जीवन की अनमोल भेंट: इंदौर की अंगदान गाथा जो बदल रही है हजारों जिंदगियां

By मुकेश मिश्रा | Updated: June 7, 2025 14:29 IST2025-06-07T14:27:09+5:302025-06-07T14:29:50+5:30

Indore: आंकड़ों के अनुसार, इंदौर से महाराष्ट्र में 8 हृदय, 1 लिवर और 2 फेफड़े भेजे गए। मध्य प्रदेश के अंदर 3 हृदय, 80 किडनी और 29 लिवर का प्रत्यारोपण हुआ।

Indore organ donation story which is changing thousands of lives | जीवन की अनमोल भेंट: इंदौर की अंगदान गाथा जो बदल रही है हजारों जिंदगियां

जीवन की अनमोल भेंट: इंदौर की अंगदान गाथा जो बदल रही है हजारों जिंदगियां

Indore: जब 85 वर्षीय जमुना मेंघवानी की आंखें हमेशा के लिए बंद हुईं, तो उनके परिवार ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने दो अजनबियों की जिंदगी में रोशनी भर दी। उनकी दोनों किडनी दान करके परिवार ने न केवल मानवता की सेवा की, बल्कि इंदौर के उस महान परंपरा को आगे बढ़ाया जो आज देश भर में मिसाल बन गई है। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि उस शहर की गाथा है जो अंगदान के माध्यम से मृत्यु को जीवन में बदलने का काम कर रहा है।इंदौर में अंगदान की यात्रा 2009 से शुरू हुई जब केवल एक शव दान किया गया था।

आज यह शहर देश के शीर्ष अंगदान केंद्रों में से एक बन गया है। इस परिवर्तन की नींव 2015-16 में रखी गई जब तत्कालीन संभागायुक्त संजय दुबे के नेतृत्व में महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज, ऑर्गन डोनेशन सोसाइटी इंदौर और जिला प्रशासन ने मुस्कान ग्रुप के सहयोग से अंगदान की मशाल जलाई। मुस्कान ग्रुप के प्रमुख के अथक प्रयासों और संजय दुबे की दूरदर्शी सोच ने इस अभियान को नई दिशा दी।वर्तमान संभागायुक्त दीपक सिंह इस महान परंपरा को आगे बढ़ाने में पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

उनका कहना है, "अंगदान केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह मानवता की सर्वोच्च सेवा है। हमारा लक्ष्य है कि इंदौर में अंगदान की दर को और भी बढ़ाया जाए और प्रक्रिया को और भी सुगम बनाया जाए।"

दीपक सिंह के नेतृत्व में प्रशासन ने अंगदान की प्रक्रिया में तकनीकी सुधार, ग्रीन कॉरिडोर की गुणवत्ता में वृद्धि और जागरूकता अभियानों को तेज करने पर विशेष ध्यान दिया है। उनके प्रयासों से अंग परिवहन की समय सीमा में कमी आई है और अधिक से अधिक परिवारों तक अंगदान का संदेश पहुंचाया जा रहा है।वर्ष 2011 में जहां केवल 4 कैडेवर डोनेशन और 6 किडनी ट्रांसप्लांट हुए थे, वहीं 2015 तक यह संख्या बढ़कर 22 कैडेवर डोनेशन और 58 किडनी ट्रांसप्लांट तक पहुंच गई। इस प्रगति का श्रेय व्यवस्थित प्रयासों, जागरूकता अभियानों और प्रशासनिक सुधारों को जाता है।

मध्य प्रदेश में होने वाले 90 प्रतिशत अंगदान इंदौर में ही होते हैं, जिससे प्रदेश को केंद्रीय मंत्रालय के राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) द्वारा 14वें भारतीय अंगदान दिवस पर "बेस्ट इमर्जिंग स्टेट अवार्ड" मिला है। इस राष्ट्रीय सम्मान में इंदौर का 90 प्रतिशत योगदान है।इंदौर में अब तक 63 ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा चुके हैं। सबसे हाल ही में मई 2025 में 63वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया जब 85 वर्षीय श्रीमती जमुना मेंघवानी की दोनों किडनी दान की गईं। एक किडनी भोपाल के 49 वर्षीय मरीज को दी गई, जबकि दूसरी इंदौर के अपोलो हॉस्पिटल में 54 वर्षीय महिला को ट्रांसप्लांट की गई।

महज 3 घंटे में भोपाल, देवास एवं इंदौर ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से यह जीवनरक्षक कॉरिडोर तैयार किया गया।प्रदेश में अब तक 60 ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से करीब 200 लोगों को नया जीवन मिला है। इसके अतिरिक्त लगभग 1635 व्यक्तियों को जीवित दानदाता द्वारा अंगदान के बाद जीवनदान मिला है। ग्रीन कॉरिडोर की बदौलत अंगों को तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सका है, जिससे अंग प्रत्यारोपण की सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।इंदौर से विभिन्न प्रकार के अंग दान किए गए हैं जिनमें किडनी, लिवर, हृदय, फेफड़े, आंखें और त्वचा शामिल हैं। 2015 से 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, इंदौर से महाराष्ट्र में 8 हृदय, 1 लिवर और 2 फेफड़े भेजे गए। मध्य प्रदेश के अंदर 3 हृदय, 80 किडनी और 29 लिवर का प्रत्यारोपण हुआ।

दिल्ली में 5 हृदय, 7 लिवर और 1 फेफड़े भेजे गए। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि इंदौर न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अंगदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।विभिन्न आयु वर्ग के लोगों ने इस महान कार्य में योगदान दिया है। 22 वर्षीय युवा आयुष पंजाबी ने अपने फेफड़े, लिवर, आंखें और त्वचा दान की। 54 वर्षीय शिक्षक हरिशंकर धिमोले ने दोनों किडनी दान कीं।

44 वर्षीय महिला मनीषा राठौर ने अपनी दोनों किडनी और आंखें दान कीं। 51 वर्षीय पूरण सिंह चौधरी ने दो किडनी, आंखें और त्वचा दान की। दिसंबर 2024 में व्यापारी सुरेंद्र पोरवाल ने अपने दोनों हाथ, किडनियां, लिवर, आंखें और स्किन दान की, जिसके लिए 60वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।संजय दुबे के कार्यकाल में शुरू हुए सुधारों में प्रक्रिया को सरल बनाना, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी प्रदान करना और नकद पुरस्कार की व्यवस्था करना शामिल था। मुस्कान ग्रुप के निरंतर प्रयासों से जागरूकता अभियान चलाए गए और समुदायिक सहयोग बढ़ाया गया। वर्तमान संभागायुक्त दीपक सिंह इन सभी पहलों को आगे बढ़ाते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंगदान की जानकारी फैलाने और युवाओं को इस अभियान से जोड़ने पर विशेष जोर दे रहे हैं।

उनके नेतृत्व में रात में पोस्टमार्टम की सुविधा, एयरपोर्ट पर अंगों की स्क्रीनिंग में सुधार और भोपाल तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं और भी बेहतर हुई हैं।नोटो के अनुमान के अनुसार हर साल लगभग 200000 किडनी, 80000 लीवर, 50000 दिल और 100000 कॉर्निया की आवश्यकता होती है। वर्तमान में अकेले इंदौर में ही 208 परिवार अंगदान के इंतजार में हैं, जिनमें से 187 मरीजों को किडनी और 21 मरीजों को लीवर की आवश्यकता है। इस चुनौती को देखते हुए दीपक सिंह ने कहा है, "हमारा उद्देश्य है कि प्रतीक्षा सूची में शामिल हर मरीज को समय पर उपयुक्त अंग मिल सके।

इसके लिए हम निरंतर नई तकनीकों और बेहतर समन्वय पर काम कर रहे हैं।"डॉ. पीएस लुबाना द्वारा बनाई गई फिल्म "द क्ले हॉर्स" में यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है कि देश में हर 100 लड़कों के मुकाबले केवल 20 लड़कियों को ही अंगदान का लाभ मिल पाता है। लीवर ट्रांसप्लांट की बात करें तो हर साल करीब 27 हजार लोग वेटिंग लिस्ट में रहते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद इंदौर ने साबित किया है कि सही दिशा में किए गए प्रयास कैसे असंभव को संभव बना सकते हैं।इन सभी प्रयासों के कारण मध्य प्रदेश देश में अंगदान के मामले में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। इंदौर की यह सफलता गाथा दिखाती है कि कैसे प्रशासनिक दूरदर्शिता, सामाजिक संगठनों का सहयोग, चिकित्सा जगत की प्रतिबद्धता और आम जनता की जागरूकता मिलकर एक शहर को राष्ट्रीय गौरव दिला सकती है।

संभागायुक्त दीपक सिंह के नेतृत्व में इंदौर अंगदान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज इंदौर न केवल स्वच्छता में बल्कि अंगदान में भी नंबर वन का मुकाम हासिल कर चुका है, जो मानवता की सेवा में इस शहर की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Web Title: Indore organ donation story which is changing thousands of lives

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