बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न (Sexual harassment) का आरोप लगाया है। ये मामला तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है। कई सिलेब्रिटीज़ इस मामले में खुलकर अपने विचार भी रख रहे हैं। इसके लिए इंटरनेट पर #MeToo कैंपेन भी चलाया जा रहा है जिसमें यौन शोषण का शिकार हुए लोग जमकर हिस्सा ले रहे हैं। एक्ट्रेस नयनी दीक्षित ने भी विकास बहल पर छेड़खानी का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं बॉलीवुड के कई बड़े कलाकार डायरेक्टर, एक्टर और प्रोडूसर पर यौन शोषण का आरोप लग रहे हैं। तनुश्री ने नाना पाटेकर पर आरोप में बताया कि 'साल 2008 में 'हॉर्न ओके' के सेट पर नाना पाटेकर ने मेरे साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी। मेरे साथ जो घटना हुई उसके बाद नाना पाटेकर ने राजनीतिक पार्टी को बुलाया और सेट पर तोड़फोड़ करवाई। उसके बाद प्रोड्यूसर ने घटना की पब्लिसिटी के लिए मीडिया को बुलाया। तनुश्री के अनुसार, इस घटना से परेशान होकर उन्होंने बॉलीवुड से खुद को अलग कर लिया था। यौन उत्पीड़न और उससे होने वाले नुकसान को लेकर हमने एक्सपर्ट से बातचीत की है, जानिए इस विषय पर उनकी क्या राय है।
यौन उत्पीड़न या यौन शोषण क्या है? यौन उत्पीड़न वर्तमान समाज की एक गंभीर समस्या बन गई है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं बच्चे और पुरुष भी इसका शिकार हो रहे हैं। यौन शोषण के शिकार पीड़ितों को केवल मानसिक ही नहीं शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। यौन उत्पीड़न किसी भी ऐसी गतिविधि को कहा जाता है जिसमें आपकी सहमति न हो। यह पूर्ण रूप से आपकी इच्छा के खिलाफ किया गया काम होता है। अधिकतर मामलों में यौन उत्पीड़न करने वाला आपका कोई जानकार होता है। वो आपका दोस्त, परिवार का सदस्य, कोई परिचित या कोई अजनबी व्यक्ति भी हो सकता है। कई मामलों में देखा जाता है कि समाज के कुछ प्रतिष्ठित या शक्ति संपन्न लोगों द्वारा भी इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
1) तनाव, चिंता और पीटीएसडी का खतरादिल्ली स्थित मोंगा क्लीनिक में साइकेट्रिस्ट डॉक्टर अभिनव मोंगा के अनुसार, यौन पीड़ितों को आमतौर पर तनाव, चिंता, पोस्ट-ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर PTSD (पीटीएसडी) का सामना करना पड़ता है। एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि पहली बार यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाले को लंबे समय तक तनाव का खतरा रहता है। ऐसा कोई व्यक्ति जो उत्पीड़न हिंसा या हमले से पीड़ित है, तो उसे PTSD के लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है।
2) महिलाओं को तनाव के तीव्र लक्षणों का खतरायौन उत्पीड़न का अनुभव करने वाली 90 फीसदी महिलाओं को दोबारा यौन हिंसा का सामना करने पर तनाव के तीव्र लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनके काम और जीवन में हस्तक्षेप पैदा हो सकता है।
3) मसल्स पेन, बीपी, ब्लड शुगर का खतराकभी-कभी यौन उत्पीड़न के कारण पीड़ित को ट्रॉमा का सामना करना पड़ सकता है और रोगी के लिए इसका सामना करना मुश्किल हो सकता है। डॉक्टर के अनुसार, शरीर में इस तरह के बदलाव की वजह से पीड़ित को मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, या यहां तक कि पुरानी शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का सामना भी करना पड़ सकता है।
4) पेट संबंधी समस्याओं का खतराडॉक्टर के अनुसार, जब कोई व्यक्ति तनाव से पीड़ित होता है, तो उसके कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन, ऑटोइम्यून डिजीज और मेटाबोलिक फंक्शन पर भी असर पड़ता है। अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि तनाव कसा संबंध सिर्फ सिर से है लेकिन आपको बता दें कि न्यूरोट्रांसमीटर दिमाग के अलावा पेट में भी पाए जाते हैं। यही वजह है कि जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है, तो उसके दिमाग पर ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर असर पड़ता है।
5) कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से होने वाले नुकसानडॉक्टर के अनुसार, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होने वालों को पेट से संबंधित समस्याओं, भारी चिंता, पैनिक अटैक आदि का सामना करना पड़ सकता है। तनाव के कारण उन्हें बालों का झड़ना, वजन बढ़ना, नींद की कमी और सुस्ती जैसी गंभीर समस्याओं का भी खतरा होता है।