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भारत में वजन घटाने वाली दो दवाओं को मिली मंजूरी, इंजेक्शन के माध्यम से लिया जा सकता है, जानिए

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 3, 2024 14:09 IST

बाजार में आने के बाद भारतीय पहली बार इंजेक्शन के माध्यम से ली जाने वाली इस दवा का इस्तेमाल कर पाएंगे। इस मंजूरी के बाद मधुमेह और मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए आशा जगी है। ध्ययनों से पता चलता है कि ये दवा शरीर के वजन को 18 प्रतिशत तक कम कर सकती है।

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ठळक मुद्दे भारत में वजन घटाने वाली दो दवाओं को मिली मंजूरी इस दवा को अमेरिका में मौन्जारो और ज़ेपबाउंड के रूप में बेचा जाता हैभारत के ड्रग-कंट्रोलर जनरल से अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद

नई दिल्ली: वजन घटाने और मधुमेह की दवा टिरजेपेटाइड को भारत में खरीदने और बेचने की मंजूरी मिल गई है। इस दवा को अमेरिका में मौन्जारो और ज़ेपबाउंड के रूप में बेचा जाता है। दवा को एली लिली द्वारा बनाया गया है। भारत के शीर्ष दवा नियामक की विषय विशेषज्ञ समिति ने इसके आयात और विपणन के लिए हरी झंडी दे दी है। इस सिफारिश के आधार पर भारत के ड्रग-कंट्रोलर जनरल से अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

बाजार में आने के बाद भारतीय पहली बार इंजेक्शन के माध्यम से ली जाने वाली इस दवा का इस्तेमाल कर पाएंगे। इस मंजूरी के बाद मधुमेह और मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए आशा जगी है। ध्ययनों से पता चलता है कि ये दवा शरीर के वजन को 18 प्रतिशत तक कम कर सकती है।

इसके अलावा डेनिश कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा बनाई गई वजन घटाने वाली दवा - सेमाग्लूटाइड को भी मंजूरा मिल गई है। इसे मुंह के माध्यम से लिया जा सकता है। यह मधुमेह प्रबंधन के लिए भारत में उपलब्ध है लेकिन वजन घटाने के लिए इसकी उच्च खुराक, इंजेक्शन अभी देश में उपलब्ध नहीं है।

बता दें कि मौन्जारो दवा मधुमेह के लिए है जबकि ज़ेपबाउंड वजन घटाने के लिए है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार निर्माताओं ने कहा है कि एली लिली को भारत में टाइप 2 मधुमेह के लिए टिरजेपेटाइड के लिए विपणन प्राधिकरण प्राप्त हुआ है। मोटापे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा के आवेदन की सीडीएससीओ द्वारा समीक्षा की जा रही है। भारत के लिए लॉन्च की समयसीमा की अभी पुष्टि नहीं की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार एली लिली को तीन महीने के भीतर चौथे चरण के परीक्षण के लिए एक प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। चरण IV का परीक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन लोगों किया गया है जिन्होंने  दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक नई दवा ली है। माना जा रहा है कि इनकी लागत लगभग 15,000 रुपये प्रति माह होगी। 

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