वातावरण में मौजूद हानिकारक अल्ट्रावायलेट (पराबैंगनी) किरणों से बचने के लिए हम लोशन या सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं। बहुत अधिक गर्मी पड़ने पर ये हानिकारक किरणें बढ़ जाती हैं ऐसे में हम हाई एसपीएफ वाले सनस्क्रीन को अपनी रूटीन में शामिल करते हैं। लेकिन गर्मियां जाते ही हम इसका इस्तेमाल रोक देते हैं।
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आपकी स्किन कई सारी परेशानियों का शिकार हो सकती है। जी हां... अंग्रेजी वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सर्दियों में भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके पीछे भी अल्ट्रावायलेट किरणें ही जिम्मेदार हैं।
दो तरह की अल्ट्रा-वायलेट किरणें होती हैं- पहली है अल्ट्रावायलेट (ए) किरणें जो हमारी स्किन की अंदरूनी लेयर पर वार करती हैं। दूसरी है अल्ट्रावायलेट (बी) किरणें जो त्वचा की ऊपरी लेयर को अपना शिकार बनाती हैं। दोनों में से अल्ट्रावायलेट (ए) किरणों को अधिक हानिकारक माना जाता है, लेकिन अल्ट्रावायलेट (बी) किरणों को भी नजरअंदाज करना सही नहीं है।
रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जहां गर्मियों में ये दोनों किरणें पूरी तरह से एक्टिव होती हैं वहीं सर्दियों में अल्ट्रावायलेट (ए) किरणों में गिरावट आ जाती है। लेकिन दूसरी तरफ अल्ट्रावायलेट (बी) किरणों में किसी भी प्रकार की कमी नहीं पाई जाती है और यही किरणें सर्दियों के मौसम में भी हमारी स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं।
अल्ट्रावायलेट (बी) किरणों के कारण त्वचा समय से पहले बूढ़ी और मुरझाने लगती है। ये किरणें त्वचा के कैंसर और झुर्रियों को पैदा करती हैं। इसलिए सर्दियों में भी सनस्क्रीन लगाना जरूरी है।
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चेहरे के साथ शरीर के उन सभी हिस्सों पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं जो सीधे वातावरण के संपर्क में आते हैं। इसके अलावा सनस्क्रीन भी हाई एसपीएस यानी 30 के बीचे का ना हो। संभव हो तो इसका इस्तेमाल हर 2 घंटे में किया जाना चाहिए।