महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोगः परीक्षा के मौकों को लेकर एमपीएससी परीक्षार्थी नाराज, समय पर परीक्षा लेने की मांग
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 1, 2021 09:09 PM2021-01-01T21:09:35+5:302021-01-01T21:10:52+5:30
महाराष्ट्र राज्य लोकसेवा आयोग ने यूपीएससी की तर्ज पर एमपीएससी की परीक्षा लेने का निर्णय लिया है. इसके लिए विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देने के मौकों पर बंधन लगाया गया है.
नागपुरः महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग ने एमपीएससी की परीक्षा के लिए खुला वर्ग के लिए 6, ओबीसी के लिए 9 मौके (टर्म) निर्धारित किए हैं. इसके तहत यदि विद्यार्थी ने परीक्षा के लिए आवेदन किया लेकिन वह परीक्षा में गैरहाजिर रहा तब भी इसे मौका माना जाएगा.
मौकों का बंधन लगाने से विद्यार्थियों पर दबाव बढ़ेगा. इसलिए यह शर्त हटाने की मांग एमपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है. महाराष्ट्र राज्य लोकसेवा आयोग ने यूपीएससी की तर्ज पर एमपीएससी की परीक्षा लेने का निर्णय लिया है. इसके लिए विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देने के मौकों पर बंधन लगाया गया है.
यूपीएससी की परीक्षा के लिए विद्यार्थी द्वारा आवेदन किए जाने के बाद पूर्व, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार एक ही साल में होते हैं. लेकिन एमपीएससी की परीक्षा समय पर नहीं होती. पूर्व, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार को डेढ़ साल लग जाता है. किसी समय परीक्षा टलने से ढाई साल भी लग जाते हैं. चुने गए उम्मीदवारों को डेढ़ साल तक नियुक्ति नहीं दिए जाने से भी विद्यार्थियों में नाराजगी है.
नियुक्ति नहीं मिलने से उन्हें आंदोलन की जरूरत महसूस होती है
नियुक्ति नहीं मिलने से उन्हें आंदोलन की जरूरत महसूस होती है. इसलिए एमपीएससी की परीक्षा को भी यूपीएससी की तरह सालभर में पूरी करने की मांग की जा रही है. ऐसे होगी मौकों की गणना किसी विद्यार्थी ने एमपीएससी की पूर्व परीक्षा में हिस्सा लिया तो इसे मौका माना जाएगा.
कोई उम्मीदवार पूर्व परीक्षा के किसी एक पर्चे में उपस्थित रहा तो इसे मौका माना जाएगा. परीक्षा के किसी भी चरण में उम्मीदवार किसी भी कारण से अयोग्य साबित हुआ या उसकी उम्मीदवारी रद्द हुई तो इसे भी मौका माना जाएगा. पहले के मौके गिनना गलत एमपीएससी की परीक्षा के लिए मौके तय करने का निर्णय अच्छा है. इससे विद्यार्थी ज्यादा मेहनत कर परीक्षा की तैयारी करेंगे.
लेकिन विद्यार्थी द्वारा पहले किए गए प्रयास गिनना गलत है. नियम लागू होने के बाद से मौकों की गणना होना जरूरी है. इससे विद्यार्थियों का नुकसान नहीं होगा. - उमा देशमुख, एमपीएससी परीक्षार्थी गरीब विद्यार्थियों का होगा नुकसान मौकों पर शर्त से जॉब करके एमपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों का नुकसान होगा. उन्हें निर्धारित मौकों में ही तैयारी करनी पड़ेगी. पहले कोई सीमा नहीं होने से उन पर दबाव नहीं रहता था. लेकिन अब मौके कम होने के साथ-साथ उन पर दबाव बढ़ेगा.
पर्चे में विद्यार्थी के गैरहाजिर रहने पर उस मौके को गिनना नहीं चाहिए
इसके अलावा सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने चाहिए और पर्चे में विद्यार्थी के गैरहाजिर रहने पर उस मौके को गिनना नहीं चाहिए. - शुभांगी इंजेवार, एमपीएससी परीक्षार्थी अवसर की शर्त हटानी चाहिए पहले एमपीएससी की परीक्षा के लिए बार-बार प्रयास करने के अवसर मिलते थे. लेकिन अब गिनती के अवसर होने से विद्यार्थियों पर दबाव बढ़ेगा.
मौके कम होते-होते विद्यार्थियों की धड़कनें बढ़ने लगेंगी. इससे गरीब विद्यार्थियों में निराशा बढ़ेगी. इसलिए एमपीएससी के लिए अवसर की शर्त को हटाना जरूरी है. - अक्षय वरघणे, एमपीएससी परीक्षार्थी मौकों की शर्त गलत एमपीएससी हर साल परीक्षा आयोजित नहीं करता है. इसलिए मौके होने पर भी कई विद्यार्थियों की उम्र निकल जाती है. इसके अलावा मौका होने पर विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हुआ तो उससे सबक लेकर वह अगली परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी करेगा. इसलिए मौकों की शर्त गलत है. एमपीएससी ने यह शर्त रद्द करनी चाहिए. - नीतेश गेडाम, एमपीएससी परीक्षार्थी -----