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मंकीपॉक्स का नाम बदलकर अब हुआ 'Mpox', विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया ऐलान

By विनीत कुमार | Updated: November 29, 2022 12:00 IST

मंकीपॉक्स बीमारी का नाम बदलने का ऐलान WHO ने किया है। इसे अब 'एमपॉक्स' (mpox) नाम से जाना जाएगा। फिलहाल दोनों नाम का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि अगले एक साल में मंकीपॉक्स नाम का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

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ठळक मुद्देWHO का ऐलान- मंकीपॉक्स बीमारी को अब 'एमपॉक्स' (mpox) के नाम से जाना जाएगा।मंकीपॉक्स नाम का इस्तेमाल आपत्तिजनक और नस्लवादी टिप्पणियों के लिए किए जाने की मिली शिकायत के बाद बदला नाम।1958 में सबसे पहले बंदरों में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए तब इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया था।

जेनेवा: मंकीपॉक्स बीमारी को अब 'एमपॉक्स' (mpox) के नाम से जाना जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस संबंध में घोषणा की है। दुनिया भर के विशेषज्ञों के साथ विमर्श कर WHO ने ये नाम बदला है। दरअसल, डब्यूएचओ को कई ऐसी सूचनाएं मिली थी, जिसमें मंकीपॉक्स नाम का इस्तेमाल आपत्तिजनक और नस्लवादी टिप्पणियों के लिए किया जा रहा था। इसके बाद इसके नाम को बदलने पर विचार किया गया।

फिलहाल मंकीपॉक्स और एमपॉक्स दोनों ही नाम का इस्तेमाल किया जा सकेगा। लेकिन अगले एक साल में मंकीपॉक्स नाम को पूरी तरह हटा दिया जाएगा।

कैसे मिला था बीमारी को मंकीपॉक्स नाम?

मंकीपॉक्स को इसका नाम इसलिए मिला क्योंकि इस बीमारी से जुड़े वायरस की पहचान मूल रूप से सबसे पहले 1958 में डेनमार्क में शोध के लिए रखे गए बंदरों में हुई थी। हालांकि यह बीमारी कई जानवरों में पाई जाती है, और चूहों आदि जैसे रोडेन्ट्स जानवरों में खूब मिलती है। इस साल की शुरुआत में कई देशों में इस बीमारी के केस नजर आए और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए।

यह वायरस पशुओं से फैलना शुरू हुआ और इंसानों में बहुत तेजी से फैला। मंकीपॉक्स चेचक की तरह होता है। इससे संक्रमण के 7 से 10 दिन में व्यक्त‍ि में लक्षण दिखने लगते हैं। इसमें लक्षण को तौर पर संक्रमित व्यक्ति को बुखार महसूस होता है। शरीर में दर्द और थकान भी महसूस हो सकती है। यह पहला चरण है। संक्रमण के दूसरे चरण में त्वचा पर कहीं-कहीं गांठ दिखने लगती हैं और चकते आ जाते हैं और फिर यही चकत्ते बडे़ दाने में बदल जाते हैं।

1970 में इंसानों में पहली बार मिला था मंकीपॉक्स

1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में पहली बार मनुष्यों में इस बीमारी के लक्षण नजर आए थे। इसके बाद से इसका प्रचार मनुष्यों में मुख्य रूप से कुछ पश्चिम और मध्य अफ्रीकी देशों तक सीमित रहा। हालांकि इस साल इसके केस भारत सहित कई देशों में भी मिले।

इस साल 110 देशों से लगभग 81,107 पुष्ट मामले मंकीपॉक्स के मिले। WHO के अनुसार 55 लोगों की मौत भी दुनियाभर में इस साल मॉकीपॉक्स से हुई। सामने आए डेटा के अनुसार संक्रमित लोगों में 97 प्रतिशत पुरुष थे, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष थी। डब्लूएचओ के अनुसार इनमें भी 85 प्रतिशत ऐसे पुरुष संक्रमित मिले थे जिन्होंने दूसरों पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए।

टॅग्स :मंकीपॉक्सWorld Health Organization
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