है। इतना ही नहीं, व्यक्ति यह समझ नहीं पाता है कि वो क्यों परेशान है। कुछ मामलों में व्यक्ति खुद को काम के बोझ का मारा समझता है। अगर इस तरह के लक्षण आपको महसूस होते हैं, तो समझ लें कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं।

एक्सपर्ट मानते हैं कि दफ्तर में काम करने वाले अधिकतर लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। यही वजह है कि कुछ देशों में कंपनियां इस तरह के लोगों को विशेष छुट्टियां देती हैं ताकि वो फ्रेश होकर अपना काम कर सकें। 

बर्नआउट (Burnout) के लक्षण

- अगर आप हमेशा थकान महसूस करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। थकान भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक हो सकती है। - आपके भीतर ऊर्जा खत्म होना या भीतर से आपको लगातार प्रेरणा की कमी का अहसास होता रहता है, तो सतर्क हो जायें। - अगर आप हमेशा चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं या अन्य नकारात्मक भावनायें रहती हैं, तो यह ठोस कदम उठाने का समय है। - इस रोग से पीड़ित लोग काम पर प्राथमिकतायें तय नहीं कर पाते हैं। - बेकार की बहस में पड़ना, सहकर्मियों और परिवार वालों से बात करनी बिलकुल ही बंद कर देना। - परेशान होकर अपना ख्याल नहीं रखना।

किन लोगों को है बर्नआउट का ज्यादा खतरा

- एक अध्ययन के अनुसार, लंबी दूरी का सफर तय करके काम पर जाने से तनाव और बर्नआउट का खतरा होता है।- पर्फेक्शनिस्ट लोगों को, क्योंकि वो परफॉरमेंस को बेहतर बनाए रखने के लिए ज्यादा सतर्कता और भय से काम करते हैं। - हेल्थकेयर वर्कर विशेष रूप से 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने वाली नर्स को बर्नआउट का अधिक खतरा होता है। - संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में चिंता और अनिद्रा के चलते बर्नआउट की समस्या अधिक होती है।- कार्यस्थल पर अगर आपको सही माहौल नहीं मिलता है, तो आपको बर्नआउट की समस्या हो सकती है। 

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