तेलंगाना में हैदराबाद के रेनबो अस्पताल में 375 ग्राम वजन की बच्ची ने जन्म लिया। इसे दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे छोटी बच्ची होने का दावा किया जा रहा है। उसकी लंबाई केवल 20 सेमी है। लगभग हथेली के साइज की। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की डिलीवरी 25वें हफ्ते में ही कर दी गई थी। आमतौर पर बच्चे गर्भ के 36वें से 40वें हफ्ते में पैदा होते हैं। इससे पहले पैदा होने वाले बच्चों को प्री-मेच्योर बेबी कहा जाता है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं। उनके जीवित बचने की संभावना भी बेहद कम होती है।
बच्ची को बचाना था मुश्किल
बच्ची को बचाना मुश्किल था। लेकिन चमत्कारी रूप से वह बच गई। वह अभी एकदम स्वस्थ है और अब उसका वजन ढाई किलो है। बच्ची का नाम चेरी रखा गया है। उसका जन्म 27 फरवरी, 2018 को हुआ था। दुनिया का सबसे छोटे साइज की बच्ची का जन्म जर्मनी में हुआ है। इस बच्ची की लंबाई 8.6 इंच और वजन केवल 229 ग्राम था।
चार महीने पहले ही हो गया जन्म
अस्पताल ने चेरी के माता-पिता के साथ मीडिया को बताया कि अमूमन बच्चे गर्भ में आने के बाद 36वें से 40वें हफ्ते में पैदा होते हैं। इससे पहले पैदा होने वाले बच्चों को प्री-मेच्योर बेबी कहा जाता है। समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं। बच्ची का जन्म उम्मीद से चार महीने पहले ही हो गया था।
ऐसे बच्चों के जीवित रहने की संभावना 0.5 फीसदी यानी कि न के बराबर होती है। ऐसे बच्चों को कई तरह के इंफेक्शन का खतरा रहता है। नतीजतन ऐसे बच्चों के शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं और उनकी मौत हो जाती है। हालांकि, डॉक्टर की टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया। चेरी और उसकी मां स्वस्थ्य हैं। अब बच्ची का वजन 2.5 किलोग्राम हो गया है।
औसत नवजात बच्चे जन्म के समय
- 2.5 से 3.5 किग्रा होता है औसत नवजात बच्चे का जन्म - 45 से 50 सेंटीमीटर लंबाई होती है नवजात बच्चे की - 36वें से 40वें हफ्ते में पैदा होते हैं अमूमन बच्चे
चेरी के जन्म के समय
- 375 ग्राम था चेरी का वजन जन्म के समय -20 सेंटीमीटर लंबाई थी चेरी की जन्म के समय-25वें हफ्ते में हुआ बच्ची का जन्म- चार महीने पहले ही हो गया बच्ची का जन्म 2.5 किलोग्राम हो गया है अब चेरी का वजन
(फोटो- सोशल मीडिया)