फादर को नन के साथ आपत्तिजनक हालत में देखने पर कर दी गई थी सिस्टर अभया की हत्या, 28 साल बाद कोर्ट ने माना दोषी
By अमित कुमार | Published: December 22, 2020 12:20 PM2020-12-22T12:20:06+5:302020-12-22T13:14:03+5:30
19 साल की नन सिस्टर अभया की संदिग्ध मौत मामले में 23 दिसंबर को अदालत दोषी पाए जाने वाली कैथोलिक पादरी और एक नन को सजा सुनाएगी।
केरल में तिरुवनंपुरम की एक सीबीआई अदालत ने 21 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या के सिलसिले में कैथोलिक पादरी और एक नन को मंगलवार को दोषी पाया। उनका शव 1992 में कोट्टायम के एक कान्वेंट के कुएं में मिला था। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जे सनल कुमार ने इस मामले में फैसला सुनाया है। सजा की अवधि पर फैसला बुधवार को सुनाया जाएगा।
अदालत ने कहा कि फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी के खिलाफ हत्या के आरोप साबित होते हैं। दोनों न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में अन्य आरोपी फादर फूथराकयाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। युवा नन के सेंट पियूस कॉन्वेंट के कुएं में से मृत मिलने के 28 साल बाद अदालत का फैसला आया है। वह कॉन्वेंट में रहती थी।
बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही हो गई थी अभया के माता-पिता की मौत
अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए। पहले स्थानीय पुलिस और फिर अपराध शाखा ने मामले की जांच की और कहा कि यह खुदकुशी का मामला है। सीबीआई ने 2008 में मामले की जांच अपने हाथ में ली। इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए। अभियोजन के मुताबिक, अभया पर कुल्हाड़ी के हत्थे से हमला किया गया था क्योंकि वह कुछ अनैतिक गतिविधियों की गवाह थी जिसमें तीनों आरोपी शामिल थे।
शुरुआती जांच में आई थी आत्हमत्या की बात
बता दें कि शुरुआती जांच करने के बाद स्थानीय पुलिस और अपराध शाखा की टीम ने इसे आत्महत्या करार दिया था। इसके बाद केस की फाइल बंद कर दी गई थी। लेकिन लोगों ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या बताया और केस को सीबीआई को सौंपने की मांग करने लगे। जिसके बाद इस केस को सीबीआई को सौंपा गया। यह केस एक बार फिर सुर्खियों में 28 साल बाद अब आया है।
लंबे समय से चल रहे इस केस ने लिए कई मोड़
इस केस से जुड़े 177 गवाहों में से कई की मौत भी हो गई है। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने साल 2008 में कोट्टूर, पूथरुकायिल और सोफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। दिसंबर 2008 में सीबीआई ने अदालत को बताया कि यह एक हत्या थी और इसमें तीन अभियुक्तों - दो कैथोलिक पादरी, फादर थॉमस कोट्टूर और फादर जोस पायथ्रुकायिल और एक नन, सिस्टर को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर मर्डर कर सबूत मिटाने का आरोप लगाया गया था।
यहां जानिए क्या था पूरा मामला
केरल में कोट्टायम के एसटी पीयुस कॉन्वेंट के एक कुएं में सिस्टर अभया को 27 मार्च 1992 की लाश मिली थी। जिससे पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद आत्महत्या बताया था। लेकिन सीबीआई के आरोप-पत्र के अनुसार, घटना के दिन सिस्टर अभया को एग्जाम देना था। इसलिए वह सुबह चार बजे ही उठकर किचन पानी लेने चली गई थी। इस दौरान उसने दो पादरियों और एक नन- थॉमस कुट्टूर, जोस पूथरुकायिल, और सिस्टर सेफी को ‘आपत्तिजनक स्थिति’ में देख लिया।
बात बाहर ना आ जाए इस वजह से हुई हत्या
सीबीआई के आरोप-पत्र के मुताबिक सिस्टर अभया को यह बात किसी को बता न दे इस डर से तीनों ने मिलकर उस पर हमला किया और सिस्टर अभया बेहोश हो गई। इसके बाद तीनों ने मिलकर उसे कुएं में डाल दिया। कुएं में डालते समय वह जिंदा थी, लेकिन पानी के अंदर जाने के बाद डुबने के कारण उसकी मौत हो गई। सबसे अहम बात यह रही कि चर्च भी यह कहते हुए आरोपितों के साथ खड़ी रही कि वे निर्दोष थे। इतना ही नहीं सीबीआई ने इस केस में 177 गवाहों की एक लिस्ट भी तैयार की थी। जिसमें से तीन गवाह को अगस्त 2019 में गवाही देने आना था। लेकिन अदालत आने से पहले दो गवाहों की मौत हो गई और एर अपने बयान से मुकड़ गया। इतने सालों बाद अब बुधवार यानी 23 दिसंबर को इस केस पर फैसला लिया जाएगा।