पटनाः प्राइवेट स्कूल की मनमानी, सड़क पर उतरे अभिभावक, जोरदार नारेबाजी, लगाम लगाने की मांग
By एस पी सिन्हा | Published: December 17, 2020 09:18 PM2020-12-17T21:18:53+5:302020-12-17T21:20:23+5:30
पटना में अभिभावकों ने गोला रोड स्थित एक स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया. अभिभावकों का आरोप है कि प्राइवेट स्कूल जहां फीस के लिए उन्हें तंग कर रहे हैं.
पटनाः बिहार में स्कूल फीस जमा कराने के लिए प्राइवेट स्कूल प्रबंधन की ओर से बनाए जा रहे दबाव के विरोध में अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया है.
आज राजधानी पटना में अभिभावकों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया. अभिभावकों का आरोप है कि प्राइवेट स्कूल जहां फीस के लिए उन्हें तंग कर रहे हैं. वहीं मानसिक रूप से भी प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं. बिहार प्राइवेट स्कूल अभिभावक संघ (बीपीएसएस) के बैनर तले अभिभावकों ने निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के साथ सभी तरह के चार्जेज वसूली के खिलाफ हल्ला बोला.
प्राइवेट स्कूलों के द्वारा की जा रही मनमानी के विरोध में अभिभावक मंच के बैनर तले अभिभावक एकत्रित हुए और निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे. उन्होंने सरकार के इस मामले में दखल देने की मांग की. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से दो वक्त की रोटी के लाले पडे़ हैं.
मगर सरकार अभिभावकों को स्कूल फीस में कोई छूट देने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि स्कूल संचालक मनमानी पर उतर आए हैं. ऑनलाइन क्लास के नाम पर महज खानापूरी की जा रही है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई को तो सस्ता होना चाहिए. मगर स्कूल इसके नाम पर फीस जमा कराने के लिए अभिभावकों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं.
ऑनलाइन क्लास से नाम काट दे रहे हैं. सभी ने कहा कि शिक्षा तो मौलिक अधिकार है फिर प्राइवेट स्कूलों ने इसे व्यापार कैसे बना लिया? अभिभावकों ने मांग की है कि ट्यूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज सहित सभी तरह के चार्जेज पर रोक लगाने हेतु प्रदेश सरकार पहल करे.
आठ माह से बंद स्कूलों को फिर से खोलने की मांग तेज हो गई है
इधर, लॉकडाउन के कारण आठ माह से बंद स्कूलों को फिर से खोलने की मांग तेज हो गई है. स्कूल संगठनों की मांग को अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का भी साथ मिल गया है. हम पार्टी पार्टी प्रमुख ने नीतीश कुमार से मांग की है जनहित में बिहार के सभी सरकारी स्कूलों को फिर से खोला जाए.
मांझी ने कहा है कि स्कूलों के बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान बिहार के गरीब छात्रों को हो रहा है. उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. मांझी ने मांग की है कि कोविड के नियमों का पालन करते हुए बिहार के सभी सरकारी स्कूलों को फिर से खोला जाए.
यहां बता दें कि बिहार में आठ माह से बंद प्राइवेट स्कूल और कोचिंग संस्थान को भी फिर से खोले जाने की मांग की जा रही है. इन संस्थानों के संचालकों की मानें तो पांच लाख से ज्यादा शिक्षकों के सामने बेरोजगारी जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि जब बिहार में सभी संस्थान और बाजार खोल दिए गए हैं तो स्कूल और कोचिंग खोले जाने को लेकर क्या परेशानी है?
प्राइवेट स्कूल संचालकों की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है
इसबीच, सूबे के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने प्राइवेट स्कूल संचालकों की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है कि स्कूल खोले जाने चाहिये. मंत्री उन स्कूलों पर भी बरसे हैं जो सरकार से मुआवजा मांग रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा है कि कोरोना का नेचर बदल रहा है.
अभी दिल्ली में पहले कोरोना संक्रमण कुछ कम हुआ और फिर उसके मामले तेजी से बढ गये. अगर ऐसे में सरकार स्कूलों में बच्चों को आने की इजाजत दे दे और कुछ हुआ तो सरकार ही जिम्मेवार मानी जायेगी. सरकार बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती. लिहाजा अभी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी जा सकती. शिक्षा मंत्री प्राइवेट स्कूल संचालकों पर भी जमकर बरसे.
दरअसल, प्राइवेट स्कूलों के संचालकों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना के कारण स्कूलों को काफी क्षति हुई है. इसलिए सरकार को प्राइवेट स्कूलों को पैसा देना चाहिये. इस मांग से नाराज शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि स्कूल संचालक सरकार से मांग कैसे कर सकते हैं? वे जब कमाई कर रहे थे, तब तो सरकार को एक्सट्रा टैक्स नहीं दे रहे थे.
कोरोना के कारण दिक्कत सबको हुई है. मंत्री ने कहा कि सरकार एक क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक करेगी. उसमें ये देखा जायेगा कि समस्याओं को कैसे शॉर्टआउट किया जा सकता है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था कैसे पटरी पर आये सरकार इस पर काम करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राइवेट स्कूल का एक एक्ट बनाया है. इसका मकसद ये है कि निजी स्कूलों में एक पारदर्शी व्यवस्था हो सके.