Coronavirus Plasma Therapy: प्लाज्मा कौन डोनेट कर सकता है, कोरोना के मरीज को ठीक होने के लिए कितना प्लाज्मा चाहिए?

By उस्मान | Published: April 27, 2020 03:10 PM2020-04-27T15:10:05+5:302020-04-27T15:20:26+5:30

Coronavirus plasma therapy: जानिये प्लाज्मा थेरेपी से कैसे सही हो सकता है कोरोना वायरस का मरीज

Coronavirus plasma therapy: Who and how donate plasma, how a plasma transplant may help coronavirus patients | Coronavirus Plasma Therapy: प्लाज्मा कौन डोनेट कर सकता है, कोरोना के मरीज को ठीक होने के लिए कितना प्लाज्मा चाहिए?

Coronavirus Plasma Therapy: प्लाज्मा कौन डोनेट कर सकता है, कोरोना के मरीज को ठीक होने के लिए कितना प्लाज्मा चाहिए?

Coronavirus plasma therapy: कोरोना वायरस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, इससे बचने का सिर्फ ही तरीका है और वो है खुद को संक्रमित लोगों से दूर रखना। हालांकि डॉक्टर दिन रात कोरोना की दवा, वैक्सीन या उपचार खोजने में जुटे हैं। फिलहाल कुछ देशों में कोरोना के मरीजों का इलाज एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाओं के साथ किया जा रहा है। 

इस दौरान कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को काफी प्रभावी माना गया है और भारत सहित कई देशों में इस उपचार को अपनाया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से सही हुए मरीज के ब्लड से प्लाज्मा लिया जाता है जिसे पीड़ित व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। बताया जाता है कि सही हुए मरीज में एंटीबाडी विकसित होती हैं जिनके जरिये पीड़ित व्यक्ति को संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है। 

कोरोना के मरीजों पर इसके प्रभाव को देखते हुए कई राज्य सरकार ने सही हुए मरीजों से प्लाज्मा डोनेट करने की मांग की है ताकि दूसरे मरीजों का इलाज किया जा सके। चलिए जानते हैं कि प्लाज्मा कौन और कैसे डोनेट कर सकते है और डोनेट प्लाज्मा को मरीज को कैसे दिया जाता है और यह कैसे काम करता है?

लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में किसी कोरोना रोगी को पहली प्लाज्मा थेरेपी दी गयी है। यह रोगी उरई के एक 58 वर्षीय डाक्टर हैं जिनको प्लाज्मा दान करने वाली भी कनाडा की एक महिला डाक्टर हैं जो कि पहली कोरोना रोगी थी जो यहां केजीएमयू में भर्ती हुई थी। 

केजीएमयू के डाक्टरों के मुताबिक उरई के इन कोरोना रोगी डाक्टर को प्लाज्मा की 200 मिली डोज दी गयी है। इनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। अगर आवश्यकता पड़ी तो इन्हें आज सोमवार या कल मंगलवार को दूसरी डोज दी जाएगी। अभी तक केजीएमयू में कोरोना से ठीक हुये तीन मरीज अपना प्लाज्मा दान कर चुके हैं। इनमें एक रेजीडेंट डाक्टर तौसीफ खान, एक कनाडा की महिला डाक्टर तथा एक अन्य रोगी शामिल हैं। 

केजीएमयू की ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि '' कनाडा से लौटी शहर की निवासी महिला डाक्टर में 11 मार्च को कोरोना की पुष्टि हुई थी। इनका ब्लड ग्रुप-ओ था। वहीं गंभीर डाक्टर मरीज का ब्लड ग्रुप भी ओ मिला। ऐसे में फोन कर उन्हें बुलाया गया। पहले महिला का कोरोना टेस्ट कराया गया। इसके बाद कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट, एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया, सिफलिस, सीरम प्रोटीन व ब्लड ग्रुप मैचिंग की गई। तभी प्लाज्मा का संग्रह किया गया।'' 

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डा डी हिमांशु ने बताया कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में शुक्रवार को उरई के एक डॉक्टर को भर्ती कराया गया था । रविवार को कोरोना पीडि़त डॉक्टर की हालत गंभीर हो गई। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें ऑक्सीजन दी गयी। स्थिति में सुधार न होने पर प्लाज्मा थेरेपी देने की योजना बनाई गई। उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी। 

शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो गया था। उनकी वेंटिलेटर पर भी स्थिति नियंत्रित नहीं हो रही थी। ऐसी हालत में उन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई। डा तूलिका चंद्रा ने बताया कि केजीएमयू में शुक्रवार को रेजीडेंट डॉक्टर व एक अन्य व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया था। दोनों का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव था, जबकि उरई के डॉक्टर का ‘ओ’ पॉजिटिव। 

तब कोरोना से ठीक होने वाली महिला डॉक्टर को बुलाया गया। महिला डॉक्टर ने 500 मिली। प्लाज्मा डोनेट किया। इसमें से 200 मिली। प्लाज्मा चढ़ाया गया। अब एक दो दिन बाद रिस्पांस देखने के बाद दूसरी थेरेपी दी जाएगी। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है, जिसे कोरोना वायरस का संक्रमण है। 

ऐसा इसलिए किया जाता है कि जो व्यक्ति कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो चुका है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। जब इसे कोरोना से जूझ रहे मरीज को चढ़ाया जाता है, तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक फिलहाल ठीक हो चुकी महिला के संग्रहित 500 मिली। प्लाज्मा में से 200 मिली। चढ़ाया गया। अब अगर आवश्यकता पड़ी तो एक दो दिन में 200 मिली। प्लाज्मा और चढ़ाया जाएगा। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

English summary :
Plasma therapy considered very effective in coronavirus and this treatment is being adopted in many countries including India. Plasma is taken from the blood of the patient cured from corona, which is transfer to the afflicted person.


Web Title: Coronavirus plasma therapy: Who and how donate plasma, how a plasma transplant may help coronavirus patients

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