Nirbhaya Case: इसलिए CJI बोबडे ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग, आज नई पीठ करेगी फैसला

By भाषा | Published: December 18, 2019 08:17 AM2019-12-18T08:17:07+5:302019-12-18T08:20:54+5:30

सुनवाई से सीजेआई के अलग होने के बाद, शीर्ष अदालत ने मंगलवार शाम न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ गठित की, जो आज (बुधवार) सुबह 10.30 बजे मामले के दोषी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी।

Nirbhaya Gangrape & Murder Case: Hearing on Review Petion today, This is why CJI Bobde separated himself | Nirbhaya Case: इसलिए CJI बोबडे ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग, आज नई पीठ करेगी फैसला

CJI एसए बोबडे। (फाइल फोटो)

Highlightsअक्षय के वकील ए पी सिंह ने बहस शुरू करते हुये कहा कि यह मामला राजनीति और मीडिया के दबाव से प्रभावित रहा है और दोषी के साथ घोर अन्याय हो चुका है।अक्षय ने दया का अनुरोध करते हुये दलील दी है कि वैसे भी दिल्ली में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण की वजह से जीवन छोटा होता जा रहा है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने दिसंबर, 2012 में हुये निर्भया बलात्कार और हत्याकांड में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक मुजरिम अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया।

अब, एक नई पीठ इस मामले की बुधवार को सुनवाई करेगी। सुनवाई से सीजेआई के अलग होने के बाद, शीर्ष अदालत ने मंगलवार शाम न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ गठित की, जो आज (बुधवार) सुबह 10.30 बजे मामले के दोषी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष पीठ ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही उनके वकील ए पी सिंह से कहा कि आधे घंटे के भीतर वह अपनी दलीलें पूरी करें। कुछ मिनट दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश बोबडे को इस तथ्य का पता चला कि उनके एक रिश्तेदार इस मामले में पीड़ित की मां की ओर से पहले पेश हो चुके हैं और ऐसी स्थिति में उचित होगा कि कोई अन्य पीठ पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे विचार करे।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इन मामलों को 18 दिसंबर को दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये जिसके सदस्य प्रधान न्यायाधीश नहीं हों।’’ इसी से संबद्ध संजीव कुमार की एक अन्य पुनर्विचार याचिका के बारे में पीठ ने कहा कि वह महिलाओं के प्रति यौन हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई के संबंध में कल कुछ कदम उठायेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम कल कुछ आदेश पारित करेंगे। इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही उन जिलों में में त्वरित अदालतें गठित करने का आदेश दे चुकी है जिनमें यौन हिंसा के मामले और पॉक्सो के तहत लंबित मामला एक सौ से ज्यादा है।

शीर्ष अदालत ने मंगलवार को अपने प्रशासनिक आदेश में देश में बलात्कार के मामलों के तेजी से निबटारे पर गौर करने के लिये दो न्यायाधीशों-न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह- की समिति गठित की है।

अक्षय के वकील ए पी सिंह ने बहस शुरू करते हुये कहा कि यह मामला राजनीति और मीडिया के दबाव से प्रभावित रहा है और दोषी के साथ घोर अन्याय हो चुका है। अक्षय ने दया का अनुरोध करते हुये दलील दी है कि वैसे भी दिल्ली में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण की वजह से जीवन छोटा होता जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकायें यह कहते हुये खारिज कर दी थीं कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है।

दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर 2012 की रात में 13 वर्षीय छात्रा के साथ चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था। इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी। इस मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनायी थी। इस आरोपी को सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद रिहा कर दिया गया था। 

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