UGC खत्म कर HECI लाएगी केंद्र सरकार, जानिए क्या है दोनों में अंतर
By धीरज पाल | Published: June 28, 2018 05:40 PM2018-06-28T17:40:18+5:302018-06-28T17:40:18+5:30
केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) को खत्म करने का पूरा खाका तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे खत्म भी कर देगा। सरकार ने यूसीजी के बदले हायर एजुकेशन कमीशन लाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, 28 जून: केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) को खत्म करने का पूरा खाका तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे खत्म भी कर देगा। सरकार ने यूसीजी के बदले हायर एजुकेशन कमीशन लाने का फैसला किया है। इसके लिए मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने सार्वजनिक तौर पर सभी शिक्षाविदों, हितधारकों और आम नागरिकों से सुझाव मांगी है। इस संबंध में मंत्रालय ने दावा किया है कि हायर एजुकेशन कमीशन शिक्षण संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और विद्यार्थियों को किफायती शिक्षा मिल सकेगी।
वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल जमकर विरोध कर रही है। विपक्ष आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार उच्च शिक्षा में फंड की कटौती कर रही है। दरअसल, केंद्र सरकार का मानना है कि यूजीसी को खत्म कर हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) को लाना 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' की नीति को आगे बढ़ाना है।
मोदी सरकार ने तैयार किया UGC खत्म करने का मसौदा, 7 जुलाई तक मांगे लोगों के सुझाव
दिल्ली यूनिर्सिटी टीचर एसोशिएशन (DUTA) ने भी केंद्र सरकार के इस मसौदा का विरोध किया है। DUTA का मानना है कि नई संस्था आने से उच्च शिक्षा संस्थान में केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप होगा। वहीं केंद्र सरकार का मानना है कि इस नई संस्थान के आने से फर्जी संस्थानों को बंद किया जाएगा।
ये है UGC और HECI में बड़ा अंतर-
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के पास विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना और अनुदार देने का अधिकार था। हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया के पास भी विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने का अधिकार होगा, लेकिन अनुदान देने का अधिकार नहीं होगा। यूजीसी खत्म होने के बाद और एसईसीई के आने पर अनुदार सीधे मानव संसाधन की ओर से जारी किया जाएगा। यूजीसी फर्जी संस्थानों की सूची अपनी वेबसाइट पर जारी करती है वहीं, एचईसीआई के पास फर्जी संस्थान को बंद करने का पूरा-पूरा अधिकार होगा। ड्रॉफ्ट के अनुसार एचईसीआई के आदेश अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है। वर्तमान में, यूजीसी जनता को सूचित करने के लिए अपनी वेबसाइट पर फर्जी संस्थानों के नाम जारी करता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।