पढ़ाई पर है पूरा ज़ोर, नहीं रहेगा बच्चा कमजोर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 21, 2025 16:53 IST2025-06-21T16:51:55+5:302025-06-21T16:53:02+5:30

बदलते वक्त में ज़रूरी है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी समय समय पर हो ताकि तेज़ी से बदल रहे ज़माने के कौशल से शिक्षक रूबरू हो पाएं।

Full emphasis on studies child not remain weak POSH POCSO lucknow uttar pradesh | पढ़ाई पर है पूरा ज़ोर, नहीं रहेगा बच्चा कमजोर

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Highlightsस्कूलों में जिस लेक्साइल प्रोग्राम की शुरुआत की है उसको लेकर शिक्षकों में समझ पैदा करना ज़रूरी है। ट्रेनिंग ज़रूरी है।करीब 300 शिक्षकों को इस प्रोग्राम के अलावा नई तकनीक को लेकर भी प्रशिक्षित किया गया।

आपको याद है न "तारे ज़मीन पर"। आमिर खान की मूवी। इसने नई चर्चा की शुरुआत भी की थी। शिक्षक जागरूक हों तो उनकी पारखी नज़र बच्चे की परेशानी को भी भाप सकती है और उसके कौशल को पहचान सकती है। स्कूलों में सैकड़ों बच्चों के बीच ये पहचान पाना मुश्किल है कि कौन सा बच्चा समय के साथ चल रहा है और कौन पिछड़ रहा है। पहली से पांचवीं तक के छात्र छात्राओं के लिए सेठ आनंदराम जैपुरिया ग्रुप ऑफ स्कूल्स ने अपने तमाम स्कूलों में जिस लेक्साइल प्रोग्राम की शुरुआत की है उसको लेकर शिक्षकों में समझ पैदा करना ज़रूरी है। ट्रेनिंग ज़रूरी है।

लिहाज़ा री स्किलिंग - अप स्किलिंग : जैपुरिया एनुअल रिफ्रेशिंग ट्रेनिंग कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों को बताया गया कि आखिर कैसे लेक्साइल प्रोग्राम में बच्चों का आकलन किया जा सकता है। करीब 300 शिक्षकों को इस प्रोग्राम के अलावा नई तकनीक को लेकर भी प्रशिक्षित किया गया।

बदलते वक्त में ज़रूरी है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी समय समय पर हो ताकि तेज़ी से बदल रहे ज़माने के कौशल से शिक्षक रूबरू हो पाएं। लेक्साइल प्रोग्राम वो तरीका है जिसमें बच्चों को रीडिंग के ज़रिए उनकी स्थिति और समझ को परखा जाता है। मसलन, अगर कोई बच्चा क्लास में पिछड़ रहा हो तो शिक्षक को इसकी ख़बर भी लग जाएगी और फिर उस बच्चे पर ज़्यादा ध्यान दिया जा सकेगा।

फिलहाल, पांचवीं तक के बच्चों को लेकर की गई इस कोशिश को अगले दो सालों में आठवीं तक के बच्चों तक ले जाने की है। पिछले तीन सालों से चल रहे शिक्षकों के प्रशिक्षण का ये चौथा साल है। इसमें सभी ग्रेड के शिक्षकों के लिए विषय केंद्रित सत्र तो रखे ही गए।

साथ में उनके लिए POSH ( प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट)  और POCSO ( प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फॉर्म सेक्सुअल ऑफ़ेंसेस एक्ट) जैसे अहम विषयों पर भी चर्चा रखी गईं बारीकियों के बारे में जानकारी दी गई। इस मौके पर मौजूद IRS अधिकारी राघव गुप्ता ने कहा कि प्रगतिशील शिक्षा की दिशा में ये एक अहम कदम है और आने वाले कल की नींव तैयार करने काफी महत्वपूर्ण। 

वहीं, जैपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के स्कूल और आईटी निदेशक हरीश संदुजा ने ज़ोर दिया कि बदलते वक्त में भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षकों में समय समय पर ज्ञान विज्ञान और हो रहे बदलावों को पहुंचाने में ये एक ऐसी सार्थक कोशिश है जिसके परिणाम भी हमारे स्कूलों में दिख रहे हैं। 

पार्टनर स्कूलों की वरिष्ठ शैक्षणिक सलाहकार शिखा बनर्जी ने कहा कि ये पहल शिक्षक, शिक्षण, नेटवर्किंग और पेशेवर विकास के लिए एक मंच बन गई है। वहीं पार्टनर स्कूल के उपाध्यक्ष तरुण चावला ने कहा कि शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने में इस तरह की ट्रेनिंग एक अहम कड़ी है। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षकों को STTAR शिक्षक पुरस्कार और आजीवन सेवा पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

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