विश्व साक्षरता दिवस: जानिए भारत में क्या है इसके मायने
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 8, 2018 07:50 AM2018-09-08T07:50:49+5:302018-09-08T07:50:49+5:30
भारत में शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है। लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और शिक्षा के महत्व को बताने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लाया गया।
नई दिल्ली, 08 सितंबर: विश्वभर में आज यानी 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व साक्षरता दिवस मनाने का मकसद है कि जन-जन तक तक शिक्षा का प्रसार हो और लोग साक्षर हों। पहली बार 8 सितंबर 1966 में विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया। विश्व साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा सबसे पहले यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 में किया था। तब से हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया।
हर साल लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए व्यक्ति, समाज और समुदाय के बीच में इसे मनाना शुरू किया गया। अतंरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर जानते हैं कि भारत में साक्षरता दिवस के क्या मायने हैं और शिक्षा को लेकर देश में क्या योजनाएं चल रही हैं।
क्यों जरूरी है साक्षरता
- साक्षरता मानव विकास व चेतना को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
- लोगों के अधिकारों को जनाने के लिए साक्षरता का प्रसार होना जरूरी है।
- सफलता और जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्णं है।
- गरीबी को मिटाने में साक्षरता भी महत्वपूर्णं है।
- बाल मृत्यु दर को कम करने और जनसंख्या नियंत्रित करने में मदद करता है।
विश्व की तुलना में भारत की साक्षरता
भारत में शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है। लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और शिक्षा के महत्व को बताने के लिए सर्व शिक्षा अभियान लाया गया। इसके तहत पहले से भारत में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति में बेहद ही सुधार आया है। भारत में सुधरती शिक्षा व्यवस्था के बदौलत 2011 जनगणना के मुताबिक भारत में साक्षरता दर 75.06 है। आजादी तक यानी1947 में मात्र भारत में शैक्षिक दर 18 % थी। अगर विश्व की साक्षरता दर से भारत की तुलना किया जाए तो भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर 84% से कम है।
शिक्षा में महिलाओं दर पुरुषों से कम
भारत में पुरुष और महिलाओं के साक्षारता दर आंकड़ें में बहुत अंतर है। पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है। हालांकि महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ाने के लिए भारत सरकार बहुत से कदम उठा रही है। हमारे देश में 6-14 साल के आयु वर्ग के प्रत्येक बालक और बालिका को स्कूल में मुफ़्त शिक्षा का अधिकार है।
साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सरकार की नीतियां और योजनाएं
साक्षरता को बढ़ाने के लिए अलग- अलग सरकार नीतियां और योजनाएं लाई।
- महिला और विकास मंत्रालय ने बालिकायों के कल्याण और विकास के लिए बालिका कल्याण योजना शुरू किया था। - राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी।
- सर्व शिक्षा अभियान जो जिला आधाारित एक विशिष्ट विकेंद्रित योजना है।
- शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा
- प्राथिमिक शिक्षा से जुड़ी कई योजनाएं लाईं।
- प्रोत्साहन व पुरस्कार की योजनाएं जो केंद्र और राज्य सरकार प्रदान करती है।