सेप्सिस (Sepsis) को सेप्टिसीमिया (Septicemia) के नाम से भी जाना जाता है। यह खून की बीमारी है जिसमें खून में इन्फेक्शन हो जाता है। सेप्टिसीमिया तब होता है जब शरीर में अन्य जगहों पर, जैसे कि फेफड़े या त्वचा में बैक्टीरियल इन्फेक्शन खून में प्रवेश करता है। यह खतरनाक है क्योंकि बैक्टीरिया पूरे शरीर में फैल सकता है। वेबएमडी के अनुसार, इस बैक्टीरिया के शरीर में जाने से शरीर में खून के थक्के जमने से अंगों में ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इससे अंगों को पोषक तत्वों और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। कई मामलों में इससे एक या अधिक अंग विफल हो सकते हैं। समय पर इलाज नहीं कराने से मरीज की मौत भी हो सकती है।
सेप्टीसीमिया के कारण
सेप्टीसीमिया आपके शरीर के किसी अन्य भाग में संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण आमतौर पर गंभीर होता है। कई तरह के बैक्टीरिया से सेप्टिसीमिया को जन्म दे सकते हैं। संक्रमण का सटीक स्रोत अक्सर निर्धारित नहीं किया जा सकता है। सबसे आम संक्रमण जो सेप्टीसीमिया का कारण बनते हैं, इनमें मूत्र मार्ग में संक्रमण, निमोनिया जैसे फेफड़ों में संक्रमण, गुर्दे में संक्रमण और पेट में संक्रमण आदि शामिल हैं।
सेप्टीसीमिया के लक्षण
आमतौर पर इसके लक्षण बहुत जल्दी शुरू होते हैं। यहां तक कि पहले चरण में ही एक व्यक्ति बहुत बीमार लग सकता है। इसके सबसे आम प्रारंभिक लक्षणों में ठंड लगना, बुखार, बहुत तेज सांस लेना, दिल की धड़कन बढ़ना, सोचने में परेशानी, मतली, उल्टी, स्किन पर लाल धब्बे, कम पेशाब होना, ब्लड फ्लो कम होना आदि भी हैं।
वयस्कों में सेप्टीसीमिया के लक्षण
वयस्कों में इसके लक्षणों में बोलने में कठिनाई या भ्रम, मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक ठंड लगकर कंपकंपी छूटना, कम पेशाब आना, सांस लेने में कठिनाई, त्वचा का रंग बदलना आदि शामिल हैं।
बच्चों में सेप्टीसीमिया के लक्षण
कम बुखार, बहुत तेजी से सांस लेना, शरीर में पीलापन, शरीर पर धब्बे, बहुत सुस्त होना और नींद का जल्दी नहीं खुलना आदि इसके लक्षण हैं। पांच साल से कम का कोई बच्चा इसका शिकार हो सकता है यदि वह खा नहीं रहा है, लगातार उल्टियां कर रहा है और पिछले बारह घंटों में उसे पेशाब नहीं आया है।
सेप्टीसीमिया से बचने के उपाय
बैक्टीरियल संक्रमण सेप्टीसीमिया का सबसे कारण है। ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। संक्रमण का शुरुआती चरणों में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है और बैक्टीरिया को खून में जाने से रोका जा सकता है।
इसके अलावा आप धूम्रपान से बचें, अवैध दवाओं से बचें, स्वस्थ आहार खाएं, रोजाना कसरत करें, अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और ऐसे लोगों से दूर रहें जो पहले ही इससे पीड़ित हैं। माता-पिता बच्चों को सेप्टिसीमिया से बचाने में मदद कर सकते हैं, उसके लिए टीकाकरण जरूरी है।