Tuberculosis 2021-2040: भयावह, 20 साल में 6.2 करोड़ केस, 8000000 लाख मौत की आशंका?, 146 अरब डॉलर का नुकसान...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 13, 2024 01:28 PM2024-12-13T13:28:40+5:302024-12-13T13:29:33+5:30
Tuberculosis 2021-2040: कम आय वाले परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी बोझ का बड़ा हिस्सा सहना पड़ेगा जबकि अधिक आय वाले परिवारों को इस रोग के कारण आर्थिक बोझ का बड़ा हिस्सा उठाना पड़ेगा।
Tuberculosis 2021-2040: भारत में 2040 तक दो दशकों में तपेदिक के 6.2 करोड़ से अधिक नये मामले सामने आने, इस बीमारी से 80 लाख लोगों की जान जाने तथा 146 अरब डॉलर से अधिक का सकल घरेलू उत्पाद को नुकसान होने की आशंका है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। ब्रिटेन के ‘लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन’ के विद्वानों समेत अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कम आय वाले परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी बोझ का बड़ा हिस्सा सहना पड़ेगा जबकि अधिक आय वाले परिवारों को इस रोग के कारण आर्थिक बोझ का बड़ा हिस्सा उठाना पड़ेगा।
तपेदिक एक जीवाणु जनित रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने से हवा में फैल सकता है। मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करने वाली यह स्थिति घातक भी हो सकती है, क्योंकि यह अन्य अंगों में भी फैल सकती है। इसके सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में दर्द, बुखार और थकान शामिल हैं।
‘पीएलओएस मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि मामलों का पता लगाने की दर में सुधार (जो वर्तमान में 63 प्रतिशत होने का अनुमान है) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के 90 प्रतिशत टीबी उन्मूलन लक्ष्य को पूरा करने से नैदानिक और जनसांख्यिकीय रोग बोझ में 75-90 प्रतिशत की कमी आ सकती है तथा वृहद आर्थिक बोझ में 120.2 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।
अध्ययन में पाया गया कि मामलों की बेहतर पहचान और 95 प्रतिशत प्रभावी सर्वांगीण-टीबी उपचार के संयोजन से नैदानिक और जनसांख्यिकीय रोग बोझ में 78-91 प्रतिशत की कमी आ सकती है तथा व्यापक आर्थिक बोझ में 124.2 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि 2000 से तपेदिक से निपटने के लिए वित्त पोषण में वृद्धि के बावजूद, यह अब भी ‘वैश्विक वित्त पोषण लक्ष्यों से बहुत पीछे है।’ उन्होंने मामलों का पता लगाने और दवा प्रतिरोधी तपेदिक सहित ऐसे मामलों के प्रभावी उपचार में सुधार के लिए निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।
इलाज के कुप्रबंधन और खराब उपचार से फिर तपेदिक हो सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने लिखा, ‘‘हमारा अनुमान है कि 2021 से 2040 तक भारत में टीबी (तपेदिक) के स्वास्थ्य और व्यापक आर्थिक बोझ में 6.24 करोड़ से अधिक नये मामले, टीबी से संबंधित 81 लाख मौतें और 146.4 अरब डॉलर का संचयी जीडीपी नुकसान शामिल होगा।’’