भगंदर का घरेलू इलाज : गुदा की दर्दनाक बीमारी भगंदर से छुटकारा पाने के 8 सरल उपाय
By उस्मान | Published: September 7, 2020 12:47 PM2020-09-07T12:47:56+5:302020-09-07T12:47:56+5:30
भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज : घर में मौजूद चीजों से पाएं इस दर्दनाक बीमारी से राहत
भगंदर (Fistula) मानव गुदा में होने वाली एक गंभीर समस्या है। इस स्थिति में गुदा द्वार में या उसके आस पास छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं जो जल्दी ठीक नहीं होती हैं।
ऐसा होने से गुदा के हिस्से पर घाव बनने लगते हैं। इससे आपको खुजली और दर्द का अनुभव हो सकता है। भगंदर रोग होने के बाद इंसान को चलने फिरने, कुर्सी पर या किसी समतल जगह पर बैठने, पीठ के बल लेटने और सौच करते समय असहनीय पीड़ा होती है।
भगंदर होने पर क्या तकलीफ हो सकती है?
इससे गुदा के आसपास स्थान पीला पड़ जाता है। मल द्वार के ठीक बगल में फोड़ा जैसा बन जाता है जिसमें मवाद भर जाती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसका समय इलाज नहीं कराने से यह कैंसर का रूप भी ले सकता है।
कुछ समय बाद भगंदर अपना मुंह दूसरी तरफ भी बना लेता है। दोमुखी द्वार बन जाने की वजह से मरीज को ज्यादा तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
भगंदर की बीमारी में आपकी जीवनशैली कैसी हो?
इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जिसमें, जंक-फूड का सेवन न करना, तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन नहीं करना, गुस्सा, डर और चिंता ना करना, ज्यादा मात्रा में भोजन न करना, दिन में नहीं सोना, पेशाब और शौच को न रोकना आदि शामिल हैं।
भगंदर के कारण
भगंदर होने के कारण में गुदा द्वार की ठीक से सफाई न करना, अधिक खुजली कर देना, बाल साफ न करना, ज्यादा देर तक साइकिल या बाइक चलाना, लंबे समय तक बैठे रहना, पुराना कब्ज, मिर्च मसालेदार चीजें खाना, गुदा द्वार पर चोट लगना आदि शामिल हैं।
भगंदर के घरेलू उपचार
फाइबर का सेवन करें
भगंदर में कब्ज हो जाती है। कब्ज दूर करने के लिए फाइबर वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। भगंदर रोग के दौरान मांसाहारी भोजन कम खाना चाहिए। फल-सब्जियां, साबुत अनाज आदि चीजों का सेवन करना चाहिए।
गुनगुने पानी से सिकाई करें
भगंदर होने पर गुदा भाग पर गुनगुने पानी से सिकाई करना फायदेमंद होता है। यह भगंदर के दौरान राहत देता है। आप इसके लिए गर्म पानी में बीटाडीन दडाल सकते हैं।
नीम की पत्तियां
भगंदर भगाने में यह रामबाण औषधि है। नीम की पत्तियों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। नीम की पत्तियों को उबालकर उस पानी से भगंदर को धोना चाहिए। उबली हुई नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर भगंदर पर लगाने से भी लाभ मिलता है। नीम और देशी घी का लेप बहुत कारगर होता है।
अनार के पत्ते
अनार एक ऐसा फल है जो शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ बीमारियों से भी बचाने का काम करता है। इसके पत्तों में भी कई गुण होते हैं। अनार के पत्ते को पानी में उबाल लेने के बाद उस पानी से फिस्टुला से प्रभावित क्षेत्र को धोने से बहुत लाभ प्राप्त होता है।
केला और कपूर
पके हुए केले के बीच में चीरा लगा कर उस चीरे वाली जगह पर कपूर रखकर खाना चाहिए। इससे आराम मिलता है। ध्यान देने वाली बात: इस केले को खाने से एक घंटे पहले और खाने के एक घंटे बाद किसी भी दूसरी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
काली मिर्च
लाजवंती और काली मिर्च के उपयोग से भगंदर में राहत मिलती है। काली मिर्च और लाजवंती को पीसकर उसका एक लेप तैयार करें और फिर उस लेप को फिस्टुला वाली जगह पर लगाएं। काली मिर्च इतना फायदा पहुंचाती है कि खांसी जुकाम से राहत दिलाने वाले कफ सिरप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
लहसुन
लहसुन में पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। लहसुन अपने स्वाद, एंटी बायोटिक तत्वों और सेहत लाभ के लिए जाना जाता है, इसलिए आप इसे भोजन में या फिर कच्चा उपयोग करते हैं। लहसुन जीवाणु खत्म करने की बेहतरीन दवा है। लहसुन को पीसकर घी में भुन लेना चाहिए और फिर उसे भगंदर वाली जगह पर चाहिए।
त्रिफला
भगंदर में त्रिफला बहुत उपयोगी होता है। त्रिफला क्काथ से धोने के बाद उसपर बिल्ली या कुत्ते की हड्डी का चूर मिलाकर भगंदर पर लगाने से बहुत राहत मिलती है।
गूलर और कांच नार
गूलर के फूल और कांच नार की पत्ती को पीसकर गोली बनाइए और दिन में दो बार गरम पानी के साथ इसका सेवन करने पर भगंदर को ठीक होने में टाइम नहीं लगता है।