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Bihar: पैसे और समय की बचत, आंख दिखाने चेन्नई नहीं जाना होगा?, शंकर आई फाउंडेशन इंडिया और नीतीश सरकार ने किया समझौता

By एस पी सिन्हा | Updated: December 13, 2024 15:40 IST

Bihar: बिहार सरकार ने शुक्रवार को यहां एक सुपर स्पेशियलिटी नेत्र अस्पताल के निर्माण के लिए कोयंबटूर स्थित एक संस्था के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।

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ठळक मुद्देकंकड़बाग क्षेत्र में 1.60 एकड़ जमीन आवंटित की है।99 साल के लिए एक रुपये के टोकन भुगतान पर पट्टे दी गई है।‘हाउसिंग बोर्ड’ को 48 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

पटनाः बिहार के लोगों को अब आंख दिखाने चेन्नई नहीं जाना होगा। बिहार वासियों के आँख का इलाज शंकर नेत्रालय चेन्नई के द्वारा बिहार की राजधानी पटना में ही किया जाएगा। इसको लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष स्वास्थ्य विभाग और शंकर आई फाउंडेशन इंडिया (एसईएफआई), कोयम्बटूर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह और शंकरा आई फाउंडेशन इंडिया, कोयम्बटूर के प्रबंध निदेशक पद्मश्री डॉ० आर०बी० रमणी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर एक दूसरे को प्रति सौंपी।

इससे अब पटना के कंकड़बाग क्षेत्र में एक विश्व स्तरीय नेत्र अस्पताल के रूप में शंकर नेत्रालय बनने का रास्ता साफ हो गया है। बिहार में इसी महीने 3 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नेत्र अस्पताल के निर्माण पर फैसला लिया गया था। कोयंबटूर स्थित शंकर आई फाउंडेशन इंडिया इस अस्पताल का निर्माण करेगी।

शंकर आई फाउंडेशन इंडिया (एसईएफआई) के संस्थापक और प्रबंध न्यासी आर. वी. रमानी एवं राज्य के स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह के बीच यहां एक समारोह में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, राज्य मंत्री मंगल पांडेय और विजय कुमार चौधरी उपस्थित थे।

अस्पताल के निर्माण के लिए कोयंबटूर स्थित शंकर आई फाउंडेशन इंडिया को 99 साल के पट्टे पर 1.6 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने के लिए राज्य आवास बोर्ड को भुगतान के वास्ते 48 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। अस्पताल 18 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। शंकर आई फाउंडेशन इंडिया आंख के इलाज के लिये एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अस्पताल है जो अपने खर्च पर इस भूमि पर अस्पताल का निर्माण एवं संचालन करेगा। इसमें आंख के सामान्य इलाज के साथ-साथ कॉर्निया प्लास्टिक, रेटिना डिटैचमेंट एवं आंख के कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का भी इलाज हो सकेगा।

इस संबंध में 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज मुफ्त तथा 25 प्रतिशत का सशुल्क होगा। ढाई लाख रुपये प्रति वर्ष से कम आय वाले परिवार निःशुल्क चिकित्सा पा सकेंगे। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, मंत्री विजय कुमार चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय आदि मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि 1976 में कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने डॉक्टरों के एक समूह को संबोधित करते हुए भारत में एक आँख अस्पताल बनाने की आवश्यकता के बारे में बात की थी।

सेंगमेदु श्रीनिवास बद्रीनाथ के नेतृत्व में परोपकारियों के एक समूह ने तमिलनाडु की राजधानी मद्रास (चेन्नई) में एक धर्मार्थ गैर-लाभकारी नेत्र अस्पताल की स्थापना की। सितंबर 1978 को विनायक चतुर्थी के दिन अस्पताल अस्तित्व में आया। इसका नाम शंकर नेत्रालय या "आंखों का मंदिर" रखा गया।

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