Delhi Government Hospital: पिछले छह साल में हर दो दिन में पांच नवजातों ने दम तोड़ा, जीटीबी, एलबीएस और डीडीयू का हाल, आरटीआई में कई खुलासे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 27, 2024 06:25 PM2024-03-27T18:25:46+5:302024-03-27T18:26:33+5:30

Delhi Government Hospital: तीन में से दो अस्पतालों ने सिर्फ शिशुओं के जन्म और मृत्यु का आंकड़ा उपलब्ध कराया है और केवल एक अस्पताल ने मौतों का कारण भी बताया है।

Delhi Government Hospital 2017-23 last 6 years 5 newborns died every 2 days condition GTB, LBS and DDU many revelations in RTI | Delhi Government Hospital: पिछले छह साल में हर दो दिन में पांच नवजातों ने दम तोड़ा, जीटीबी, एलबीएस और डीडीयू का हाल, आरटीआई में कई खुलासे

सांकेतिक फोटो

Highlights2017 से जुलाई 2023 के बीच कितने बच्चों का जन्म हुआ और कितने की मौत हुई तथा मृत्यु के कारण क्या थे?सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर अलग-अलग आवेदनों के जवाब में उपलब्ध कराई है।अस्पताल ने जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या जरूर उपलब्ध कराई है।

Delhi Government Hospital: दिल्ली सरकार के तीन प्रमुख अस्पतालों में बीते साढ़े छह साल में औसतन हर दो दिन में पांच नवजात शिशुओं ने दम तोड़ा। इस प्रकार इस अवधि में कुल 6204 नवजातों की मौत हुई। यह जानकारी जीटीबी के अलावा लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) अस्पताल और दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर अलग-अलग आवेदनों के जवाब में उपलब्ध कराई है। आवेदनों में जानकारी मांगी गई थी कि इन अस्पतालों में जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच कितने बच्चों का जन्म हुआ और कितने बच्चों की मौत हुई तथा मृत्यु के कारण क्या थे? लेकिन तीन में से दो अस्पतालों ने सिर्फ शिशुओं के जन्म और मृत्यु का आंकड़ा उपलब्ध कराया है और केवल एक अस्पताल ने मौतों का कारण भी बताया है।

दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भी आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर बच्चों की मृत्यु की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अस्पताल ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के निर्देश के बावजूद अब तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। हालांकि अस्पताल ने जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या जरूर उपलब्ध कराई है।

उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, जीटीबी, एलबीएस और डीडीयू अस्पतालों में 79 महीने की अवधि के दौरान कुल 6204 नवजातों की मौत हुई जबकि इस दौरान इन अस्पतालों में 2,11,517 बच्चों का जन्म हुआ। इसके मुताबिक, इन तीनों अस्पतालों में हर महीने करीब 78 बच्चों की मौत हुई यानी हर दो दिन में पांच बच्चों की जान इन अस्पतालों में चली गई।

यह एक हजार शिशुओं के जन्म पर 29.3 का औसत है जबकि दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में शिशु मृत्यु दर 2022 में 23.82 थी और 2021 में 23.60 थी। गुरुग्राम और कोलकाता में नियोनेटोलॉजिस्ट एवं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक मित्तल ने कहा कि शिशुओं के जन्म के बाद सात दिन के अंदर मौत के लिए कम वज़न, समय पूर्व प्रसव और संक्रमण जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं । उन्होंने कहा कि इन मौतों की संख्या नवजात शिशु देखभाल केंद्रों के जरिए कम की जा सकती है।

सरकार को हर पांच-सात किलोमीटर पर नवजात शिशु देखभाल केंद्रों की स्थापना करने पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टर मित्तल ने कहा कि 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की शिशु मृत्यु दर प्रति हजार जीवित बच्चों पर 28 थी और भारत शिशु मृत्यु दर के मामले में विश्व में 49वें स्थान पर है। उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में श्रीलंका, बांग्लादेश वियतनाम और भूटान जैसे देशों की स्थिति हमसे बेहतर है।’’

जीटीबी अस्पताल ने आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया कि जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच उसके यहां कुल 1,06,551 शिशुओं का जन्म हुआ जिनमें से 3958 (आईयूडी एवं मृत बच्चा पैदा होने के मामले) शिशुओं की मौत हुई। इस अस्पताल में नवजात शिशु मृत्यु दर करीब 37.1 थी। लेकिन जीटीबी ने न तो नवजातों की मृत्यु का कारण बताया और न ही उनके जन्म और मृत्यु का वार्षिक ब्यौरा दिया।

वहीं, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 79 महीने में 760 बच्चों की मौतें हुईं जबकि 48,573 शिशुओं का जन्म हुआ। इस प्रकार इस अस्पताल में औसत शिशु मृत्यु दर 15.6 रही। एलबीएस अस्पताल ने बताया कि उसके यहां 2017 में 7241 शिशुओं का जन्म हुआ जिनमें से 102 नवजात की मौत हो गई। वहीं, 2018 में जन्में 7593 में से 120, 2019 में 7224 में से 108, 2020 में 7506 में से 139, 2021 में 7023 में से 131, 2022 में 8036 में से 113 और 2023 में जुलाई तक जन्में 3950 शिशुओं में से 47 की मौत हो गई।

जवाब के मुताबिक, अस्पताल ने बच्चों की मौत का केवल एक कारण ‘प्रीनेटल एक्सफेसिया’ बताया है। ‘प्रीनेटल एक्सफेसिया’ में शिशु के पैदा होने के वक्त उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती जिससे उसका दम घुट जाता है। वहीं, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच 1486 नवजातों की मौत हुई जबकि इस दौरान अस्पताल में 56,393 शिशुओं का जन्म हुआ।

अस्पताल में शिशु मृत्यु दर 26.3 रही। अस्पताल ने अपने जवाब में बताया कि उसके यहां 2017 में 9660 शिशुओं का जन्म हुआ जिनमें से 213 की मौत हो गई। वहीं, 2018 में जन्में 9798 शिशुओं में से 138, 2019 में 10,748 में से 212, 2020 में 7432 में से 285, 2021 में 6358 में से 247, 2022 में 8266 में से 241 और जुलाई 2023 तक जन्मे 4131 शिशुओं में से 150 शिशुओं की मृत्य हो गई। इस अस्पताल ने शिशुओं की मौत का कोई कारण नहीं बताया है।

Web Title: Delhi Government Hospital 2017-23 last 6 years 5 newborns died every 2 days condition GTB, LBS and DDU many revelations in RTI

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