ऋतिक की फिल्म 'सुपर 30' के असली हीरो आनंद को है ब्रेन ट्यूमर, जानें इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज
By उस्मान | Published: July 12, 2019 11:38 AM2019-07-12T11:38:21+5:302019-07-12T11:38:21+5:30
फिल्म के रिलीज से पहले यह खबर आई है कि आनंद कुमार एकॉस्टिक न्यूरोमा (Acoustic Neuroma) से पीड़ित हैं जोकि एक ब्रेन ट्यूमर है। इस बात की जानकारी खुद आनंद कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताई थी।
ऋतिक रोशन की फिल्म 'सुपर 30' रिलीज हो गई है और इस फिल्म को काफी पसंद भी किया जा रहा है। 'सुपर 30' पटना में एक कोचिंग सेंटर है जहां हर साल 30 बच्चों को मुफ्त में आईआईटी की तैयारी कराई दी जाती है और ऐसा माना जाता है कि यहां से पढ़े हुए बच्चों को एडमिशन सौ फीसदी हो जाता है। इस सेंटर को मैथमेटिशियन आनंद कुमार चलाते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। फिल्म में ऋतिक ने आनंद की ही भूमिका निभाई है और दिखाया गया है कि कैसे आनंद ने तमाम संघर्ष का सामना करते हुए इस सेंटर को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया है।
फिल्म के रिलीज से पहले यह खबर आई है कि आनंद कुमार एकॉस्टिक न्यूरोमा (Acoustic Neuroma) से पीड़ित हैं जोकि एक ब्रेन ट्यूमर है। इस बात की जानकारी खुद आनंद कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताई थी। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि वह कैसे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
आनंद ने बताया कि उन्हें कुछ समय पहले सुनने में काफी समस्या होती थी, इसका चेकअप करवाने के बाद उन्हें पता चला कि वह अपनी 80 से 90 प्रतिशत सुनने की योग्यता खो चुके थे। उन्हें इसके लिए इ ऐन टी ट्रीटमेंट से भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
इसके बाद जब वह 2014 में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल अपना इलाज करवा रहे थे तो डॉक्टर्स ने उन्हें बताया कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। उन्होंने बताया कि 'हर ऑपरेशन के साथ उन पर खतरा और बढ़ते जा रहा है और ये ट्यूमर का असर उनके अन्य इन्द्रियों पर भी हो सकता है।
एकॉस्टिक न्यूरोमा क्या है
एकॉस्टिक न्यूरोमा एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर होता है। इस प्रकार के ट्यूमर तंत्रिकाओं के आसपास पायी जाने वाली टीशूज में बनते हैं। जब कान की कोशिकाओं में (तंत्रिका तंत्र के आसपास पायी जाने वाली कोशिकाएं) अचानक से बढ़ोतरी होने लगती है।
इस प्रकार का ट्यूमर 30 से 60 वर्ष की आयु के बीच के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। एकॉस्टिक न्यूरोमा का प्रारंभिक चरण में निदान करना मुश्किल होता है क्योंकि इसमें कोई लक्षण या हल्के लक्षण नहीं होते हैं।
ये दिमाग और कान की तंत्रिकाओं के अंदरुनी हिस्सों में होते हैं। इस कारण से मरीज दिमागी संतुलन बनाने में समस्या आने लगती है और मरीज दिमागी संतुलन खो बैठता है। यह शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैलता है। यह केवल दिमाग में होते हैं और इससे दिमाग के सभी जरूरी हिस्सों पर दबाव पड़ने लगता है।
एकॉस्टिक न्यूरोमा के लक्षण
एक कान से सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है। चक्कर आते हैं। कान बजने लगता है। चेहरे में झनझनाहट महसूस होती है। चलने के दौरान संतुलन बनाने में समस्या होती है। थकान महसूस होने लगती है।
एकॉस्टिक न्यूरोमा का इलाज
इसके इलाज के लए सर्जरी की जाती है। कुछ लोग रेडियो सर्जरी कराते हैं। इसमें हाई एनर्जी रेडिएशन के द्वारा भी ट्यूमर के विकास को रोका जाता है। मरीज के उपचार के दौरान उसकी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता भी होती है।