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Dinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

By संदीप दाहिमा | Updated: November 21, 2025 17:55 IST

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ठळक मुद्देDinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

सर्दी के दिनों में सूर्यास्त इतना जल्दी होता है कि हममें से कई लोग काम खत्म करने के बाद घर लौटने से पहले ही अंधेरे में घिर जाते हैं। ऐसे में दिन छोटे होने, घुप अंधेरा छाने और अक्सर रात का भोजन करने में देरी होने के चलते सर्दियों की लय के साथ तालमेल बिठाना भारी लग सकता है। लेकिन खाने का समय बदलने से सर्दी के महीने हमारे शरीर और दिमाग के लिए थोड़ा राहत वाले हो सकते हैं। हमारा शरीर ‘सर्केडियन रिदम’ पर काम करता है। ‘सर्केडियन रिदम’ का आशय 24 घंटे चलने वाली अंदरूनी जैविक घड़ी से है, जो हमारी नींद, चयापचय (मेटाबॉलिज्म), पाचन (डाइजेशन) और हार्मोन संबंधी चक्र को विनयमित करती है। ये ‘रिदम’ प्राकृतिक रूप से रोशनी और अंधेरे के साथ तालमेल बिठाने वाली होती है, इसलिए जब शाम जल्दी होती है, तो हमारा चयापचय भी धीमा होने लगता है। चयापचय और दिन की रोशनी के बीच का संबंध हमको यह समझने में मदद कर सकता है कि ‘क्रोनोन्यूट्रिशन’ के क्षेत्र से जुड़े विभिन्न शोध यह क्यों बताते हैं कि ‘हम कब खाते हैं, यह उतना ही जरूरी हो सकता है जितना कि हम क्या खाते हैं’। ‘क्रोनोन्यूट्रिशन’ यह जांच करता है कि खाने का समय हमारी अंदरूनी ‘जैविक घड़ी’ पर क्या प्रभाव डालता है, और छोटे दिनों का मूड, चयापचय और स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है।

उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि जो स्वस्थ वयस्क रात 10 बजे भोजन करते हैं, उनमें ‘रक्त शर्करा का चरम स्तर’ 20 फीसदी अधिक होता है और शाम छह बजे रात का भोजन करने वालों के मुकाबले 10 फीसदी कम फैट बर्न होता है। ऐसा तब था जब दोनों समूह एक जैसा खाना खाते थे और सोने का समय भी एक जैसा था। बड़े विश्लेषण भी इसी रुख का समर्थन करते हैं, 29 अध्ययन के समग्र विश्लेषण से पता चला है कि जल्दी खाना, कम खाना और दिन में पहले अधिक कैलोरी वाला भोजना करना अधिक वजन घटाने और बेहतर ‘मेटाबोलिक मार्कर’ (जैसे बेहतर रक्तचाप और कम रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल स्तर) से जुड़ा था। अन्य शोध यह भी जोड़ते हैं कि लगातार देर रात भोजन करना — खासकर सोने के समय के करीब — स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और मोटापे तथा चयापचय विकारों जैसे टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकता है। रात का भोजन जल्द करना शरीर के प्राकृतिक ‘मेटाबोलिक रिदम’ के साथ बेहतर तरीके से संरेखित हो सकता है, खासकर जब आखिरी खाना शरीर के ‘विश्राम’ अवस्था में जाने से काफी पहले खाया गया हो। इससे यह समझा जा सकता है कि जल्दी खाने से स्वास्थ्य को क्या फायदे होते हैं।

कई ‘क्रोनोबायोलॉजिस्ट’ यह नतीजा निकालते हैं कि खाने के समय का‘सर्केडियन बायोलॉजी’ के साथ तालमेल बिठाना चयापचय संबंधी परिणाम को बेहतर बनाने का एक अच्छा, कम लागत वाला तरीका है – खासकर जब इसे शारीरिक गतिविधि और पौष्टिक आहार जैसे दूसरे जीवनशैली संबंधी कारकों के साथ शामिल किया जाता है। * इरादे से खाना सर्दियों में खासकर उत्तरी लैटिट्यूड में, छोटे दिन और लंबी रातें ‘सर्केडियन रिदम’ को बिगाड़ सकती हैं। कम धूप से सेरोटोनिन स्तर कम हो सकता है, जिससे मूड खराब हो सकता है या ‘सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर’ हो सकता है। जब शाम को घर के अंदर अधिक देर तक रहना पड़ता है, तो लोगों के लिए कई बार नाश्ता करना या रात में देर से भोजन करना आम बात होती है। लेकिन पाचन, हॉर्मोन स्राव (जिसमें नींद और पाचन में मदद करने वाले हॉर्मोन भी शामिल हैं) और यहां तक कि कोई व्यक्ति दिन भर में कितनी कैलोरी खर्च करता है, ये सभी ‘सर्केडियन रिदम’ का अनुसरण करते हैं। जब खाना सोने से तुरंत पहले खा लिया जाता है, तो प्रक्रिया इस तरह से सहवर्ती (ओवरलैप) होती हैं कि चयापचय और आराम दोनों पर असर पड़ सकता है – जिससे खराब नींद और चयापचय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

हालांकि, रोशनी और अंधेरे का ‘सर्केडियन रिदम’ पर सबसे अधिक असर पड़ता है, लेकिन किया गया भोजन, तनाव, शारीरिक गतिविधि और तापमान भी उन पर असर डालते हैं। *क्या आपको सर्दियों में रात का खाना जल्दी करना चाहिए? कुछ लोगों के लिए, हां-कम से कम थोड़ा जल्दी। इसके तीन मुख्य कारण हैं। पहला चयापचय तालमेल (मेटाबॉलिक अलाइनमेंट) से जुड़ा है। जब आपका चयापचय सक्रिय हो, तब खाना खाने से रक्त शर्करा नियंत्रित रहती है, ऊर्जा का इस्तेमाल और ‘फैट बर्न’ होने की क्रिया बेहतर होती है। दूसरा पाचन से जुड़ा है। रात के भोजन और सोने के समय के बीच कुछ घंटे का अंतर रखने से सोने से पहले पाचन ठीक से हो जाता है, जिससे नींद की गुणवत्ता और ‘रिकवरी’ (थकान आदि को दूर करके शरीर का तरोताजा होना) बेहतर हो सकती है। तीसरा कारण मूड और सर्केडियन रिदम का समर्थन करने से संबंधित है। नियमित भोजन समय और जल्दी रात का भोजन दैनिक दिनचर्या को स्थिर करने में मदद कर सकता है—यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब अन्य समय संकेतक (जैसे दिन की रोशनी) कमजोर हों। लेकिन यहां एक बात ध्यान देने वाली है: यह सबके लिए एक जैसा समाधान नहीं है।

कई अलग-अलग कारक हैं जिनका ध्यान रखना होगा, जैसे कि आप कितने सक्रिय हैं, क्या आपको कोई पुरानी बीमारी है और आपकी दिनचर्या कैसी है। शाम को प्रशिक्षण लेने वाले एक शीर्ष एथलीट को ‘परफॉर्मेंस’ और ‘रिकवरी’ में मदद के लिए देर से खाना खाने की जरूरत हो सकती है। लेकिन जो कम सक्रिय हैं, उन्हें रात में जल्दी और कम भोजन करने से अधिक फायदा हो सकता है। इसलिए, असल में हमारा ध्यान सोच-समझकर खाने पर केंद्रित होना चाहिए। सर्दी के महीनों में आप खाने के कुछ और नुस्खे आजमा सकते हैं * रात का भोजन जल्दी करना। बेहतर होगा कि शाम 5.30 बजे से 7.00 बजे के बीच, या सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले *जब दिन में अधिक रोशनी हो और आपका चयापचय अधिक सक्रिय हो, तो नाश्ते और दोपहर के भोजन को ज्यादा पौष्टिक बनाकर अपनी कैलोरी पहले से ले लें। * सक्रियता के हिसाब से योजना बनाएं। इसलिए अगर आप देर से व्यायाम करते हैं, तो अपना मुख्य भोजन पहले लें और बाद में ‘रिकवरी’ के लिए थोड़ा नाश्ता लें। *भोजन करने का एक समय तय करें।

अधिकतर रातों को लगभग आठ बजे तक खाना खा लें, ताकि ‘सर्केडियन तालमेल’ बना रहे। *एक या दो हफ्ते तक यह ध्यान में रखकर सोचें और समायोजन करें कि खाने का समय आपकी ऊर्जा, नींद की गुणवत्ता और मूड पर कैसे असर डालता है, फिर जरूरत के हिसाब से बदलाव करें। *यह सोचकर आराम से रहें कि पूर्णता की जरूरत नहीं है – एक नियमित ‘दिनचर्या’ और अपनी जरूरतों के प्रति जागरूकता ही मायने रखती है। जैसे-जैसे सर्दियां आ रही हैं, ‘आप क्या खाते हैं’, इस पर ध्यान देना उतना ही जरूरी हो सकता है, जितना कि ‘आप कब खाते हैं’। खाने के समय को अपने शरीर की प्राकृतिक लय के साथ लयबद्ध करने से सर्दी के महीनों में ऊर्जा, मूड और नींद को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। लेकिन असली बात है सोच-समझकर काम करना: ऐसे फैसले लेना, जो आपकी सेहत के लिए अच्छे हों, न कि ऐसे सख्त नियम जो तनाव पैदा करें। सबसे स्वास्थ्यवर्धक ‘रिदम’ वह है, जिसका आपकी बायोलॉजी और आपकी जीवनशैली, दोनों के साथ तालमेल हो।

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