आयुर्वेद की 'जान' माने जाते हैं ये 4 पेड़-पौधे, खून की कमी, कमजोरी, अस्थमा, बवासीर का करते हैं इलाज
By उस्मान | Published: December 29, 2020 10:42 AM2020-12-29T10:42:47+5:302020-12-29T10:52:21+5:30
आयुर्वेद में इन पेड़-पौधों के पत्तों और छाल का कई गंभीर रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है
पेड़ पौधों का इंसान के जीवन में बहुत महत्व होता है। आपके आसपास कई ऐसे पेड़ होते हैं जो गुणों से भरपूर होते हैं, लेकिन सही जानकारी न होने के कारण उनका फायदा नही उठा पाते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पेड़-पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके फल, फूल, पत्ते यहां तक कि छाल का कई रोगों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है।
अर्जुन का पेड़
यह पेड़ कई सारे औषधीय गुणों से भरा होता है, अर्जुन की छाल में इतना कैल्शियम होता है कि ये हड्डियों के सभी रोगों को दूर कर देता है। इसके अलावा भी अर्जुन कई बीमारियों में लाभदायक होता है। अर्जुन की छाल का 1 से 2 ग्राम पाउडर हर दिन सुबह दूध और गुड़ के साथ लेने पर शरीर में शक्ति बढ़ती है और दिल के रोगों से बचने में मदद मिल सकती है।
ऐसा माना जाता है कि डायरिया और पेचिश में इसकी छाल लाभदायक होती है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से आराम मिलता है। यदि कान में तेज दर्द हो रहा हो तो अर्जुन की कोमल पत्तियों का रस कान में डालने से राहत मिल सकती है।
कंटोला का पौधा
यह एक ऐसा पौधा है जिसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसके उपयोग से सांप के विष को खत्म करने में मदद मिल सकती है। इसे ककोड़े के नाम से भी जाना जाता है।
इस औषधिय पौधे में सिरदर्द, कानदर्द, खांसी, पेट संबंधी बीमारियां, बवासीर, खुजली जैसे आम बीमारियों का उपचार करने की क्षमता होती है। इसके अलावा बालों का झड़ना कम करने के साथ-साथ बालों को मजबूती भी प्रदान करता है गुण होते हैं।
सेमल का पेड़
इस पेड़ की जड़, तना, छाल, फूल और पत्तियां आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है। मूत्र से संबंधित किसी भी प्रकार कि समस्या होने पर सेमल की जड़ों का उपयोग करके आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
सेमल खून को तेजी से साफ करता है, गलत खानपान के कारण खून में अशुद्धियां शामिल हो जाती हैं, इसके लिए सेमल की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है, इसके लिए सेमल कि ताजी पत्तियों को पानी के साथ पीस लें फर इसमें एक गिलास पानी मिलाकर कपड़े से छान लें और सेवन करें।
मासिक धर्म में अधिक रक्त स्राव होने पर सेमल की जड़ को सुखाकर पाउडर बना लें और इसकी 100 ग्राम मात्रा को 50 ग्राम मुलेठी पाउडर और पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से फायदा मिलता है।
कौंच का पौधा
कौंच के बीज आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जाने जाते हैं। इसके बीजों में बहुत सारे पोषक तत्व जैसे कि लुथियोन, गैलिक एसिड, ग्लाइकोसाइड प्रोटीन, फाइबर और टैनिन एसिड आदि अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।
एंटी-हिस्टामिनिक की तरह काम करता है और एलर्जी से बचाव कर सकता है, इसके अलावा, कौंच के बीज को आयुर्वेद में दमा या अस्थमा के इलाज के तौर पर भी वर्षों से उपयोग किया जा रहा है। फाइबर से भरपूर होने के कारण इसके सेवन से पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, एसिडिटी, अपचन और गैस से छुटकारा मिलता है।
पीरियड के दौरान होने वाली परेशानियों जैसे पेट दर्द, कमर दर्द, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और कमजोरी जैसी समस्याओं में कौंच के बीज से फायदा मिलता है।
इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक यानी दर्दनाशक गुण दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं, इनके सेवन से कमर दर्द में राहत मिलती है।