भारत में पैर पसारने लगा मंकीपाक्स! क्या कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक है ये बीमारी? जानिए इसके बारे में सबकुछ
By मेघना सचदेवा | Published: July 25, 2022 12:40 PM2022-07-25T12:40:17+5:302022-07-25T12:40:58+5:30
कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स की चर्चा पूरी दुनिया में है। 70 से ज्यादा देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। यह बीमारी कितनी खतरनाक है, इसके लक्षण क्या हैं, ये कैसे फैलता है...आईए इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अब देश और दुनिया में एक दूसरी बीमारी ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है। 70 से ज्यादा देशों में फैल चुके मंकीपॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 जुलाई, 2022 तक दुनिया भर में मंकीपॉक्स के 14 हजार से भी ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है। चिंता की बात ये है कि मई की शुरुआत में ये मामले 3000 हजार से ज्यादा थे और 2 महीने में अब ये आकंड़ा करीब 5 गुना बढ़ गया है।
हालांकि, सवाल है कि पिछले कुछ सालों से कोविड जैसी महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए मंकीपॉक्स क्या वाकई चिंता का विषय है? क्या मंकीपॉक्स को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए? क्या कोरोना के मामलों की तरह ही मंकीपॉक्स के मामले भी तेजी बढ़ते जाएंगे। इन सभी सवाल के जवाब हम कुछ रिपोर्टस और आंकड़ो के जरीए खंगालने की कोशिश करेंगे।
राजधानी दिल्ली में मिला मंकीपॉक्स का मरीज
सबसे पहले बात करते हैं भारत की जहां 24 जुलाई तक मकीपॉक्स के चार मामले सामने आ चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 24 जुलाई को 34 साल के एक शख्स में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है। जानकारी के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति की विदेश की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। मरीज को बुखार और मंकीपॉक्स के लक्षण होने पर दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल भर्ती कराया गया।
इससे पहले भारत में 3 और मामले सामने आ चुके हैं। तीनों ही मामले केरल से सामने आए हैं। हालांकि वो विदेश से यात्रा कर लौटे थे। भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज कोल्लम में 12 जुलाई को मिला था। संक्रमित शख्स यूएई से आया था। दूसरा केस अगले ही दिन कन्नूर में सामने आया जहां दुबई से आए शख्स इस बीमारी से पीड़ित मिला था। चिंता की बात ये है कि दिल्ली में जिस शख्स में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है उसकी कोई विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री न होने के बावजूद संक्रमण ने उसे कैसे अपनी चपेट में लिया।
मंकीपॉक्स ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित
अब तक 70 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद मौजूदा हालात को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस ने शनिवार को कहा कि मौजूदा वैश्विक मंकीपॉक्स प्रकोप एक स्वास्थ्य आपातकाल है। हालांकि इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए, लेकिन फिलहाल इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता नहीं है।
ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी क्या होती है और क्या मंकीपॉक्स का ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी होना हमें चेताने के लिए काफी है कि कोरोना के बाद एक और महामारी हमे घर बैठने पर मजबूर कर सकती है? चलिए जानते हैं कि मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने का क्या मतलब है।
क्या खतरे की घंटी है ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी ?
ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के नाम से भी जाता है। ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी तब घोषित की जाती है जब किसी बीमारी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का खतरा हो। उसकी रोकथाम के लिए भी वैश्विक स्तर पर जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत हो। लगभग 2 साल पहले 30 जनवरी 2020 को भी WHO ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। इसके कुछ समय बाद ही कोरोना ने दुनियाभर में जो तबाही मचाई, उसका मंजर अभी भी सभी को याद है। इसी बीच मंकीपॉक्स का ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित होना चिंता का विषय है। वहीं आंकड़ो को देखा जाए तो कोरोना वायरस के मामले एक दम से बढ़े थे। मंकीपॉक्स के मामले उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे। इस बिमारी से जान गंवाने वालों की संख्या अभी 5 है। हालांकि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह कोई नई बिमारी भी नहीं है।
क्या दुनिया में पहली बार आया है मंकीपॉक्स ?
कई जानवरों की प्रजातियों को मंकीपॉक्स वायरस के लिए जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में रस्सी गिलहरी, पेड़ गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, गैर-मानव प्राइमेट और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। इंसानों में मंकीपॉक्स की पहचान सबसे पहले 1970 में रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक 9 साल के लड़के में हुई थी, जहां 1968 में स्मॉल पॉक्स को समाप्त कर दिया गया था। तब से, अधिकांश मामले ग्रामीण, वर्षावन क्षेत्रों से सामने आए हैं। कांगो बेसिन, विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में मानव में कुछ मामले सहित पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका में सामने आए हैं।
क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण?
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 5 से 21 दिनों तक हो सकता है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण इसकी विशेषता हैं जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं। इसके साथ ही त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार आने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम है उनको इस बिमार से ज्यादा खतरा है। वहीं ये बिमारी और कई बिमारियां की वजह भी बन सकती है।
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है ?
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि मंकीपॉक्स वायरस पर स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन कारगर साबित हो सकती है। क्योंकि वायरस एक ही प्रकार के है। मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। इसके लक्षण काफी हद तक चेचक की तरह होते हैं इसलिए इसके इलाज में चेचक की दवा का इस्तेमाल किया जाता है। एक यह एंटीवायरल दवा है जिसे टेकोविरीमेट के नाम से भी जाना जाता है । फिलहाल सबसे ज्यादा इस बिमारी के लक्षण कम करने पर काम किया जा रहा है। जिसके लिए मरीजो के लक्षण के हिसाब से दवा दी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अभी मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि, चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ 85% तक असरदार साबित हुई है।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। हालांकि ये संक्रमण जैसे कोरोना के फैलने का खतरा रहता है वेसे नहीं फैलता है।
यौन संबधों से फैलता है मंकीपॉक्स ?
इसकी अभी कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हाल ही में जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से कइयों में संक्रमण यौन संबंध बनाने से फैला है।
सीडीसी के मुताबिक, अगर आप किसी मंकीपॉक्स संक्रमित से यौन संबंध बनाते हैं, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है। संक्रमित के गले लगना, किस करना और यहां तक कि फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट बनाने से भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।