निर्भया के दरिदों को फांसी पर लटकाने के लिए बिहार के बक्सर जेल में "मनीला रोप" तैयार, जानें फांसी की प्रक्रिया और फंदे के बारे में
By एस पी सिन्हा | Published: January 8, 2020 06:46 AM2020-01-08T06:46:25+5:302020-01-08T06:46:25+5:30
साल 2012 के 16 दिसंबर को एक चलती बस में निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ सामूहिक गैंगरेप हुआ था। आरोपियों ने पीड़िता के साथ ना सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसे बेहद चोटें भी पहुंचाई थी। जिसकी वजह से निर्भया की मौत हो गई।
बिहार के बक्सर जेल में तैयार किये गये "मनीला रोप" से दिल्ली के निर्भया के दरिदों को 22 जनवरी 2020 को फांसी के फंदे पर लटकाया जायेगा. यह फंदा कैदी और कुशल तकनीकी जानकारों के द्वारा तैयार कराया गया है. इसे बनाने में सूत का धागा, फेविकोल, पीतल का बुश, पैराशूट रोप आदि का इस्तेमाल किया गया है. वैसे अंग्रेजों के शासनकाल से ही बक्सर जेल में फंदा तैयार करने का चलन चलता आ रहा है.
सूत्रों के अनुसार एक फंदे पर 150 किलोग्राम तक के वजन को झुलाया जा सकता है. जेल के अंदर एक पावरलुम मशीन है. इसकी मदद से 7200 धागों का इस्तेमाल कर हर फंदा तैयार होता है. तिहाड प्रशासन के द्वारा मांगे जाने पर बक्सर से फांसी दिए जाने वाली 10 रस्सियों को भेजा गया है. इसतरह से निर्भया मामले के चारों गुनहगारों को बिहार के बक्सर में बने फांसी के फंदों पर 22 जनवरी 2020 को तिहाड़ जेल में लटकाया जाएगा. हालांकि सजा की तारीख से 07 दिन पहले फांसी के फंदे का कई बार ट्रायल किया जाता है.
ऐसा माना जा रहा है कि सजायाफ्ता कैदी के वजन के बराबर बोझ को लेकर पहले ट्रायल कर लिया जाता है. इसतरह से 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में वीभत्स निर्भया मामले को अंजाम देने वाले दोषी- मुकेश, अक्षय सिंह, पवन शर्मा, विनय गुप्ता को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. इससे पहले पांचवें दोषी ने तिहाड जेल में ही फांसी लगाकर जान दे दी थी.