हिमांशु रॉय: देश के दुश्मनों को धूल चटाने वाला IPS डिप्रेशन से हारा, पूरी कहानी

By उस्मान | Published: May 11, 2018 07:25 PM2018-05-11T19:25:19+5:302018-05-11T19:25:19+5:30

खूंखार आतंकियों से लोहा लेने वाले और हमेशा तनाव व अवसाद के साथ अपराध का सफाया करने वाले मुंबई के हिमांशु रॉय अपने ब्लड कैंसर हो जाने के बाद हुए अवसाद से नहीं लड़ पाए।

former ats chief himanshu roy committed suicide know depression symptoms and treatment | हिमांशु रॉय: देश के दुश्मनों को धूल चटाने वाला IPS डिप्रेशन से हारा, पूरी कहानी

हिमांशु रॉय: देश के दुश्मनों को धूल चटाने वाला IPS डिप्रेशन से हारा, पूरी कहानी

दाउद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर के ड्राइवर आरिफ का केस सॉल्व करने वाले, पत्रकार जेडे हत्याकांड की गुत्‍थी सुलझाने में अहम भूमिका अदा करने वाले, विजय पलंडे-लैला खान डबल मर्डर केस को सुलझाने वाले मुंबई के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर हिमांशु रॉय अपने शरीर से जुड़े एक केस को सुलझाने में फेल हो गए। मुंबई के अंडरवर्ल्ड और दुनिया के खूंखार आतंकियों से लोहा लेने वाले, बड़ी से बड़ी कठिन परिस्थितियों में सूझबूझ से काम लेकर देश को बचाने वाले और हमेशा तनाव भरी परिस्थितियों में रहते हुए अपराध का सफाया करने वाले मुंबई के हिमांशु रॉय अपने ब्लड कैंसर हो जाने के बाद हुए अवसाद से नहीं लड़ पाए। उनकी सारी सूझबूझ को इस बीमारी ने इतना सताया कि वे टूट गए। उन्होंने मुंबई स्थित अपने आवास पर शुक्रवार को खुद को गोली मारकर हत्या कर ली। 

उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि बीमारी के चलते वह लगातार डिप्रेशन में चल रहे थे। वह अपनी फिटनेस पर खासा ध्यान देते थे। उन्हें बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ। कैंसर का पता चलने के बाद उनका मुंबई, पुणे और विदेश में भी इलाज चला। थोड़ी रिकवरी होने पर उन्होंने जिम जॉइन कर लिया। लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से कैंसर ने उन्हें जकड़ लिया। ऐसा बताया  जा रहा है कि इसी डिप्रेशन के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली यानी एक फौलादी व्यक्ति ने इस मानसिक बीमारी के सामने हमेशा के लिए घुटने टेक दिए। दिल्ली के मशहूर साइकेट्रिस्ट अभिनव मोंगा आपको बता रहे हैं कि डिप्रेशन क्या होता है और यह कैसे आपके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। 

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डिप्रेशन क्या है?

अभिनव मोंगा के अनुसार, आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोगों को अपने लिए समय नहीं मिल पाता है। दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है। जो एक दिन किसी मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है जिसे डिप्रेशन कहा जाता है। बच्चे, जवान और बूढ़े हर तबके के लोग इस बीमारी के शिकार हैं। कारण सबका अलग-अलग हो सकता है पर लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं। अगर किसी का मूड लगातार खराब चल रहा है तो उन्हें डिप्रेशन की परेशानी हो सकती है। इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं- लगभग सभी लोग तनाव से पीड़ित होते हैं, जो थोड़े समय के लिए होता है लेकिन लंबे समय तक किसी परेशानी के चलते यह अगर आपकी आदत में शामिल हो जाए तो आपके लिए घातक हो सकता है। 

डिप्रेशन के प्रकार

1) मेजर डिप्रेशन

इसे मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर भी कहते हैं। मूड में बदलाव और कामों में रूचि खत्म होना इसके लक्षण हैं. इससे कामकाज, व्यवहार, सोशल रिलेशनशिप सब पर प्रभाव पड़ता है। इसके लक्षणों का अनुभव दो हफ्तों तक होता है।

2)  परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर

अगर आप दो साल से डिप्रेशन के शिकार हैं, तो इसे परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर कहा जा सकता है. इस शब्द का प्रयोग दो स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें डायस्टिमिया और क्रोनिक मेजर डिप्रेशन कहा जाता है। खाना नहीं खाना या ज्यादा खाना, कम या ज्यादा सोना और निराशा महसूस करना इसके लक्षण हैं. 

3) बाइपोलर डिसऑर्डर

इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहते हैं। इस तरह के डिप्रेशन में इंसान को जल्दी गुस्सा आता है साथ ही मूड भी अचानक से खुशनुमा तो कभी एक दम से शांत भी हो जाता है। कुछ लोगों को तो ऐसा लगता है कि उनके पास सुपर पावर आ गई हैं और साथ ही चिड़चिड़े भी हो जाते हैं।

3) सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर

इस तरह का डिप्रेशन मौसम के अनुसार होता है। ठंड में सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा की मात्रा कम हो जाने के कारण कुछ लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। सीजनल डिप्रेशन में लोग ज्यादा सोते हैं, ज्यादा खाते हैं जिसके कारण उनका वजन बढ़ जाता है।

4) साइकोटिक डिप्रेशन

इस तरह के डिप्रेशन में लोगों को कम से कम दो सालों तक इसका अनुभव होता है और कोई भी बदलाव दो महीने से ज्यादा नहीं होता हैं। हर महीने व्यक्ति के मूड या शारीरिक गतिविधियों में बदलाव आते रहते हैं।  

5) पोस्टपार्टम डिप्रेशन

जिन महिलाओं को प्रसव के बाद सप्ताह और महीनों में अवसाद होता है उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं. एंटीड्रिप्रेसेंट दवाएं इसी तरह के अवसाद का इलाज करने में मदद कर सकती हैं जो कि प्रसव से संबंधित नहीं है।

6) डिस्थ्यिमिक डिसऑर्डर

इस तरह के डिप्रेशन में व्यक्ति 1 या 2 साल से ज्यादा वक्त रहता है। इसके लक्षण गंभीर नहीं होते लेकिन व्यक्ति को अपने रोज के काम करने में मुश्किल होती है। साथ ही वह अपने आप को अस्वस्थ भी महसूस करता है।

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डिप्रेशन के लक्षण

समय-समय पर निराशा महसूस करना व्यक्ति के जीवन में स्वभाविक है पर अगर आपको इसके साथ अकेला और बेसहारा महसूस होने लगे तो यह डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। डिप्रेशन आपके खुशनुमा जीवन को मुश्किल बना देता है। डिप्रेशन के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। मगर इसके कुछ आम कारण और लक्षण हैं जिससे इसको पहचाना जा सकता है। 

- थकावट महसूस होना 
- बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आना 
- वजन बढ़ना या वजन कम होना
- चिड़चिड़ापन
- क्रोध
- शरीर के कई हिस्सो में दर्द होना
- नकारात्मक विचार
- डर
- एकाग्रता में कमी 

डिप्रेशन से बचने के उपाय

आपको यदि डिप्रेशन से बचना है तो खुद को व्यवस्थित कर लीजिए। इसमें कोई खर्च नहीं है, सिर्फ अपनी दिनचर्या और काम-काज को सही तरीके से करने की जरूरत है। साथ ही सेहत का भी ध्यान रखिए। ताजा प्राकृतिक भोजन ही आपकी सेहत के लिए सबसे बढ़िया है। अच्छी सेहत के साथ-साथ यह आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ता। 

-अपने दोस्तों रिश्तेदारों की मदद लें
-रोजाना व्यायाम करें
-काम के दौरान नियमित रूप से छुट्टियां लें
-संतुलित आहार लें
-अच्छे दोस्त बनाएं और टाइम स्पेंड करें 
-सही निजी सलाह भी देते हैं।

-नकारात्मक लोगों से दूर रहें
-अपने आपको दुनिया से दूर करने से बचें
-बुरी स्थिति के बारे में सोचने से बचें
-मनोचिकित्सक से सलाह लें
-पार्याप्त नींद लें
-सेक्सुअल चाहत को नजरंदाज ना करें
-संगीत से नाता जोड़े और मधुर संगीत सुनें

(फोटो- पिक्साबे) 

Web Title: former ats chief himanshu roy committed suicide know depression symptoms and treatment

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